Friday, October 13, 2017

सचमुच भारत का समाज एक अजीब समाज है।
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ज्यादा दिन नहीं हुए, कोई तीन-साढ़े तीन साल पहले जब उस समय के शासक लूट के अनेक नए आयाम गढ़ रहे थे। तब जनता इससे परेशान थी... तब अन्ना के पीछे पागल हुई जनता पूरी तरह से समाज में ईमानदारी लाने के लिए आन्दोलित थी.... फिर नई सरकार बनी.... सब लोग तत्काल हर बेईमान को पकड़ कर अंदर करने और ईमानदार समाज बनाने को तत्काल कदम उठाने को बेचैन हो उठे......
नवंबर 2016 से कदम उठाए जाने लगे... शुरू में सबको अच्छा लगा.... बुरा तो खैर अभी भी किसी को नहीं लग रहा होगा, लेकिन नोटबन्दी, आधार लिंकिंग, GST जैसे कदमों को काफी जनता अब बुरी नज़रों से देख रही है... क्यों देख रही है?... कारण क्या है?... आखिर मामला क्या है? 
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ठीक से देखा जाए तो मामला कुछ नहीं है।
अन्ना की मांग थी कि लोकपाल लाओ, जो हमारे पिछवाड़े लाठी धर-धर के हमे ईमानदार बनाएगा, क्योंकि बिना पिटे हम ईमानदार नहीं बनेगे... अब वही जनता कुछ भी खरीदने पर बिल काटे जाने से परेशान हो गई है.... जो व्यापारी बेईमान अफसरों के द्वारा प्रताड़ित होने पर इनके खिलाफ कदम उठाने की मांग करते थे, वो ही व्यापारी अब ऑनलाइन रिटर्न भर कर सरकारी बाबू के मुंह पर फेंकने को बुरा मान रहे हैं.....
इसका आसान कारण है कि लोग ईमानदार हों,... लेकिन हमको छोड़कर सब हों.... हम माल कमाएं और बाकी ईमानदारी से रहें. अगर लतियाने वाला लोकपाल आ गया होता तो क्या होता? खुद ही सोच लें…. नोटबन्दी से पहले जो काला बाज़ारी थी, जिस इकॉनमी को ब्लैक मनी संभालता था, वो काफी रुक गई है.... जब पूरी इकॉनमी से कालाबाज़ारी की भारी रकम निकल जाएगी तो उसका असर तो पड़ना ही है.... लेकिन जनता चाह रही थी कि सब ईमानदार हो जाएं और इसका कोई असर भी न पड़े.... उदाहरण के लिए जनता चाह रही थी कि कुछ ऐसा हो, कि जब हम प्रॉपर्टी बेचें तो महंगी बिके... लेकिन जब खरीदें तो सस्ती मिले.... ज़ाहिर है कि लोगों को नुकसान दिख ही रहा है....
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आधार लिंक कराने से महाराष्ट्र में 10 लाख गरीब गायब हो गए.... उत्तरखण्ड में भी कई लाख फ़र्ज़ी BPL कार्ड धारी गरीब ख़त्म हो गए.... 3 करोड़ से ज्यादा फ़र्ज़ी LPG कनेक्शन धारक ख़त्म हो गए... मदरसों से वजीफा पाने वाले 1,95,000 फर्ज़ी बच्चे गायब हो गए..... डेढ़ करोड़ से ऊपर फर्जी राशन कार्ड धारी गायब हो गए.... इन सबसे सरकारी ख़ज़ाने को चूना लगा रहे लोगों का टर्नओवर ख़त्म हो गया.... ये लोग बाजार में मंदी का रोना रोने लगे.... आधार लिंकिंग को बुरा बताने लगे, और साथ में जनता भी रोने लगी.....
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खैर मामले तो बहुत हैं… कभी फिर लिखेंगे… तुम चाहो तो सरकार बदल देना… फर्क मोदी को नहीं... फर्क जनता को ही पड़ेगा…

1 comment:

  1. मुफ्त का माल लेने वाले परेशान है।

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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

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