Saturday, September 9, 2017

"एक बार फिर गब्बर रिटर्न" !? - पीताम्बर दत्त शर्मा {लेखक-विश्लेषक}

"गब्बर सिंह डाकू जब पहली बार आया था तो उसने अपना अड्डा रामपुर गाँव में बसाया था !मैला-कुचैला,गन्दा सा दिखने वाला था !उसने ना जाने कितने निर्दोष लोगों और "खबरियों" को मौत के घाट उतारा था !तब उसका एक डायलॉग बड़ा ही मशहूर हुआ था कि "जिस भी गाँव में कोई बच्चा रोता है,तो माँ कहती है सो जा बीटा नहीं तो गब्बर आ जाएगा "!!दूसरी बार गब्बर आया तो वो एक बड़े शहर का पढ़ा-लिखा प्राध्यापक बना जो अपने कॉलेज के पूर्व छात्रों की मदद से शहरों में डाक्टरों,नेताओं,पत्रकारों और अफसरों के रूप में रह रहे डाकुओं को कह कहके मारता है ! एक बड़े हीरो के अवतार में आता है ! अब तीसरी बार वो एकबार फिर भारत में आया है ! इसबार वो काश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक के मुख से प्रकट हुआ है ! जो देश की जांच एजेंसियों के बहाने हमारे प्रधानमंत्री जी को "गब्बर सिंह"कहके पुकार रहा था ,अपने आकाओं को शायद कोई "ईशारा"करना चाहता था ! हमारी सुरक्षा एजेंसियों को चाहिए कि  वो जिस प्रकार दूसरे कोर्डवर्डों डिकोड करते हैं ,उसी तरह इसे भी डिकोड करके इनके भेद को खोलें ताकि देश का ज्यादा नुकसान ना हो !
                      एक घातक वामपंथी विचारधारा वाली पत्रकार की ना जाने किसने हत्या करदी ,जो दुखद और निंदनीय घृणित कार्य था निस्संदेह ,लेकिन उसके हितैषी मीडिया और नेताओं ने जल्दबाज़ी में "गब्बर सिंह"का रूप धरलिया !सुना दिया निर्णय कि "क्योंकि वो आरएसएस व भाजपा विरोधी लेखिका थी इसलिए इन्होने ही उसे मरवाया है ! दो दिन तक ये अत्याचार होता रहा बेचारे हिन्दुओं पर !लाख सफाइयां दी गयीं लेकिन वे कहाँ मानने वाले थे ?सो भाई लोग लगे रहे वैचारिक रूप से क़त्ल करने में !अब कह रहे हैं कि हमने ऐसा नहीं कहा और वैसा नहीं कहा !
                   एक गब्बर सिंह कांग्रेस में भी हैं जिन्हें लोग "द्विग्विजय सिंह"जी के रूप में भी जानते हैं ! पहले तो ये सज्जन बड़े समझदार हुआ करते थे !लेकिन पिछले काफी समय से ये उल-जलूल हरकतें करते रहते हैं !इन्होने माननीय प्रधानमंत्री जी को भी गाली वाला किसी का ट्वीट रीट्वीट कर दिया !गंदे लोगों की तरह !
                                कैसा समय आ गया है ! गुरुग्राम में एक 7 वर्षीय अबोध बालक को रेयान पब्लिक स्कूल के बस कंडक्टर ने जान से मार दिया क्योंकि बालक ने कुकर्म नहीं करने दिया ! वो भी सुबह 8 बजे के आसपास !जगह जगह पर कैमरे लगे थे,दर्जनों व्यक्तियों का स्टाफ था किसी को कुछ दिखाई नहीं दिया !स्कूल के मालिकों को हर बार बचने की कोशिश पता नहीं क्यों होती है हर बार !इनके लाइसेंस क्यों नहीं रद्द होते ?ये कहीं भी पढ़ा नहीं सकें ,कुछ ऐसी सजा मिले तो शायद अक्ल आये !?
                           "गब्बर सिंह"यानिकि बुराई हम सब में कभी न कभी आती है ! लेकिन शिक्षा हमें इसीलिए दी जाती है ताकि हम उस गंदे समय में ज्यादा बड़े राक्षस ना बनें और हमें जल्दी से जल्दी सद्बुद्धि आ जाए !लेकिन शिक्षा के मंदिर में ही शिक्षा पाने की इतनी बड़ी सज़ा किसी अबोध बालक को मिल जाए ! ये बर्दाश्त से बाहर है जी ! 
 हे भगवान् !!"आपकी मर्ज़ी के बिना तो पत्ता भी नहीं हिलता"?तो फिर ये सब क्यों ???? तुम कहोगे कि कर्मों का फल है ये !हम इतनी दूर बैठे दुखी हो रहे हैं तो क्या हमने भी कोई बुरे कर्म किएहैं क्या ?कसम से कलसे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा ! भगवन उसके परिवार को ये दुःख सहने की क्षमता प्रदान करें !और उस बहादुर बच्चे जिसने जान देदी लेकिन दुष्कर्म नहीं होने दिया को अपने चरणों में स्थान दे ! अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ !
    








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1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10-09-2017) को "चमन का सिंगार करना चाहिए" (चर्चा अंक 2723) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

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