Wednesday, August 16, 2017

"काश्मीर की फेविकोल,जादू की जफ्फी या गोली" ? - पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)


  • लाल किले की प्राचीर से सम्बोधित करते हुए 15 

  • अगस्त 2017 को माननीय प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र 

  • मोदी जी ने अपने "मन की बात" कह दी !वो चाहते 

  • हैं कि सब देशवासी अपने देश को इतना प्रेम करें कि 

  • सबसे ऊपर अपने देश को रख्खें !वो चाहते हैं कि 

  • देश 

  • का हर नागरिक अपना काम ईमानदारी से करे ,देश 

  • को गलती से भी कोई नुकसान ना पंहुचाये !अगर 

  • कोई दुश्मन देश हमारे नागरिकों को बहलाकर 

  • फुसलाकर और बहकाकर अगर कोई गलत कार्य 

  • करवाता है तो वो देश की सरकार से बात करके 

  • अपनी जायज़ मांग मनवा सकता है !लेकिन कोई 

  • अगर चाहे कि उसे कोई उसे "चाँद "लाकर दे देगा 

  • ,ये तो मुमकिन नहीं है !काश्मीर के लिए 

  • ,नक्सलवादियों के लिए उन्होंने साफ़ कहा कि गोली 

  • और गाली से नहीं प्यार से बातचीत के रस्ते से जो 

  • भी भारत के संविधान के अंदर मुनासिब मांग है वो 

  • पूरी की जायेगी ! बस ! आप बन्दूक छोड़कर 

  • लोकतंत्र के तरीके से जनप्रतिनिधि बनकर आओ 

  • और अपनी सरकार बनाकर अपने मन मुताबिक 

  • निर्णय स्वयं लो !इस से बढ़िया और क्या प्रस्ताव 

  • हमारे प्रधानमंत्री जी दे सकते थे !उनके इस प्रस्ताव 

  • की प्रशंसा विपक्षी नेता भी कर रहे हैं !उन्होंने एक 

  • कमिटी भी बना दी है जो काश्मीर जाकर लोगों से 
बातचीत भी करेगी!रास्ता खोजेगी !

लेकिन काश्मीर में जो आम आदमी है ,उस बेचारे की 

आवाज़ को कुछ मुठ्ठी भर लोगों ने बन्दूक से दबा कर 

रख्खा हुआ है !जिन्होंने बन्दूक उठा रख्खी है ,उनकी 

मदद पाकिस्तान और चीन जैसे अन्य कई देश मदद 

कर रहे हैं !पैसा असला और नशा ऐसे लोगों को बर्बाद 

कर रहा है !बेमौत मारे जा रहे हैं काश्मीर के नौजवान !

जो ऐसे लोग समझते हैं कि ये रास्ता गलत है ,उन्हें ही 

हमारे प्रधानमंत्री जी मुख्यधारा से दोबारा जोड़ना 

चाहते 

हैं !लेकिन जो बन्दूक नहीं छोड़ना चाहते उनका इलाज 

सिर्फ गोली से ही हो सकता है !उनके साथ साथ देश में 

ऐसे लोग भी हैं जो दुश्मन देशों की भाषा ही बोलते हैं 

,उनको पहले पढ़ाया जाए या "सुलाया"जाए !

                 बात करने वालों के साथ बात और गोली 

चलने वालों के साथ गोली की ही भाषा बोली जाए !ऐसे 

लोगों को कोई "फेविकोल"भारत के साथ नहीं जोड़ 

सकती !ये लोग विश्वास के काबिल भी नहीं हैं !



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