Thursday, July 27, 2017

"देख तमाशा ,राजनीति का"! - पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

"डी एन ए"को अलग बताने वाले ,ईमानदार व सच्चाई के रास्ते पर चलने वाले, भविष्य में प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने वाले और सख्त प्रशासक माननीय श्रीमान नीतीश जी ,मुसलमानों से भी तेज़ गति से लालू जी को तलाक,तलाक और तलाक बोल आये ,इतना ही नहीं तुरन्त मोदी जी से दूसरा निकाह भी कर लिया !विधान सभा में बहुमत साबित हो या चाहे ना हो ,लेकिन लोग तो पूछेंगे कि "इतनी कौन सी आग लगी थी"?कहने को तो हज़ार कारण नितीश जी के पास भी हैं और लालू परिवार के पास भी हैं ! और तो और राजनीति के "फिस्सड्डी खिलाडी अपने राहुल बाबा" भी बड़े पॉइन्ट मार कर बोल रहे हैं कि "हमें पता था कि नितीश जी की डील हो चुकी है ,इसलिए हमने उनकी बात ही नहीं सुनी "!! अरे भले मनुष्य !अगर आप इतने बड़े राजनीतिज्ञ ही थे तो अपना "महागठबंधन"तो बचा लिया होता किसी शरद यादव या अनवर अली से मिलकर !अब जब लुटिया डूब चुकी है तब "कारीगिरी"दिखा रहे हैं !
                         उधर लालू जी की होशियारी देखो ! वो भी पत्रकारों को और जनता को 302 के केस का कागज़ दिखा रहे हैं और आज भस्मासुर बता रहे हैं !इतने ही होशियार थे तो जो फार्मूला त्यागपत्र देने के बाद बता रहे थे ,वो पहले क्यों नहीं सुझाया ?कि बिना नीतीश जी और बिना तेजस्वी के कोई दूसरा मुख्यमंत्री चुन लिया जाये !अरे आप मुख्यमंत्री बन नहीं सकते,तो शरीफ नीतीश क्यों बनवास भुगतते ?
                          असलियत ये है कि लालू जी बड़ा दखल दे रहे थे !अपने बेटों के कन्धों पर बंदूक रख कर चला रहे थे ! बड़ा परेशां किये हुए थे !दूसरी बात ये थी कि नितीश जी चाहते थे कि महागठबंधन का भावी प्रधानमंत्री अभी घोषित कर दिया जाए ! ताकि 2019 के लोकसभा चुनावों की तयारी विधिवत शुरू की जा सके ! कांग्रेस की परेशानी ये थी कि राहुल के नाम पर कोई भी दल मान नहीं रहा था ,और दूसरे किसी को भी भावी प्रधानमंत्री पद का दावेदार , कांग्रेस बनाना नहीं चाहती थी ! तो नीतीश बाबू ने सोचा कि क्यों न एन डी ए के साथ जाकर मुख्यमंत्री भी बन जाऊं और केंद्र में भी किसी को मंत्री बनवादूँ !
                            मतलब सभी केवल अपने स्वार्थपूर्ति हेतु ही राजनीती में काम करते हैं ! भारत की जनता को केवल काम बेईमान ही चुनना होता है !लेकिन सवाल ये भी खड़ा होता है कि केवल यही चंद लोग और उनके परिवार ही हम पर राज करें ऐसा क्यों और किस अधिकार से ? जनता जवाब मांगती है !

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Saturday, July 22, 2017

"लोकतंत्र के चारों खम्बे ज़र्ज़र हो चुके,पांचवां खम्बा सोशल मीडिया ही बचाएगा शान हमारी"!! - पीताम्बर दत्त शर्मा (स्वतंत्र टिप्पणीकार)

मैं बुरा या आप बुरे ?की लड़ाई से बाहर निकलते हुए ,कुछ आज ऐसी सकरात्मक चर्चा की जाए ,जिससे हमारे भारत का कुछ भला हो सके !ऐसी ही मुश्किलों का हल ढूंढने हेतु हम संसद में चर्चा करते हैं ! टीवी चैनलों पर बहस देखते-करते हैं !समाचार पत्रों के सम्पादकीय पढ़ते हैं ! इंटरनेट के साधनों का दोहन करते हैं !लेकिन कोई भी रास्ता नहीं निकलता ! क्योंकि हम रास्ता तो निकलना ही नहीं चाहते ,बल्कि हम तो किसी ना किसी तरह अपनी "रोटियां सेंकना" चाहते हैं ! रोटियां सेक सेक कर हम तो मोटे-ताज़े और बलवान हो गए लेकिन हमारा देश अपनी आभा खो चुका है !अपनी ताकत गवाँ चुका है !
                          हमने अपने ऊपर ना जाने कैसे-कैसे मोटे-मोटे लबादे ओढ़ लिए हैं !कोई सेकुलर बन गया तो कोई समाजवादी बन गया !कोई राष्ट्रवादी बन गया तो कोई दलितों का मसीहा बन गया !कोई हिन्दुओं का तो कोई मुसलमानो,ईसाईयों,सिख्खों,जैनियों और बौद्धों का खैरख्वाह बना बैठा है !लेकिन सच्चाई तो ये है की हम ना तो अपने बच्चों के हितेषी हैं ,ना अपने बुज़ुर्गों और समाज के तो देश दुनिया धर्म के तो हो ही नहीं सकते हम !हम इतने बड़े झूठे और मक्कार हैं कि हम किसी को भी धोखा देकर उसके प्राण तक ले सकते हैं !कोई हिचकिचाहट नहीं होती !
                             हमें बोलने में तो ईमानदारी,देश भक्ति और धार्मिकता अच्छी लगती है ,लेकिन व्यवहार में हमें केवल बेईमानी ही अच्छी लगती है !यही कारण है की भारत की जनता को फिर से कांग्रेस और उसकी हमसाया पार्टियां अच्छी लगने लगीं हैं !ईमानदारी से चलने को जो मोदी जी कहते हैं तो हमें अब उनकी बातें नहीं भाती हैं !क्या सारी गलती संविधान या सिस्टम की ही है ?क्या संविधान और सिस्टम को बदल देने से हम सब बदल जाएंगे ?नहीं , हम आदि हो चुके हैं भ्र्ष्टाचार के !अब तो सोशियल मीडिया ही बचा है जो हमें सही रास्ता दिखा सकता है !दूसरे संसाधनों ने तो सच्चाई बताना ही बंद कर दिया था !इनके सहारे अगर देश होता तो बड़े लोग कब का देश बेच के खा गए होते ! परमात्मा कोई ना कोई रास्ता निकाल ही देता है "सत्य की जीत"करने हेतु !तभी तो कहा गया है कि "सत्यमेव-जयते "!!!

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Tuesday, July 18, 2017

"माया - मायावती की ", !!! - पीताम्बर दत्त शर्मा ( टिप्पणीकार)

"फरेब और षड्यंत्र "रचने में माहिर आज का विपक्ष नित नए "ड्रामे"करता है ! सोचता है कि ऐसा करने से उनकी पार्टियों को जनता वोट दे देगी ! जनता एक दो बार तो इनके झांसे में आ सकती है ,लेकिन हमेशां जनता को बेवकूफ बनाया  नहीं जा सकता ! चाहे कांग्रेस हो या कॉमरेड,ममता हो या बहन मायावती , सब अपनी अदाओं से जनता को बरगलाने की कोशिश करते रहते हैं ! काम भाजपा भी नहीं है , लेकिन वो कभी अपने राष्ट्र-हित को दांव पर नहीं लगाती !कभी ये लोग तीसरा मोर्चा बनाते हैं तो कभी महागठबंधन !संसद को ना चलने देना ,दुश्मन देशों के मन को बहाने वाले कुकृत्य करना ,दुश्मन के पक्ष को मजबूत करने वाले बयान देना इनका काम हो गया है आजकल !सोशल मीडिया की सक्रियता ने इन्हें नंगा करके रख दिया है !
                         आज संसद में जिस बेशर्मी से राजयसभा के उप-सभापति जी को धमकाया गया है ,खुला चेलेंज दिया गया है ,ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है ! पिछले कई सेशनों में ये देखा गया है कि "मिडिया-हाईप "हेतु पहले एक पार्टी का नेता जबरदस्ती बिना कोई नोटिस दिए नियमों को तोड़ते हुए ,अपना कोई मुद्दा रखता है ,फिर बड़ी चालाकी से बाकी के विपक्षी दल उसी मुद्दे को उठाते हैं !फिर शोर मचाकर संसद भंग करवा देते हैं ,ताकि सरकार अपने कोई बिल पास ना करवा सके और केवल उनको ही मीडिया महत्त्व दे ! और मीडिया ऐसा करता भी है ! ना केवल ऐसा करता है बल्कि वो इसे और ज्यादा बढ़ा-चढ़ा कर पेश करता है !जिससे वोभी इनका पार्टनर नज़र आता है !
                        पहले तो कुछ शर्म इनको आती थी दिखावे के लिए ,लेकिन आजकल तो सारे दुष्कर्म बड़ी बेशर्मी से ये लोग करते हैं !जैसे आज बहन मायावती ने किया और कांग्रेस ने उनकी मदद करि ! हुआ यूँ कि मायावती बिना कोई नोटिस दिए पुराणी घटना सहारनपुर के दंगों का मुद्दा उठाना चाहतीं थीं !माननीय उप-सभापति जी ने नियमों के अनुसार उन्हें रोका ,तो वो जबरदस्ती करने पर उतर आयीं !योजनानुसार अन्य  विपक्षी दलों ने उनका साथ दिया तो , मज़बूरी में उन्हें तीन मिंट का समय दे दिया गया ! लेकिन मायावती जी बोलती ही गयीं तो उप-सभापति जी ने उन्हें रोका तो लानत-फ्लानत करतीं वो रूठ कर चलीं गयीं ,ये कहते हुए की जिस संसद में दलितों को बोलने नहीं दिया जाता ,मैं उस सदन से त्यागपत्र देती हूँ !कांग्रेस ने इस नाटक को ज्यादा वजनी बनाने हेतु राजयसभा से वाक्-आउट कर दिया !बाकी काम देश का बिकाऊ-मीडिया करेगा ही !
                         पिछले 70 वर्षों से कमज़ोर वर्गों को  की सहयता ये देश दे रहा है !भारत के स्वर्ण लोग अपनी खून-पसीने की कमाई से आयकर भरते हैं ,उसका बड़ा हिस्सा इस काम हेतु दिया जाता है !आरक्षण के नामपर स्वर्ण जातियों के लोग अपने अधिकारों का त्याग करके इन दलितों को नोकरिया दिलाते हैं !इनको संसद में कितना बोलने दिया जाता है ,ये रिकार्डिंग निकलवाकर कभी भी देखा जा सकता है !सहूलियतों का दोहन किन लोगों ने किया ?कौन लोग आज भी वंचित रह गए हैं ,ये तो मूल्यांकन कभी इन फ़र्ज़ी दलित नेताओं ने करने नहीं दिया !लेकिन कभी भी दलितों के नाम पर अपनी रोटियां सेंकने से ये लोग बाज़ नहीं आते !
                           केवल 10 महीने संसद सदस्य के रूप में बहन मायावती जी के बचे हैं !आगे वो सदस्य नहीं बन पाएंगी !जनता ने उन्हें इस तरह से नकारा है !वो केवल एक ड्रामा करके शहर-शहर,गाँव-गाँव घूमना चाहतीं हैं ! रोना रोयेंगी की देखो दलित की बेटी के साथ अन्याय हुआ है !मुझे बोलने नहीं गया ,हमारी कोई इस देश में सुनता नहीं !सभी दल अगले चुनावों के मुद्दे बनाने में जुट गए हैं !लेकिन जनता धोखे में नहीं आने वाली ! जय हिन्द !!

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Thursday, July 13, 2017

"जो करना चाहिए ,वो करते नहीं,षड्यंत्र-फरेब अच्छा लगता है"! - पीताम्बर दत्त शर्मा (स्वतंत्र टिप्पणीकार)

   जबसे ये इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आया है ,तभी से भारत में जहाँ देखो उधर फरेब-षड्यंत्र ही नज़र आता है ! सोशल मीडिया ने इनके भेद खोले तो सही ,लेकिन अपने भेद बताये नहीं !शायद यही दुकानदारी है !जब किसी सार्वजनिक कार्य में दुकानदारी जुड़ जाती है तो वहाँ फिर फरेब और षड्यंत्र अपनी जगह अपनेआप बना लेते हैं !मज़े की बात ये है कि तब सच्चाई की बात भीफरेब और षड्यंत्र के साथ होती है !
                          अभी कल परसों दो दिन देश के "भरोसेमंद चैनल के विद्वान एंकर श्रीमान रविश कमर ने "फेक-न्यूज़"पर प्राइम-टाइम किया !मैंने सोचा अच्छा विषय है ,देखते हैं !लेकिन जैसे जैसे कार्यक्रम देखा ,तो ये विश्वास हो गया कि अब बिना फरेब के कोई कार्यक्रम देखने की आशा करना भी एक फरेब होता जा रहा है !उस कार्यक्रम में भाई लोग बातें अमेरिका की बता रहे थे और उदाहरण हिंदुस्तान के दे रहे थे !हद्द हो गयी ये तो !क्या ndtv वाले दर्शकों को बेवकूफ समझते हैं ?क्या बातें घूमना केवल यही लोग जानते हैं जो एंकर और रिपोर्टर होते हैं ?अजीब ज्ञान होता है इनके कार्यक्रमों में आनेवाले प्रव्क्ताओं,विशेषज्ञों और नेताओं का ?शर्म आने लगती है !इन टीवी वालों की मानें तो देश में कोई काम हो ही नहीं रहा !केवल हत्याएं,आगजनी,लूटपाट और भीड़ लिंचिंग ही कर रही है भारत की !
                              हालात ये हो गएँ हैं कि अगर किसी आदमी को सभी चैनलों की डिबेट्स दिखा-सुना दें तो वो आदमी सप्ताह में ही पागल हो जाए या हिंसक हो जाए !भारत की सरकार को ये देखना चाहिए कि ये मीडिया वाले अपने बनाये हुए नियमों का भी पालन कर रहे हैं या नहीं !चलती डिबेट में कोई भी एंकर,प्रवक्ता और विशेषज्ञ कुछ भी बोल जाता है !किसी भी छुट भइये नेता की बाईट लेकर , फिर उसपे उल-जलूल प्रतिक्रियाएं दिखाकर देश का माहौल बिगाड़ा जा रहा है !कोई जांच तो करे कि कौन इन सबकी "पटकथा "लिख रहा है ?किसके लिए ये लोग "तंदूर को तपाये"रखना चाहते हैं ?जबसे इस देश में "इंस्पेक्टर-राज"समाप्त हुआ है ,तभी से सब बदमाश लोग अपनी मनमर्ज़ियाँ करने में लगे हुए हैं !कोई तो पूछने वाला हो इस देश में ?
                            





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Saturday, July 8, 2017

"जनता हराती है,लेकिन वो हार नहीं मानते",क्या करें ? - पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

सृष्टि की रचना के समय से ही सत्ता प्राप्ति हेतु संघर्ष होते आये हैं !लेकिन लोग न्याय और सत्यता का लिहाज़ करते थे ! नैतिकता का ध्यान भी रख्खा जाता था !हमारे भारत के राजा महाराजा ,इतने संवेदनशील,कि राजा राम चंद्र बनवास चले गए ,राजपाट छोड़ कर ,पिता का वचन रखने हेतु!आदि,आदि,आदि सैंकड़ों उदाहरण मिल जायेंगे त्याग के हमारे गौरवपूर्ण इतिहास में ,मैं अपना लेख लम्बा नहीं करना चाहता यहां सबका ज़िक्र करके !लेकिन सन 1857 तक तो सभी शासकों ने त्याग करके देश की आजादी हेतु अपना सर्वस्व त्याग दिया ,अपने प्राणों की भी परवाह नहीं करी !लेकिन मुगलों और अंग्रेज़ों के शासन की समाप्ति तक ऐसे भी उदाहरण सामने आने लगे जिनमे सत्ता के लिए कत्ल और भ्रष्टाचार बढ़ते चले गए !
                       सन 1947 में सत्ता प्राप्ति हेतु ही बंटवारा हुआ इस देश का !लेकिन राजाओं ने उस समय भी त्याग करके देश को एक माला में पिरोने का काम भी किया !हमारा नया संविधान बना !मापदंड तय किये गए !लोकतान्त्रिक व्यवस्था तैयार की गयी !राष्ट्र की सेवा करने हेतु "जन-सेवक"चुने जाने की व्यवस्था बनाई गयी !जो जनहित के काम करेगा उसे जनता जिताएगी,और जो सेवाभाव से जनहित के काम नहीं करेगी,उसे जनता चुनावों में हरा देगी !हमारे "सयाने"संविधान निर्माताओं ने ऐसा ही सोचा था !उन्हें क्या पता था कि भारत में ऐसे-ऐसे राजनेता पैदा होजाएंगे कि "हारने पर वो घर नहीं जाएंगे शर्म के मारे ,बल्कि बेशर्मी को मुस्कुराहट से छिपाकर ये कहेंगे कि लोकतंत्र में हार-जीत तो लगी ही रहती है "!!
                   आजकल तो ना कोई पोलिस को कुछ समझता है और ना कोई इस देश के कानून को !जैसे भी सत्ता मिले उसे लेलो और जैसे पैसा आये ,आने दो !सैंकड़ों भ्र्ष्ट लोगों पर जांचें बिठा दी गयीं और सैंकड़ों जेल भी चले गए !लेकिन नेतागिरी ना उन्होंने छोड़ी और ना ही देश के लोकतंत्र के किसी "स्तम्भ"ने छुड़वाई !सब अपना हिस्सा लेकर चलते बने !भारत की जनता को बातों में घुमाकर बोंगा बनाकर रख दिया !
                               आज जनता को ईमानदारी से टेक्स देने की बात करने वाली सरकार अच्छी नहीं लग रही है ! लोगों को "ना खाऊंगा,ना खाने दूंगा"का नारा भी अच्छा नहीं लग रहा !जनता को तो कांग्रेस का "जियो और जीने दो"वाला नारा ही अच्छा लगता है जी ,जिसका असली अर्थ ये है की "आप भी खाओ और हमें भी खाने दो "!!तो देश भक्ति एवं ईमानदारी की बातें करके हम किसको बेवकूफ बना रहे हैं ?ये भ्रष्ट लोग हमारी इसी मानसिकता का फायदा उठाते हैं !और हम उनके गुलाम बनकर ,उन्हें सलाम बजाकर खुश हो जाते हैं !कोई नेता हमें मुस्कुराकर एक कप चाय पीला देता है तो हम अपने आपको ना जाने क्या समझने लग जाते हैं !
                           बदलो !! पहले अपनी मानसिकता को बदलो !लालच-स्वार्थ को अपने अंदर से निकाल बाहर फेंक दो !फिर जाकर ललकारो उन बेईमान नेताओं को !उनके भाषण सुनने मत जाओ !उनको मालाएं ना पहनाओ !भ्रष्टों का हुक्का-पानी बंद कर दो ! तब ये देश बचेगा अन्यथा ये मगरमच्छ खा जायेंगे भारत को !तब ना हम बचेंगे और ना तुम ! जय हिन्द !

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Thursday, July 6, 2017

"जिसका कोई नहीं , वो हिन्दु है"! - पीताम्बर दत्त शर्मा (स्वतंत्र-टिप्पणीकार)

एक फिल्म का गीत था कि "जिसका कोई नहीं,उसका तो खुदा है यारो !मैं नहीं कहता किताबों में लिखा है यारो ! बहुत ही अच्छा लगता था जब ये गीत फिल्म में अमिताभ बच्चन जी ने और असल में किशोर जी ने गया था ,या जब भी बजता था तो मन को एक शांति सी मिलती थी !क्यों? सवाल ये पैदा होता है कि क्यों हमें हिन्दू होते हुए भी शान्ति मिलती थी ,जब खुदा की तारीफ़ होती थी?क्योंकि हमें हमारे धर्म ने ये सिखाया कि अपने घर आये मेहमान का स्वागत करो!उसकी बात सुनो!उसे खाने-पहनने और सोने की जगह दो ! जितने दिन आपके पास रहना चाहे उसे रहने दो !आदि आदि !हमें ये भी बताया गया कि सत्य की हमेशां जीत होती है वोकभी मरता नहीं !शायद इसी विश्वास के चलते हमारे पुरखों ने अनेक छोटे मोटे धर्मों-पंथों को भारत में आने दिया ,बसने दिया और पनपने दिया !उस समय ये भी नहीं पता था किसी को कि ये देश केवल और केवल वोटों की गिनती पर चलेगा !राजनितिक दल और उनके नेता सभी राक्षसों का रिकार्ड तोड़ देंगे !सिर्फ ये देखेंगे कि वोट कैसे मिलते हैं और सत्ता कैसे हाथ में आती है !
                      येन - केन -प्रकरेण सत्ता चाहिए !अन्यथा हम दंगे करवाएंगे,बलात्कार,लूट-पाट ,हत्याएं खुलेआम करवाएंगे !सभी मूल संस्थाओं को गलत बताएंगे !भारतीय होते हुए भी भारत की संस्कृतिओं ,रीतियों-नीतियों को गलत बताएँगे !यहां तलक कि आवश्यकता पड़ने पर अपने बाप को भी बदल देंगे और माँ-बहन को भी लूट लेंगे मार देंगे !यही तो राक्षसीय गुण होते हैं !अब भारत हिन्दुओं का नहीं बाकी सबका है !अब लोग खुलेआम कहने भी लगे हैं कि हिंदुस्तान किसी के बाप का नहीं है !
                            लोकतंत्र में अगर विपक्ष को जनता सत्ता नहीं देना चाहती है तो क्या वो जनता को भड़काएंगे?दंगे करवाएंगे ?हिन्दुओं को किसी के भी बहकावे में नहीं आना चाहिए !मौजूदा राजनितिक दलों में से कोई भी पार्टी हिन्दुओं के हितों के लिए काम नहीं करती है !केवल इन सबको वोटों से मतलब है !इसलिए कोई भी हिन्दू किसी के बहकावे में आकर कोई उत्पात ना मचाये !केवल मेहनत करके देश के क़ानून के मुताबिक अपना जीवन बसर करे !अपने परिवार का ध्यान रख्खे !बचाव में ही बचाव है !किसी अनर्गल विरोध-प्रदर्शन का हिस्सा ना बनें !क्योंकि सच में यारो !!
                  "हिन्दुओं का कोई नहीं है !जब इस देश में राम के होने या ना होने पर ही सालों से फैसला नहीं हो पा रहा तो राम भी नहीं है !कोई अगर है तो वो खुदा है ! खुदा को याद करो ! वो ही बचाएगा हम हिन्दुओं को भी !भविष्य में "कल्कि-अवतार"प्रकट होगा !इन अत्याचारियों को समाप्त करेगा ! फिर हिन्दू राज्य स्थापित होगा !उतनी देर तलक फिलहाल होशियारी दिखाओ !! rss -भाजपा और शिव सेन से ही काम चलाओ ! बस ! इनको उतना ही अपने पास आने देना जितनी आपको अपनी सुरक्षा के लिए आवश्यकता हो !हमेशां याद रख्खो !ये सब मिले हुए हैं !हिन्दुओं का कोई नहीं है !
आपके क्या विचार हैं ???जनाब !अवश्य बताइयेगा !



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Saturday, July 1, 2017

"हमउं प्रवक्ता रहन अपनी पार्टीन का "!का समझे ?- पीताम्बर दत्त शर्मा ( लेखक-समीक्षक)

मित्रो ! एक लाईन बड़ी मशहूर हुई है कि "अगले जन्म मुझे बिटिया ही कीजो"! इसी तरह हमारे एक परम मित्र जो एक राजनीतिक पार्टी के प्रदेश पदाधिकारी हैं ,लेकिन फिर भी उदास -उदास से रहते हैं !कल मुझसे टकरा गए ! उनका कहना है कि हमारे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इतने मशहूर नहीं और समझदार नहीं हैं जितने हमारी पार्टी के प्रवक्ता लोग !क्योंकि इतने न्यूज़ चेनेल हैं उनमें इतने राजनीतिक बहस के कार्यक्रम आते हैं कि पूछिए मत !हर कोई उनके दिए गए वक़्तव्यों को सुनता समझता है और फिर प्रतिक्रिया देता है ! बड़े-बड़े नेता ज्यादा समझदार होते हुए भी पीछे बैठे रह जाते हैं ! इसलिए वो भगवन से यही मान करते नज़र आते हैं कि  हे भगवान् !!"अगले जन्म मुझे प्रवक्ता ही कीजो "!!अन्यथा इस गंदी राजनीति से हमें दूर ही रखियो !
                         मैंने कहा हे मित्र !ज्यादा लालच मत दिखाओ,प्रदेश पदाधिकारी हो ,ये कोई छोटी बात है ?वो बोले नहीं यार ! तुम नहीं समझोगे मेरे इस मर्म को !जब कोई टीवी चैनल  पर मुस्कुराता हुआ पार्टी की तरफ से किसी बात का जवाब देता है तो वो "मालिक"सा नज़र आता है !मैंने कहा कभी कभी वो गलत बोल दिए जाने पर फंस भी तो जाता है ! वो बोले कोई बात नहीं ,लेकिन इस देश की जनता तो प्रवक्ताओं को ही देखती-सुनती है ना !वो एक बार जो बोलना शुरू कर देते हैं ,तो उनको कोई रोक नहीं सकता ,सवाल चाहे कोई पूछा जा रहा हो ,उन्होंने अपना चुनावी भाषण ही बोलना होता है !अगर एक घंटे का कार्यक्रम होता है तो उनकी कोशिश होती है कि आधे से ज्यादा समय उन्हीं को ही मिले ! विषय चाहे कोई भी हो उन्होंने तो सरकारों को ही गलत बताना होता है !क्योंकि एक जनसभा करने में पार्टी के लाखों खर्च हो जाते हैं और टीवी चैनल पर लाखों लोग उन्हें देख-सुन रहे होते हैं !
 मैंने कहा ये तो सत्य है बचत तो होती है पार्टियों की !बीएस उनको मौका मिल गया !कहने लगे ,और क्या तुम कुछ नहीं जानते अगर राजनीति में तरक्की करनी है तो बस एक ही फार्मूला है !! वो है "पार्टी-प्रवक्ता"का रास्ता वर्ना ...!! राहुल गांधी भी कामयाब नहीं हो सकते ! मेरा तो उन्हें सुझाव है कि वो अपने ख़ास अधिकारों का प्रयोग करते हुए अपनी पार्टी के एकमात्र प्रवक्ता बन जाएँ ! देखा नहीं तुमने ,एक प्रेस-कांफ्रेंस को कोन्ग्रेस के पांच पांच प्रवक्ता सम्बोधित करते नज़र आते हैं आजकल !जब राहुल जी ही एकमात्र प्रवक्ता होंगे तो सोचो वो कितने व्यस्त हो जाएंगे ??हर चेनेल से उन्हें ही बुलावा आएगा !प्रसिद्धी आसमान छुएगी !और फिर उन्हें अगला प्रधानमंत्री बनने से कोई नहीं रोक पायेगा !मैंने लम्बी सी हूँ..........!!! करके अपना पीछा छुड़ाया !  



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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...