Wednesday, January 25, 2017

"चश्मा उतारो !! फिर देखो यारो"! - पीताम्बर दत्त शर्मा (स्वतन्त्र टिप्पणीकार) मो.न. +9414657511

आज एक समाचार ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि हम आज भी कितने "पुराने-ढर्रे"पर चल रहे हैं और दूसरों को भी हमारी ही  मुताबिक  देखना चाहते हैं !सतयुग-द्वापर और त्रेता युग की अच्छी-अच्छी बातें सुनेंगे-सुनाएंगे,और इतिहास की गहरी धूल में छिप चुके चन्द महापुरषों और वीरांगनाओं की कहानियों पर चलने हेतु अपनी अगली पीढ़ी के बच्चों को मजबूर करेंगे !क्या सन्त लोग , क्या नेता लोग, क्या समाजसेवी लोग और क्या महान पत्रकार-एंकर लोग चिल्ला-चिल्ला कर कहते दिखाई पड़ते हैं कि देखो उसने "विवादित"ब्यान दे दिया !उसने महिलाओं की भावनाओं को तार-तार कर दिया !वगैरह-वगैरह !!
                    लेकिन आज जिधर देखो उधर क्या बच्चे क्या बड़े ,अपनी सभी सीमाएं तोड़ते ही नज़र आते हैं ! लड़कों की गलतियां तो हम बड़े चटखारे ले-लेकर सुनाते फिरते हैं लेकिन जब लड़कियों की बात आती है तो हम उसपर "सौ -सौ मुलम्मे "चढाने लग जाते हैं !भारत के "महिला-आयोग "की महान चरित्रवादी बहनें टीवी पर आकर बड़े नेताओं को सम्मन भेजने की बातें करती हैं लेकिन उन "बुरी-महिलाओं"को सुधरने के कोई कदम उठती नज़र नहीं आतीं जिनके कारण हमारे "बेचारे-लड़के"खराब हो रहे हैं !भले ही आप मुझे मेरे इन विचारों पर सौ-दो सौ गालियां दे लेना लेकिन मेरे उठाये प्रश्नों का उत्तर अवश्य देना !
                 तो  ! दिमाग को सुन्न कर देने वाला समाचार ये है कि एक सुशिक्षित लड़की ने एक सुशिक्षित लड़के से प्यार कर लिया !आप कहेंगे इसमें क्या बड़ी या बुरी बात है ? उस लड़की ने अपनी जाति  से बाहर जाकर दूसरी जाती के लड़के से ना केवल प्यार किया बल्कि उसके साथ भाग गयी !आप फिर कहेंगे कि "फिर क्या हुआ"?लेकिन आगे सुनिये !वो लड़की भागते वक़्त अपनी माँ को साथ ले गयी !उसका प्रेमी अपने 4 साथियों सहित कुछ दूरी पर एक जीप में प्रतीक्षा कर रहा था !लड़की जब जीप के पास पहुंची ,तो लड़के ने हैरान होकर पूछा इनको साथ क्यों ले आयी ?तो वो शिक्षित युवा लड़की बोली मेरे पिता इसको तंग करते हैं इसलिए मैं इनको दुखी नहीं देख सकती मैं इनको मेरे ननिहाल के गाँव के बाहर छोड़ दूँगी !ये अपने "आधुनिक-मिलन"पर सहमत हैं !आप कहेंगे कि ये तो लड़की की समझदारी थी !लेकिन रुकिए हज़ूर कहानी अभी खत्म नहीं हुई है !हुआ गज़ब ये कि कुछ दूर चलके लड़की और उस लड़के को लगा कि ननिहाल में माँ को मामा भी तो तंग कर सकता है !तो क्या किया जाए ?वापिस गाँव जा नहीं सकते !तो उन "पढ़े-लिखे आधुनिक नोज़वानों"ने लड़की की माँ को एक नहर के किनारे जीप रोक कर , पुलिस चौकी के पीछे लेजाकर नहर में धक्का दे दिया !
                         उसके दोस्त पहले दोनों को लड़के के मामे के घर छोड़ने गए !लेकिन मामा ने उन्हें धक्के मार कर घर से निकाल दिया !बाद में पुलिस मेहनत करके उन्हें पकड़ लायी !तो राज़ खुला जी !अब कौन सी महिला योग की सदस्य और आधुनि पत्रकार उस मामे के खिलाफ f. i. r. करवाएगा !लड़का और लड़की दोनों "नेट"की परीक्षा देने पर एक दुसरे से मिले थे !लड़की तो कॉलेज में प्रथम आती थी !ये है असली समाचार -:
 सूरतगढ़ 25 जनवरी।
 अपने प्रेम को परवान चढ़ाने के लिए कॉलेज की बेस्ट छात्रा ने अपनी सगी मां को नहर में धक्का देकर मार डाला। यह घिनौना अपराध पुलिस ने खुलासा किया है। 
यह घिनौनी  घटना सूरतगढ़ सदर थाना इलाके के गांव सरदार  पुरा बीका की है। 
सुमन ने अपने प्रेमी कमल के साथ जाने से पहले अपनी मां को साथ लिया और इंदिरा गांधी नहर में धक्का दे दिया।




 सूरतगढ़ के उप पुलिस अधीक्षक मोहम्मद आयूब ने 24 जनवरी को पत्रकारों को बताया। इस पूरे प्रकरण में पुलिस ने सुमन उसके प्रेमी कमल व उसके साथियों जितेंद्र सुथार, नारायण रावत व बबलू को गिरफ्तार किया है।
 पुलिस उपअधीक्षक ने बताया कि कमल अपने साथियों जितेंद्र सुथार,नारायण रावत  व बबलू के साथ 6 जनवरी की रात को 10:30 बजे के करीब bolero गाड़ी से सरदारपुरा बीका पहुंचा। 
वहां सुमन अपनी मां को साथ लेकर गाड़ी में बैठी।
 वापसी में नहर पर गाड़ी रुकवा  कर कमल और सुमन उतरे। सुमन ने अपनी मां को भी उतारा। वहां नहर में मां को धक्का दे दिया गया।
 इसके बाद कमल सुमन को लेकर अजमेर में अपने कमरे में आया जहां वह किराए पर रह रहा था। वह अजमेर में एक सीए के यहां काम करता था। उसके बाद वह गांव में अपने मामा के घर गया लेकिन मामा ने उसे शरण नहीं दी।
 कमल और सुमन कई जगह होते हुए भावनगर अहमदाबाद गए। वहां उसके पुराने मित्रों ने उसे कमरा दिलाया।
 पुलिस ने बताया कि कमल और सुमन की मुलाकात 2015 में बीकानेर में हुई थी।                             ******************
                            किसका कसूर है ये सब जो हुआ उसमे ? क्या हमारी खोखली शिक्षा पद्धति या फिर खोखले सिद्धांत ?क्या फायदा है "बेटी-दिवस"माता-दिवस "और शिक्षक दिवस मनाने का ?? जीवन की सच्चाइयां कुछ और हैं और जो "दवाइयां"हम ले-दे रहे हैं वो कुछ और बिमारी का इलाज करती हैं !या नाकाम हैं !तो फिर क्या किया जाए ? मेरे हिसाब से तो दस-बीस साल भारत पर शासन करने का इतिहास बनाने का लालच त्याग कर हमारे "खेवनहारों"को हमारे आगे आनेवाली पीढ़ियों के मार्गदर्शन हेतु "नए-रास्ते और नए - कानून"बनाने पड़ेंगे !ये जो हम "तमाशे"करते रहते हैं या देखते-सुनते रहते हैं ना यही खराब करते हैं जी !
               राम-राम ! जय-हिन्द !! अच्छे दिन आएंगे !!

5th पिल्लर करप्शन किल्लर" "लेखक-विश्लेषक पीताम्बर दत्त शर्मा " वो ब्लॉग जिसे आप रोजाना पढना,शेयर करना और कोमेंट करना चाहेंगे ! link -www.pitamberduttsharma.blogspot.com मोबाईल न. + 9414657511

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