Wednesday, September 28, 2016

"अखियों"से नहीं बातों से गोली मारे नेता हमार ! - पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)मो.न. +9414657511

पाकिस्तान के खिलाफ जब जनता गोली का जवाब गोली से चाहती है तो हमारे विपक्षी और सरकारी नेता केवल बातों से ही गोलियां चला कर अपना काम निकाल रहे हैं !और उस पर तुर्रा ये कि हम सब उनको "समझदार" भी कहें !नेता जी !!"उल्लू ना बनायिंग"!!
                        "पुत्तर-प्रदेश"में मुलायम नेता जी से जब पार्टी नहीं चली और पुत्तर अखिलेश से सरकार नहीं चली तो पहले तो नेता जी ने शिवपाल और अखिलेश जी को स्वयं धमकाया , जब काम नहीं बनता दिखा तो लड़ाई-मार कुटाई से भरपूर एक ड्रामा भी किया गया !सबको दोबारा से "सेट"करने के बाद नेता जी ने अपने "अमर सिंह"को पार्टी का राष्ट्रिय महासचिव बनाकर सबको चौन्का दिया ! उन्होंने अमर सिंह को प्यार और लाड से उनकी छिपी हुई शक्तियों के बारे में बताया जैसे रामायण में हनुमान जी को उनकी शक्तियां याद करवाई गयीं थीं !वे बोले हे अमर सिंह -:
                     उठ सुस्ती छोड़ !खटिया उठा राहुल की !खुद को"मुलायम"बना !कोई चक्कर चला !जोड़कर तोड़कर !पनघट देख लार संभाल !मुखोटा लगा मौका ताड़ !चूक मत ! साइकिल उठा !! कोई करतब दिखा !सत्ता फिर से दिलाने का कोई इंतज़ाम कर !आज कर कल कमा !अकेला  जयाप्रदा और विद्या बालन को साथ लेले !फिसलन कहाँ है देख कर साथी ढूंढ !  तालमेल बिठा !'हाथी"से बच ! हाथ से हाथ मिला ! कमल को अंगूठा दिखा !कॉमरेडों  हंसिया - हथौड़ा पकड़ !बाली तोड़ टिकट बाँट ! समीकरण जमा !चाहे कोई बखेड़ा खड़ा कर !विवाद बढ़ ! नायकों को पकड़ !महानायक,पंडित के पाँव पकड़ !लखनऊ लाकर "नचा" !जात - पात देख !फुट डाल !राज कर और करवा ! बलि देख महा बलि देख !अब मत हिचक खुलकर बोल !किसी से भी डील कर , झंडा उठा डंडा दिखा !आँखें मिला !आँखें फेर या तरेर !कदम बढ़ा,आग लगा ,तीली दिखा !भड़क उठे तो पानी दाल !ठंडा कर खुद को आंक !गिरेबान में झाँक !कुछ भी बोल !आरोप जड़ मुंह खोल !मुद्दे उठा बना ,कांफ्रेंस कर !चिरौरी कर मख्खन लगा !मेहनत कर फल चख पैसा फैंक !तमाशा देख !फिर उत्तर प्रदेश की सत्ता मेरे पुत्तर को दिला शिवपाल को नहीं !
                        उधर कोंग्रेस्सी पता नहीं किसके नेतृत्व में , "PK"की सलाह पर खाट-यात्रा कर रही है !जिनके नाम आये थे वो तो कहीं दिखाई नहीं दे रहे , जूता बेचारे राहुल को पड़ा और माला पहले पहनाने के लिए हाथापाई तक हो गयी  और खाट बेचारी जनता के काम आ गयी !ये हालत कोंग्रेस की क्यों हुई ये भी हमसे जान ! लीजिये !जो हमने किसी से सुनी वो आपको  बता रहे हैं जी !
                            कहानी लंबी है क्योंकि कोंग्रेस ने राज भी 65 सालों तक किया है जी भारत पर !क्या हाल रख दिया है हिंदुस्तान का देखिये !-:
                  पूरे 65 सालों तक कोंग्रेस भारत पर तम्बू की तरह तानी रही,गुबारे की तरह फैली रही,हवा की तरह सनसनाती रही, बर्फ की तरह जमी रही ! कोंग्रेस ने अपनी मर्ज़ी का इतिहास अफसरों से लिखवाया,संसद और विधानसभा सदस्यों से पढ़वाया !जमकर उसका प्रचार अपने चेलों से करवाया !जर्रे जर्रे पर कोंग्रेस का नाम लिख्खा जाने लगा !रेडियो, टीवी, डॉक्युमेंट्री ,सरकारी बैठकों,सम्मेलनों में कोंग्रेस का नाम पढ़ा जाने लगा !कोंग्रेस हमारी आदत बन गयी क्योंकि दासों दिशाओं में कोंग्रेस की ही गूँज थी !हम सब दिलो-दिमाग और तोड़ से कोंग्रेसी हो गए !भारतवासियों के पेट में कोंग्रेस "गैस" की तरह समा गयी !आज जो देश के हालात हैं वो हमारे सामने हैं ! बुराई के गर्भ में कोंग्रेस ही है मित्रो !इसका और इतिहास आपको आगे बताता रहूँगा काफी लंबा है !जनता को बड़ा ही जागरूक बन कर रहना होगा अन्यथा हमारे "चोकीदार" ही हमें लूट ले जाएंगे !

 क्यों मित्रो !! आपका क्या कहना है ,इस विषय पर...??
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Saturday, September 24, 2016

"पाक"से युद्ध चाहने वाले देश भक्त हैं या नहीं चाहने वाले ?? - पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक) मो.न. - +9414657511

56"का सीना जो आजकल नापने वाले लोग हैं,उनके चाल,चेहरे और चरित्र की परीक्षा-समीक्षा शायद ही किसी पुरूस्कार वापिस करने वाले लेखकों, असहिष्णु बताने वाले अभिनेताओं,कामरेडों और समझदार दिखाई देने वाले पत्रकारों ने करने की कोशिश करि हो !कोशिश इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि ऐसा करने का "दम" तो कभी उनमें था ही नहीं !
                    जब से ये पकिस्तान नाम का देश पैदा हुआ है तभी से इसने हमें ना केवल परेशान किया है बल्कि पूरा-पूरा नुक्सान पहुँचाया है !इसीलिए भारत की जनता ने तो हर उस निर्णय का समर्थन ही किया है, जो इस निकम्मे पडोसी को सबक सिखाने वाला हो ! वो निर्णय चाहे पंडित जवाहर लाल नेहरू ,लाल बहादुर शास्त्री या फिर इंदिरा गांधी जी ने ही क्यों ना लिया हो !ना किसी ने पार्टी देखी और ना ही किसी ने अपना धर्म देखा ! लेकिन बड़े ही अफ़सोस के साथ ये कहना पड़ता है कि भारत में रहने वाले कुछ अफसर,नेता,अभिनेता,बौद्धिक लोगों ने चाहे अनचाहे , सीधे तरीके से या अनैतिक तरीके से पाकिस्तान का धन खाया हुआ है ,  उनकी कोई करतूतें पाकिस्तान के शरारती प्रशासक के पास रिकार्ड पड़ी हैं, जो वो ही कहते बोलते सुनते दिखाई पड़ते हैं जो पाकिस्तान चाहता है !
                          अभी कल ही रविश कुमार युवाओं से पूछते फिर रहे थी कि  से युद्ध होना चाहिए या नहीं ?और यह भी कहते घूम रहे थे की कुछ लोग और टीवी चेनेल वाले युद्ध का उन्माद फैला रहे हैं ! हमारे पास हथियार नहीं हैं हमारे पास पैसा नहीं है !आदि आदि ! वो ये तो कहते हैं कि मोदी जी ने बोला था कि दस सर काट कर लाएंगे या कड़ी कार्यवाही करेंगे , लेकिन ये नहीं कहते कि हम आपका दिल और तन-मन-धन से  समर्थन करेंगे !
                             जनता बेवकूफ नहीं है और नाही हमारे प्रिय प्रधानमंत्री !वो आँख के इशारे से ही दुश्मन का "पेशाब"निकलवा देंगे ! सही समय पर सही कदम अवश्य उठाया जाएगा !टीवी चेनलों की तरह नहीं कि  हम अपने सारे सामरिक भेद टीवी पर बताते फिरें !कोई पनडुब्बियों के प्रोग्राम बनाकर तो कोई विमानों पर प्रोग्राम बनाकर अपने आपको अग्रणी चेनेल होने का दिखावा करता रहता है !
                                 जनता को ऐसे अंदरूनी दुश्मनों से हमेशां सजग रहना पड़ेगा !ये लोग ऐसी ऐसी चालें चलेंगे जैसे ये हमारे हिट की बात कर रहे हों लेकिन ये लोग पकिस्तान की नीतियों को लागू करवाते हैं !

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Tuesday, September 20, 2016

"मोदी जी !सख्त कदम उठाने से पहले विपक्षियों से लिखित में समर्थन ले लेना "!- पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक) मो.न. + 9414657511

भारत की भावुक जनता,मीडिया और नेता आज भी और जब भी पहले कभी भारत के जवान शहीद हो जाते हैं ,तब कड़ी कार्यवाही करने हेतु बड़े जोर-शोर से कहने लगते हैं लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतने लगते हैं वैसे-वैसे तथाकथित "विश्लेषक और विशेषज्ञ"लोग संभावित कठोर कार्यवाही के "साईड-इफेक्ट"बताने लगते हैं और विपक्षी नेता उनकी आड़ में सरकार को चेताने भी लगते हैं !अपना समर्थन देते वक़्त बड़े अगर-मगर लगाने लग जाते हैं ! इसीलिए हमारे अटल जी बॉर्डर पर फौजें भेजकर भी  हमला नहीं कर पाए थे जब संसद पर हमला किया गया था !आज भी हमारे देश में ना जाने कौन कौन से "भेष" में पाकिस्तान के समर्थक छिपे बैठे हैं ! इसलिए मैं भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री जी को सचेत करना चाहता हूँ कि  "मोदी जी !सख्त कदम उठाने से पहले विपक्षियों से लिखित में समर्थन ले लेना "!युद्ध के इलावा जो भी विकल्प हों उनको अवश्य अपनाकर देख लिया जाना चाहिए ! जैसे "हुक्का-पानी बन्द कर देना"!बाकि आप समझदार हो जी !
                      मेरी मित्र लेखिका श्रीमती साधना वैद जी ने प्रधानमंत्री जी से एक मार्मिक अपील आज की है वो आपको भी पढ़नी चाहिए इसीलिए मैं साभार यहां प्रस्तुत कर रहा हूँ !


एक खत - मोदी जी के नाम



कुछ करिये मोदी जी ! अब तो कुछ करिये ! करोड़ों भारतवासियों की नज़रें आप पर टिकी हैं ! यह चुप्पी साधने का नहीं हुंकार भरने का समय आया है ! इस एक पल की निष्क्रियता सारी सेना का मनोबल और सारे भारतवासियों की उम्मीदों को तोड़ जायेगी ! इतने वीरों के बलिदान को निष्फल मत होने दीजिये ! शान्ति और अहिंसा के नाम पर कब तक हमारे वीर जवान अपनी जानें न्यौछावर करते रहेंगे और दिशाहीन, सिद्धांतहीन और निर्दयी आतंकवादी हमारे घर में घुसपैठ कर हमें तोड़ते रहेंगे ! यदि इस हमले का भी मुँहतोड़ जवाब न दिया गया तो विश्व भर में हमारी साख पर बट्टा लग जाएगा और उरी के वीर सैनिकों का यह बलिदान भी व्यर्थ हो जाएगा ! देश को आपसे बहुत आशाएं हैं ! उन्हें टूटने मत दीजिए ! हमारे वीरों की शाहदत का मान रखिये और शीघ्रातिशीघ्र किसी नतीजे पर पहुँच कर इस समस्या के समाधान के लिए प्रभावी कदम उठाइये ! 

शहीद को सलाम 

मान बढ़ा कर देश का, लौटा वीर जवान
सोया है ताबूत में, करके जाँ कुर्बान !

जान गँवाई वीर ने, जमा शत्रु पर धाक
मातम छाया देश में, हुआ कलेजा चाक !

सीने में हैं गोलियाँ, क्षत विक्षत है देह
जान लुटा कर देश पे, आया अपने गेह !

बाँध कफ़न सिर पर चले, सैनिक वीर जवान
मातृभूमि के वास्ते, करने को बलिदान !


साधना वैद
                        *********************************
 " आकर्षक - समाचार ,लुभावने समाचार " आप भी पढ़िए और मित्रों को भी पढ़ाइये .....!!!

मेरा मोबाईल नंबर ये है :- 09414657511. 01509-222768. धन्यवाद !!
आपका प्रिय मित्र ,
पीताम्बर दत्त शर्मा,
हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार,
R.C.P. रोड, सूरतगढ़ !
जिला-श्री गंगानगर।

Posted by PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE

Saturday, September 17, 2016

राजनीतिक सत्ता में समाया भारत का लोकतंत्र !!


राजनीतिक सत्ता में देश की जान है तो ये देश के लोकतंत्र का राजनीतिक सच है। जहां संसद में लोकसभा और राज्यसभा के कुल सदस्य 786 हैं। तो देश में विधायकों की तादाद 4120 है। देश में 633 जिला पंचायतों के कुल 15 हजार 581 सदस्य हैं। तो ढाई लाख ग्राम सभा में करीब 26 लाख सदस्य हैं। यानी सवा सौ करोड़ के देश को चलाने वाले यही लोग है, जिनकी तादाद मिला दी जाये ये ये 26,20,487 है। और इससे सौ गुना ज्यादा यानी 36 करोड 22 लाख, 96 हजारलोग गरीबी की रेखा से नीचे हैं। जो उन्हीं गांव, उन्हीं शहरों में रहते हैं जिन गांवों से जिला और शहर दर शहर से लेकर दिल्ली की संसद में बैठने के लिये हर सीट पर औसतन 10 से बारह लोग चुनाव लड़ने के लिये मैदान में उतरते ही हैं। यानी जितने लोग राजनीतिक तौर पर सक्रिय होते है, उनकी तादाद करीब तीन करोड़ 20 लाख तक होती है। और हर चुनाव लड़ने वाले के पीछे अगर दो लोग भी मान लिये जाये तो करीब साढे छह करोड़ लोगों की रुचि राजनीतिक सत्ता पाने की होड़ में जुटने की होती है। यानी देश के लोकतंत्र का दो ही सच है। एक तरफ राजनीतिक सत्ता पाने की होड में सक्रिय छह करोड़ लोगों से चुनाव के वक्त पैदा होने वाला रोजगार। जो गाहे बगा देश के 10 करोड़ लोगों को राजनीतिक कमाई के लिये सक्रिय तो कर ही देता है। और दूसरी तरफ अगर बीपीएल और एपीएल परिवारों के सच को समझें तो 78 करोड़ लोगों की जिन्दगी दो जून की रोटी मिले कैसे, उसी में कटती है। और देश का नायाब सच यह भी है कि मौजूदा वक्त में देश में 80 करोड़ वोटर है । और वोटर सबसे ज्यादा युवा हैं ।  और उसमें सबसे ज्यादा बेरोजगार युवा वोटरों की तादाद है। जिनके लिये देश 10 से 15 हजार रुपये महीने की नौकरी देने की स्थिति में नहीं है। क्योंकि देश में चपरासी की नौकरी के लिये ग्रेजुएट और इंजीनियरिंग की डिग्री वाले भी अप्लाई कर रहे है। 


यानी देश की राजनीतिक सत्ता में जो शामिल है या फिर राजनीतिक तौर पर जिसने खुद को सक्रिय कर लिया उसे दो जून की रोटी के लिये तरसना नहीं होगा क्योकि राजनीतिक लोकतंत्र देश में सबसे बडा रोजगार है। क्योंकि संसद से लेकर ग्रामसभा में चुनाव लडने के लिये जो पैसा खर्च करने की इजाजत है, वह ना तो समाज से मेल खाता है ना देश की इक्नामी से। लेकिन यही लोकतंत्र है। 30 से 45 दिनो के चुनाव प्रचार के दौर में बकायदा इजाजत है कि कि संसद के चुनाव में 70 लाख रुपये हर उम्मीदवार खर्च कर सकता है । विधानसभा चुनाव में 28 लाख रुपये हर उम्मीदवार खर्च कर सकता है । तो जिला पंचायत चुनाव में 5 लाख रुपये खर्च कर सकता है। और ग्राम सभा में 25 से 40 हजार रुपये तक गर उम्मीदवार खर्च कर सकता है। तो देश में लोकतंत्र का मिजाज ही उस राजनीतिक सत्ता की चौखट पर खड़ा कर दिया गया है जहा पैसा होगा तो राजनीतिक सत्ता का दरवाजा खुलेगा ।  राजनीतिक सक्रियता होगी तो ही रोजगार की जरुरत नहीं होगी । यानी दुनिया के सबसे बडे लोकतंत्रिक देश भारत का सच यही है कि यहा के राजनेता दुनिया के सबसे पुराने लोकतांत्रिक देश अमेरिकी सत्ता से भी रईस है। लेकिन जिस लोकतंत्र को लोगों के लिये संवैधानिक तंत्र बनाकर जीने के अधिकार से जोड़ा गया, वह लोकतंत्र है कहां, ये सवाल 15 सितबंर यानी विश्व लोकतांत्रिक दिवस के दिन खोजना बेदह मुश्किल है। क्योंकि भारत में लोकतंत्र अगर चुनावी राजनीतिक सत्ता में बसता है, तो वह है कितना दागी ये सवाल खुद ही  प्रधानमंत्री बनते ही नरेंद्र मोदी ने उठाया था। जब जून 2014 में उन्होंने में संसद में कहा कि साल भर में हर वह सांसद जिस पर कोई मुकदमा चल  रहा है वह अदालत में निपटा कर पहुंचे।

लेकिन ढाई बरस बीत गये और संयोग ऐसा है कि अब उस पर जवाब देने का वक्त आ गया है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और चुनाव आयोग से पूछा है कि क्या दोषी नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए? दरअसल, याचिका में कहा गया है कि दागी नेताओं के मामलों की सुनवाई एक साल के भीतर हो और नेता दोषी पाए जाएं तो उन पर आजीवन पाबंदी लगाई जाए। तो अब जवाब मोदी सरकार को देना है कि वो इस मामले में क्या चाहती है। ये सवाल इसलिए अहम है क्योंकि एडीआर की रिपोर्ट बताती है कि मोदी सरकार में ही 78 में से 24 मंत्री दागी हैं। तमाम राज्यों के 609 में से 210 मंत्री दागी हैं। इनमें 113 मंत्रियों पर तो गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। और देश  की विधानसभाओं में 1258 विधायक दागी हैं। यानी यह राजनीतिक लोकतंत्र का ही कमाल है कि अपराध या भ्रष्टाचार राजनेता करें तो कोई फक्र किसी को
नहीं पड़ता। लेकिन लोकतंत्र के पर्व पर यानी राजनीतिक चुनाव के वक्त यही मुद्दा हर जुबा पर होता है । चाहे चुनाव कही हो अपराध , भ्रष्ट्रचार का जिक्र हर कोई करता है । याद किजिये बीजेपी ने यूपीए के दौर में घोटालो की फेरहिस्त बतायी थी । सत्यम घोटाला ,खाद्यान्न घोटाला ,हसन अली टैक्स चोरी,आदर्श सोसाइटी घोटाला,कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला, टूजी स्पैक्ट्रम  घोटाला, कोयला घोटाला,सिंचाई घोटाला । और हर घोटाले पर आवाज बुलंद करते हुए दिल्ली ,से लेकर मुबंई तक में दोषियों को जेल में ठूंसने की बात कही  गई। लेकिन हुआ क्या। और ये सिर्फ मोदी सरकार या केजरीवाल सरकार भर का नहीं है । महाराष्ट्र में तो सिंचाई घोटाले की आवाज सबसे जोर से मौजूदा सीएम देवेन्द्र फडनवीस ने ही उठाई थी । झारखंड में खनन घोटाले की आवाज
मौजूदा सीएम रधुवर दास ने ही उठायी थी । हरियाणा चुनाव में राबर्ट वाड्रा के खिलाफ बीजेपी ने क्या क्या नहीं कहा। लेकिन हुआ क्या। कोई जेल नहीं गया । आरोप प्रत्यारोप ही राजनीतिक सत्ता पाने के तरीके बना दिये गये । और इसे ही लोकतंत्र का राग मान लिया गया ।

और लोकतंत्र कैसे सियासी परिवारों के ताने बाने में उलझ जाता है यह नजारा खुले तौर पर बिहार यूपी में अब नजर भी आ रहा है । यूपी के सीएम अखिलेश परेशान है चचा शिवपाल से । बिहार के सीअम नीतिश कुमार परेशान है सहयोगी आरजेडी के सर्वौसर्वा लालू के राजनीतिक मिजाज से । शिवपाल खडे है अमर सिंह के साथ जिसे अखिलेश पचा नही पा रहे है । तो लालू खड़े है शहाबुद्दीन के साथ, जिसे नीतिश पचा नही पा रहे हैं। दोनों का दर्द अपने अपने तरीके से छलक रहा है। लेकिन यूपी के 20 करोड़ और बिहार के 10 करोड़ लोगों के सामने कौन सी मुश्किल है, इस पर जद्दोजहद करने की जगह दोनो ही उलझे हैं अपनी अपनी सत्ता को बेदाग बताने में । यानी सत्ता के परिवारों के लिये अपना लोकतंत्र और जनता का लोकतंत्र अलग । क्योकि बिहार यूपी के तीस करोड लोगों के दर्द को समझे तो शिक्षा, स्वास्थ्य , बिजली, पानी, उघोग हर क्षेत्र में दोनों राज्य इतने फिसड्डी
है कि देश के 29 राज्यो की फेहरिस्त में दोनों ही राज्यो की हालत हर क्षेत्र में बीस के उपर ही है । मसलन शिक्षा के क्षेत्र में यूपी का नंबर 23 वां है तो बिहार 29 वे नबंर पर । बिजली में यूपी 24 वें नंबर है तो बिहार 29 वें नंबर पर । पीने के पानी में यूपी का नंबर 28 वा है तो बिहार का नंबर 26 वां । उघोग के क्षेत्र में यूपी 22 वें नंबर है तो बिहार 25 वें नंबर पर । हेल्थ में यूपी 25 वें नंबर पर है तो बिहार 24 वेम नंबर पर । यानी न्यूनत जरुरतों से भी यूपी बिहार के लोग महरुम है । लेकिन लोकतंत्र का जामा पहनकर दोनों राज्यों की राजनीतिक सत्ता इसी में खोयी है कि कैसे सरकार बनी रहे या कैसे चुनाव में जीत मिल जाये क्योंकि लोकतंत्र का मतलब ही देश में राजनीतिक चुनाव को माना गया है। तो दुनिया में अबूझ लोकतंत्र के इस मॉडल को बिना देखे-समझे ही संयुक्त राष्ट्र ने 15 सितंबर को विश्व लोकतांत्रिक दिवस करार दे दिया। तो ठहाके लगाइये !

Friday, September 16, 2016

"जल हेतु जलाया जायेगा हमारा भारत"!क्यों ? - पीताम्बर शर्मा (लेखक-विश्लेषक) + 9414657511

मित्रो ! हमारे भारतीय संविधान में ये स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि जितने भी खनिज पदार्थ हमारी धरती के गर्भ में हैं , जितने भी और जीवन स्रोत हैं , सब पर पूरे देश के वासियों का अधिकार है ! और तो और हमारे भारत के अंदर जो भी चीज़ है चल-अचल,जीवित या बेजान सब पर पहला हक़ हमारी भारत सरकार का है !
                                    लेकिन हमारे देश के राजनेता अपने स्वार्थ सिद्धि हेतु हर कायदा-कानून तोड़ने से ज़रा सा गुरेज़ भी नहीं करते !अभी हाल ही में उपद्रवियों ने कर्नाटक में करोड़ों का नुक्सान कर दिया जबकि पानी के बंटवारे हेतु सर्वोच्च-न्यायालय ने स्पष्ट निर्णय दे रक्खा है !देश में सक्रिय देशद्रोही जो हमारे बीच में ही छिपे हुए रहते हैं !वो इसी तरह के मौकों की ताक में रहते हैं !उनका भरण-पोषण विदेशी ताकतों के धन से पनप रहे कुछ समाजसेवी संगठनों और भ्रष्ट नेताओं द्वारा किया जाता है ! ये सब बेहद शर्मनाक कार्य है !
                              पिछले कुछ दिनों से पंजाब के टीवी चेनलों पर पानी पर ऐसे ही भड़काने वाले विज्ञापन भी दिखाए जा रहे हैं !उन्हें ना तो राज्य सरकार बन्द करवा रही है और ना ही केंद्र सरकार ! लेकिन उसका असर अगले चन्द महीनों बाद चुनावों के नज़दीक नज़र आ सकता है जब कोई राजनितिक दल पंजाब-हरिया और राजस्थान को पानी नहीं दिए जाने हेतु आंदोलन चला देगा !फिर तोड़-फोड़ और आगजनी भी हो सकती है !देश की सुरक्ष एजेंसियों को जागरूक हो जाना चाहिए और केंद्र एवम राज्य सरकारों को अपने सभी मसले बातचीत से वक़्त से पहले हल कर लेने चाहियें अन्यथा हम अपने दुर्भाग्य को कोसते ही रह जाएंगे !
                            जबकि असल में इन भावी समस्याओं के लिए हम ही जिम्मेदार होंगे !हमारी सरकारों को ऐसे उपद्रवी तत्वों और उनके पोषक तत्वों की पहचान पूरे भारत में करके सख्त कार्यवाही करनी चाहिए !ये जांच का विषय तो  लेकिन देश की सुरक्षा का भी विषय है !
               जय - हिन्द !! जय भारत ! वन्दे मातरम !
प्रिय मित्रो !सादर नमस्कार !कुशलता के आदान-प्रदान पश्चात जिन भी मित्रों का आज जन्म-दिन या विवाह दिवस है , उनको मेरी तरफ से हार्दिक बधाई और शुभ कामनाएं !आप अपने ब्लॉग "फिफ्थ पिल्लर करप्शन किल्लर"को बहुत पसंद कर रहे हैं,रोज़ाना इसमें प्रकाशित लेखों को पढ़ कर शेयर करते हैं ,उन पर अपने अनमोल कॉमेंट्स भी देते हैं !उस सब के लिए भी आपका हार्दिक आभार प्रस्तुत करता हूँ !इस ब्लॉग का लिंक ये है - www.pitamberduttsharma.blogspot.com 
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Tuesday, September 6, 2016

क्या हिन्दू धर्म में जाती प्रथा सही है ?| जानिये क्यों ????

पहले हम जानते हैं इसके बारे में अंग्रेजों द्वारा फैलाई गयी आम धारणा क्या है वह यह है के हिन्दू समाज से मनुस्मृति में लिखा है ४ तरह की जाती होती हैं ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य , शुद्र इनमे ब्रह्मा जी के सिर से ब्राह्मण , छाती ,बाजुओं से क्षत्रिय , पेट से वैश्य तथा पैरों से शुद्र पैदा हुए हैं और हिन्दू धर्म में शूद्रों पर सदियों से बहुत अत्याचार हुए हैं और उन्हें पढने भी नहीं दिया गया और गुलाम बनाकर रखा गया इसलिए अब इन्हें आरक्षण दे दिया गया ताकि ये अत्याचार का बदला ले सकें | संक्षिप्त भाषा में यही अधिकतर भारतीय भी आज समझते हैं जो मेकाले की शिक्षा पद्दति से पढ़े हुए हैं पर सच क्या है आइये जानते हैं :-
सबसे पहली बात जाती और वर्ण दो अलग अलग चीजे हैं जातियां वर्णों में आती हैं जैसे की कुम्हार , सुतार , बढ़इ, लोहार , नाइ, धोबी , पंडित आदि कई जातियां हैं तथा वर्ण चार हैं ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य , शुद्र अब जिन मूर्खों ने इन्हें जाति या कास्ट कहा , वो यहीं गलत साबित हो गए | अगली बात ये चार वर्ण हर देश हर समाज में होते हैं और इन्ही से समाज चलता है ये सिर्फ हिन्दुओं में नहीं हैं सब जगह हैं, प्रश्न उठता है कैसे तो एक एक करकर यह समझते हैं - पहली बात तो यह है की वर्ण जन्म के आधार पर नहीं कर्म और अपने कार्यक्षेत्र के हिसाब से बनाये गए हैं |
मैंने इन्हें बारीकी से समझने के लिए कई लोगों से इसे जाना तथा इसे आज की आसान से आसान भाषा में यहाँ समझाया है ताकि हर कोई इसे समझ सके क्योंकि सबसे अधिक झगडे इन्ही बातों को लेकर हैं तो आइये जानते हैं इन्ही के क्रमानुसार सबसे पहले ब्राह्मण | 

ब्राह्मणों में वो लोग आते हैं या आते थे या आते हैं जो दिमाग से अधिक श्रम करते हैं अर्थात वैज्ञानिक वर्ग , शिक्षक वर्ग , लेखक , मनोवैज्ञानिक , सुलह कराने वाले , पंडित तथा वेदों – उपनिषदों या विज्ञान की आयुर्वेद की खोज करके इनकी किताबे आदि ग्रंथो को लिखने और समझने तथा औरों को आसान भाषा में समझाने वाले, यह वर्ग ब्राह्मण कहलाता है जो की हर समाज में तथा देश में होता आया है |

क्षत्रिय :- यह वर्ग प्रशासन को सँभालने वाला अर्थात प्रशासक वर्ग होता है जैसे राजा उसका मंत्रिमंडल , सैनिक , सेनापति , ख़ुफ़िया विभाग , योद्धा आदि | यदि आज की भाषा में बात करूँ तो राजनैतिज्ञ , सेना , पुलिस , कलेक्टर, आदि सरकारी अफसर और सेना के सभी लोग | इनका काम देश को या राज्य को सही तरह से चलाना तथा समय आने पर अपने प्राण देकर भी देश की और आम जनता की रक्षा करना होता है | इन्हें इसी के लिए तैयार किया जाता है , तथा यह अपना पूरा समय देश को या राज्य को कैंसे सुखी एवं समृद्ध बनाया जाए इसी कार्य में लगाते हैं | यह भी हर देश में होता है |

वैश्य :- अब बुद्धिजीवी हो गए तथा सैनिक हो गए प्रशासक हो गए पर देश में अन्दर कार्य कैसे चलेगा क्या सामान बनेगा , क्या बिकेगा इसलिए वैश्य होते हैं यानी व्यापारी जो व्यापार करते हैं अर्थात क्या वस्तुएं समाज के लिए आवश्यक हैं उन्हें बनाकर बेचने का कार्य इनके हाथों में होता था | मूलतः इनमे किसान , लोहार , कुम्हार , कपडे बनाने वाले , सुतार , सुनार आदि आते थे | आज की भाषा में उद्योगपति जिनका कार्य अनाज , कपडे , मशीन आदि बेचना तथा कारखाने खोलकर बनाना होता है | यह वैश्य कहलाते हैं | यह भी अत्यंत आवश्यक हैं समाज में इसलिए सभी देशों में पाए जाते हैं |

शुद्र :- अब प्रशासक , बुद्धिजीवी , व्यापारी यह तीनो कार्य सँभालने वाले जब किसी भी व्यवस्था को मिल जाते हैं तो अंत में जरुरत होती है इनकी मदद करने वालों की अर्थात इनके यहाँ नौकरी करने वालों की जैसे की कारखाने में कितने लोग काम करेंगे , किसान के यहाँ , राजा के यहाँ , सभी प्रकार के व्यापार में कार्य करने हेतु इन्हें तनख्वाह देकर रखा जाता है ताकि इनका भी घर चल सके | इनकी तनख्वाह इनके द्वारा किये गए कार्यों पर निर्भर करती है | यह कहलाते हैं शुद्र | जैसे आज सभी लोग बड़ी बड़ी सॉफ्टवेर कंपनियों के कार्य करते हैं या वाल्ल्मार्ट में या किसी भी कंपनी में वो कही भी काम करें कितना भी पैसा कमायें, पर कही भी जिनका खुदका कोई व्यापार नहीं है जो तनख्वाह पर काम करते हैं वह शुद्र होते हैं | इस हिसाब से आज अधिकतर लोग शुद्र हैं और पड़-लिख कर नौकरी करके शुद्र बनना चाहते हैं और विरोध करते हैं हिन्दू धर्म में शुद्र वर्ण का | अदभुत है ना ?
मनुस्मृति एवं ऋग वेद में क्या लिखा है फिर

अब ऐसा कही भी नहीं लिखा न वेदों में ना मनुस्मृति में के शूद्रों पर अत्याचार करो उन्हें मारो या दबाकर रखो वहां बस यह चार वर्ण दिए हैं जो हर समाज को चलाने के लिए आवश्यक हैं | अब आते हैं ब्रह्मा जी वाली कहानी पर तो उसमे लिखा है उनके मुख से ब्राह्मण उत्पन्न हुए अर्थात चेहरे से जहाँ दिमाग होता है मतलब समाज के वो लोग जो बुद्धिजीवी हैं कलाकार हैं , वैज्ञानिक हैं आदि ( यहाँ कोई सरनेम या उपनाम नहीं लिखा है शास्त्रों में ) वह लोग जो अपनी बुद्धिमता का प्रयोग समाज के हित में करते हैं इसलिए उन्हें मुख से उत्पन्न कहा गया | फिर क्षत्रिय इन्हें बाजुओं से छाती से उत्पन्न कहा गया क्योंकि यह यह सेना में लड़ते हैं हमारे शरीर में भी ताकत हाथों और छाती में होती है इसलिए क्षत्रियों को हाथों और छाती से उत्पन्न बताया गया | फिर वैश्यों को बताया गया के वह पेट से उत्पन्न है अर्थात जिस तरह पेट के लिए ही सब लोग कार्य करते हैं तथा उसी जगह माँ की कोख में बच्चा पैदा होता है उसी तरह समाज में व्यापारी ही धन की अनाज की उत्पत्ति करते हैं इन्ही के कारण बाकी के तीन वर्ण कार्य करते हैं तथा लड़ते हैं, जिस तरह शरीर में इसी पेट को पालने के लिए इंसान कमाई करता है इसीलिए वैश्यों की उत्पत्ति उदर या पेट से बताई गयी अंत में शुद्र को पैरों से उत्पन्न बताया गया अर्थात यह वह लोग हैं जिनके आधार पर पूरा समाज टिका रहता है यदि किसी के पैर कर जाए तो वह आगे नही बड सकता उसके हाथ भी भीख मांगने पर मजबूर हो जाते हैं पेट की खातिर | इसी तरह व्यापारी , बुद्धिजीवी तथा , राजा इन तीनो को ही अपने साथियों की आवश्यकता होती है बिना इनके सहयोग के यह कुछ भी नहीं हैं इसीलिए जिस तरह किसी भी घर के निर्माण में उसकी नीव आवश्यक होती है इसी तरह शरीर में पैर या फिर एक समाज में शुद्र आवश्यक होते हैं यही वेदों में या ऋग्वेद में पुरुश्सुख्त में लिखा है तथा यही मनुस्मृति में लिखा है | पर अंग्रेज इसे समझ नहीं पाए और किताबों में गलत लिख दिया उसी की पढाई करकर कुछ काले अंग्रेज भारतीय भी उसी ढांचे को मानते चले गए जो गलत था और आज भी इसी कारण हिन्दू धर्म को गालियां देते हैं पर असल में यह ढांचा पूर्ण रूप से कर्म आधारित है और कोई भी बड़ा या छोटा नहीं है बल्कि सभी के परस्पर सहयोग से समाज चलता है |

*फूट डालो राज करो नीति *

इसी को अंग्रजों ने फूट डालो राज करो की नीति के तहत बदल दिया एवं वह यह लिखवा दिया ब्राह्मण और क्षत्रिय ऊँचे कुल के हैं तथा यह शूद्रों पर अत्याचार करते हैं और इन सबको आपस में लडवा दिया | क्योंकि ब्राह्मण और क्षत्रिय अंग्रेजो की चाल समझ कर उनसे लड़ाई लड़ रहे थे इसलिए उन्हें उन्ही के लोगों द्वारा ख़त्म करने की साजिश रची गयी जिसमे विल्बरफ़ोर्स, टीबी मेकाले , मैक्स मूलर आदि लोगों ने बड़ी भूमिका निभाई इन्होने भारत के असली शास्त्रों में बदलाव कर दिए एवं कई लेख खुद की भाषा में लिखे और कई शोध कार्य गलत व्याख्याओं पर करवाए एवं उन्हें अपने भारत के बच्चों को पढाया जिससे भारत में दो वर्ग पैदा हो गए एक वो जो शूद्रों से नफरत करते थे दुसरे वो जो ब्राह्मणों से एवं क्षत्रियों से नफरत करते थे यह आज तक चला आ रहा है तथा कई लोगों का इस लड़ाई का फ़ायदा उठाकर अंग्रेजो ने धर्म परिवर्तन करा दिया तथा उनको उत्तर पूर्वी राज्यों में अब यह सिखाया जा रहा है की भारत से अलग एक देश की मांग करो यह सब तो दुसरे धर्म के हैं इसके लिए कई संस्थानों को विदेशों से पैसे आते है ताकि भारत को तोड़कर एक कमजोर देश बनाया जा सके | 
एक और मजेदार बात यह है के अंग्रेजो ने वैश्यों को भी शुद्र लिख दिया जैसे , बड़ई, सुतार , लोहार जबकि यह तो व्यापारी वर्ग था अब आप ही सोचिये आज आदिदास, रिबोक नाईकी आदि जूता कंपनी के मालिको को आप चमार बोलेंगे क्या और कहेंगे वो नीच जात है नहीं ना उसी तरह चमार वर्ग वह था जो जुते बनाता था तथा चमड़े से सम्बंधित सारे कार्य करता था जैसे जुते, चप्पल , हाथी घोड़े बैल के ऊपर बिछाने का कपडा महल की घर की वस्तुए खेत की वस्तुए आदि तथा उसका दर्जा उतना ही था जितना की आज आदिदास या रीबोक के मालिक का समाज हर जाती का सम्मान करता था अब भंगी का लीजिये मैंने कई भंगियों से बात की तो पता चला के वो सब क्षत्रिय हैं तथा जब मुग़ल आये और उन्होंने इनको हरा दिया कुछ हिन्दू राजाओं की ही गद्दारी के कारण तन मुगलों ने इनके सामने शर्त रखी या धर्म परिवर्तन करो या फिर हमारी गंदगी उठाओ तब इन सब राजाओं ने गंदगी उठाना मंजूर किया मगर धर्म परिवर्तन नहीं इसके बाद कई सालों तक मुगलों ने फिर अंग्रेजो ने इनसे तथा इनकी पीड़ियों से यही कार्य करवाया जिससे इनके आत्मसम्मान और आत्मविश्वास में बहुत कमी आई
और बाद में अंग्रेजो ने अपना पल्ला झड़ने यह इल्जाम फिर ब्राह्मण और क्षत्रियो और वैश्यों पर लगा दिया के इनके कारण इनकी बुरी हालत है यह तो शूद्रों पर अत्याचार करते हैं और भंगी , चमार शुद्र हैं जबकि चमार , सुतार , लोहार आदि बड़े व्यापारी हुआ करते थे तथा इनके द्वारा बनाया गया माल सारी दुनिया में भेजा जाता था तथा बदले में सोना आता था जिसके कारण भारत सोने की चिड़िया था इनके इसी व्यापार को अंग्रेजो ने नष्ट किया ईस्ट इंडिया कंपनी खोलकर इन्होने एक कंपनी के बाद कई कंपनियां भारत में खोली तथा भारत के सभी व्यापारियों के धंधे समाप्त करते गए या उन्हें मरवाते गए तथा आज़ादी आते आते यह हालत हो गयी के सभी व्यापारी सड़क पर आ गये तथा मुश्किल से गुजारा करने लगे | अब जब अंग्रेजों के जाने की बारी आई तो इन्हें डर लगा की कही ये हमसे इस ज्यादती का बदला ना लें , तो इन्होने फिर कई किताबों में उल्टा सीधा लिखकर इन सबको शुद्र बना दिया तथा जो उस समाज में अमीर या थोड़े संपन्न थे उन्हें ऊँची जाती का बना दिया और लिख दिया के ऊँची जाती के लोग नीची पर अत्याचार करते हुए आये हैं और जिन्हें नीची जाती का बनाया उनके बच्चों को भी इंग्लैंड में बुलाकर पढाया शोध करवाया इन चीजो पर के कैसे तुम्हे दबाया गया यह लिखो सब तैयार किये गए आंकड़ो से उनको भ्रमित किया तथा भारत भेजकर दोनों तरफ की सोच के लोगों को बड़ा नेता बनवा दिया पैसे भेजकर जिससे वो लड़ते रहें तथा आज भी लड़ रहे हैं | यही ब्राह्मणों और राजाओं के बच्चों को सिखाया यह शुद्र है यह तुम्हारा राज्य हड़पना चाहते हैं तुम्हे ख़त्म करना चाहते हैं इन्हें दबा कर रखो वरना तुम्हे ख़त्म कर देंगे तो जो अंग्रेजो की मेकाले की शिक्षा पड़कर आये वो सचमुच इन जातियों पर अत्याचार करने लगे तथा इन्ही कुछ लोगों के द्वारा किये गए अत्याचारों को बड़ा चढ़ा कर पेश किया जाता रहा है तथा आज भी इन्ही पर शोध होते हैं पेपर लिखे जाते हैं भले ही कितने ही विवेकानंदा , दयानंद , शंकराचार्य , गाँधी आदि ने जाती प्रथा की कुरीतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी हो पर यह बात अंग्रेज नहीं चाहते फैले वो चाहते हैं सिर्फ नफरत फैले जिससे भारत टूटे और कमजोर हो जिससे उन्हें वापस आने का मौका मिल सके | पर हिन्दू धर्म के बुद्धिजीवी जो सच्चाई जानते हैं के जातियां कर्म के आधार पर थी आगे लगे हुए उपनाम तो गाँव का या पिता का या कुल का नाम था | यह जानने वाले हिन्दू लोग आज भी जाती प्रथा को समर्थन करते हैं तथा अंग्रेजों की चाल को नाकामयाब करना चाहते हैं | वह चाहते हैं के बड़ई, कुम्हार , लोहार , सुतार ,सुनार , जुलाहा , पंडित , सैनिक आदि सभी जातियां भारत के हर गाँव में फिर खडी हो जाए तथा सामान तीव्र गति से बनाने लगे तो , एक साल में भारत इतना सामान बना देगा की सारे भारत के ही नहीं सारे विश्व के व्यापार पर हमारा कब्ज़ा हो जाएगा तथा सभी आत्म निर्भर हो जायेंगे हम नौकरी नहीं करेंगे हम अंग्रेजो से नौकरी करवाएंगे इसके लिए हमें हर जाती को तथा उसके द्वारा किये जाने वाले व्यापार , कार्य या उद्योग को संरक्षण देना होगा तथा आज की तकनीकों के हिसाब से विकसित करना होगा यह हो सकता है पर यदि जाती प्रथा समाप्त हो गयी तो भारत का बहुत सारा प्राचीन ज्ञान लुप्त हो जाएगा तथा कई लोग विदेशी धर्म अपना लेंगे फिर देश से अलग होने की बात करेंगे या फिर वो जो धर्म अपनाएंगे वह धर्म जिस देश से आया होगा उसी देश की संस्कृति तथा उद्योगों की वकालत करेंगे जिससे देश टूट जाएगा देश बचाना है तो जाती बचानी होगी इसलिए हिन्दू समाज जातियों का समर्थन करता है | हमारा मानना है की वर्ण और जातियां रहनी चाहिए बस अन्याय और शोषण नहीं होना चाहिए सभी जातियों और वर्णों में हर व्यक्ति को हर काम करने तथा चुनने की आजादी होनी चाहिए एवं दूसरी जाती में विवाह की आज़ादी भी होनी चाहिए जिसे वेदों में गंदर्भ विवाह कहा गया है तथा कोई किसी को छोटा या बड़ा न माने सभी बराबर हो तथा साथ मिलकर देश और समाज के हित में कार्य करें | 



नोट :- हिन्दू समाज जाती प्रथा और वर्ण व्यवस्था का समर्थक है पर किसी पर भी हो रहे अन्याय का शोषण का समर्थन नहीं विरोध करता है तथा सभी इंसानों को एक सामान मानता है तथा जो लोग गलत करते हैं या किसी भी इंसान को दबाकर रखते हैं उनको सजा दिलाने के पक्ष में है तथा इस अंग्रजों द्वारा फैलाई गयी मानसिकता को बदलने के लिए तथा प्राचीन वैदिक व्यवस्था को वापस लाने के लिए प्रयासरत है |

हर हर महादेव  जय - हिन्द !! जय भारत ! वन्दे मातरम !
प्रिय मित्रो !सादर नमस्कार !कुशलता के आदान-प्रदान पश्चात जिन भी मित्रों का आज जन्म-दिन या विवाह दिवस है , उनको मेरी तरफ से हार्दिक बधाई और शुभ कामनाएं !आप अपने ब्लॉग "फिफ्थ पिल्लर करप्शन किल्लर"को बहुत पसंद कर रहे हैं,रोज़ाना इसमें प्रकाशित लेखों को पढ़ कर शेयर करते हैं ,उन पर अपने अनमोल कॉमेंट्स भी देते हैं !उस सब के लिए भी आपका हार्दिक आभार प्रस्तुत करता हूँ !इस ब्लॉग का लिंक ये है - www.pitamberduttsharma.blogspot.com 
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कृपया इसी तरह इस ब्लॉग को मेरे गूगल+,पेज,विभिन्न ग्रुप ,ट्वीटर और फेस बुक पर पढ़ते रहें , शेयर और कॉमेंट्स भी करते रहें क्योंकि ये ही मेरे लिए "ऑक्सीजन"का काम करती है ! धन्यवाद !आपका अपना - पीतांबर दत्त शर्मा !



Thursday, September 1, 2016

"अच्छा !! तो"आप" ऐसे थे"!!??- पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)मो.न. +9414657511

सच्च बात है केजरीवाल जी !"किसी के माथे पर नहीं लिखा होता कि कौन चोर है और कौन शरीफ ! आप कह रहे हो कि हमने तीन स्तर पर जांच करवाकर ही टिकट दी थी !क्या पता वो मंत्री बनने के बाद बुरा बन गया हो" !क्या आप अपनी "वो"जांच रिपोर्ट"जनता के सामने प्रस्तुत कर सकते हैं ? आप कहते हैं संदीप कुमार को मैंने आधे घण्टे में हटा दिया, लेकिन वो कहते हैं कि "मैंने नैतिकता के आधार पर त्याग-पत्र दिया है ! उनका तो ये भी कहना है कि दलित होने के कारण उन पर ये षड्यन्त्र से भरा हमला हुआ है"!कहाँ हैं आज देश के तथाकथित "दलित रक्षक"? वो कब संदीप कुमार बाल्मीकि के घर जाकर अपनी संवेदनाएं और दस-बीस लाख रुपया देंगे ?केजरीवाल जी की महिला अधिकारों से लड़ने वाली स्वाति मालीवाल, कन्हिया कुमार राहुल गांधी ,बरखा दत्त,अभय दूबे,रविश कुमार,अंजना,पूण्य प्रसुन वाजपेयी और स्वयम केजरीवाल जैसे छिपे हुए कॉमरेड क्यों नहीं एक दलित को बचाने हेतु आगे आ रहे ?
           संजय सिंह ने तो और भी ज्यादा हद्द क्र दी जब उन्होंने अटल जी को भी नहीं बक्शा अभद्र टिप्पणी करने से !कुल छह मंत्रियों में से तीन को तो आपने स्वयम हटा दिया केजरी वाल जी !21 विधायक आपके बुरे काम करने के जुर्म में अदालतों के छककर काट रहे हैं ! आप स्वयं मानहानि के केसों में फ़सेँ हुए हैं ! फिर भी आपको शर्म नहीं आ रही !?? क्यों ?? धन्य हैं आप, और धन्य है दिल्ली की जनता, जो अपने घरों से इतना होने पर भी बाहर नहीं निकल रही है! बस !! कुछ राजनितिक दलों के कार्यकर्ता ही प्रदर्शन करते दिखाई दे रहे हैं ! अगर टीवी चेनलों के "बाजार"की मजबूरी ना होती तो वो भी इस खबर को नहीं दिखाते कि एक वीडियो में"दिल्ली का महिला कल्याण मंत्री स्वयं ही "कल्याण"करते पकड़ा गया ! 
 हे!! रे !! श्याम मुरारी बंसरी वाले !! ये क्या करवा रहा है कलयुग में ?चुनाव आयोग और सर्वोच्च न्यायालय को आगे आना होगा ! राजनीतिक दलों की मनमानियों पर लगाम लगानी होगी !अन्यथा "मूल्य"गिर जाएंगे ! और देश "गर्त" में चला जाएगा !! बता देता हूँ !चेता देता हूँ !!होशियार देश के सभी रक्षको!! जिनके पास भी इस देश की रक्षा करने की जिम्मेदारी है, वो सब सचेत हो जाएँ !   जय - हिन्द !! जय भारत ! वन्दे मातरम !
प्रिय मित्रो !सादर नमस्कार !कुशलता के आदान-प्रदान पश्चात जिन भी मित्रों का आज जन्म-दिन या विवाह दिवस है , उनको मेरी तरफ से हार्दिक बधाई और शुभ कामनाएं !आप अपने ब्लॉग "फिफ्थ पिल्लर करप्शन किल्लर"को बहुत पसंद कर रहे हैं,रोज़ाना इसमें प्रकाशित लेखों को पढ़ कर शेयर करते हैं ,उन पर अपने अनमोल कॉमेंट्स भी देते हैं !उस सब के लिए भी आपका हार्दिक आभार प्रस्तुत करता हूँ !इस ब्लॉग का लिंक ये है - www.pitamberduttsharma.blogspot.com 
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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...