Monday, August 8, 2016

"वो लाये थे , तूफ़ान से कश्ती , निकाल के "... !! - पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक) मो.न. +9414657511

सन 1857 के मंगल पांडे से लेकर महात्मा गांधी तक ना जाने कितने लोगों के दिलो-दिमाग पर भारत माता के रूप में छायी हुई थी ! किसी ने उग्र संघर्ष से तो किसी ने अपने शान्ति से असहयोग करके अपनी भारत माता को अंग्रेजों की जंजीरों से मुक्त करवाया था !ऐसे जांबाज़ देश भक्तों की संख्या लाखों में थी , लेकिन आज हम मात्र 20-50 लोगों के  ही जानते हैं !बाकियों को हमने अपने राजनितिक दलों के नेताओं की संकीर्ण सोच के कारण याद  रख पाए हैं !चाचा नेहरू जी और शास्त्री जी के शासन तलक तो 5000 शहीदों का रिकार्ड हमारी सरकार के पास था ! आज भी इंडिया गेट पर उनके नाम अंकित हैं !लेकिन उसके बाद हमारे नेताओं ने शहीदों को भी अपनी  लिया !क्योंकि इस देश पर ज्यादा कोंग्रेस ने शासन किया इसीलिए आज देश केवल कोंग्रेसी देश भक्तों के बारे में ज्यादा जानता है !
                                    आज देश के कई प्रदेशों को भी इन नेताओं ने अपनी जागीर मान लिया है ! उत्तर प्रदेश को मायावती और मुलायम जी ने ,बिहार को लालू और नितीश जी ने ,पंजाब को बादल साहिब ने,उड़ीसा को नवीन पटनायक जी ने और ऐसे ही बहन ममता , कॉमरेड, जयललिता,और चँद्रबाबू नायडू  ने भी अपने प्रदेशों पर अपना ही अधिकार समझ रख्खा है ! इन प्रदेशों की जनता भी लगभग ऐसा ही मानती है !यानिकि हमारी मानसिकता आज भी गुलामी से ही भरी हुई है !यानी तब उन शहीदों ने जो तूफ़ान से कश्ती हेतु जो अपना जीवन दान किया था उसे हमने आज असफल कर दिया है !
                       आज हमारे प्रधानमंत्री जी के मन में जो भावना है ,उसको सफल बनाने में सहयोग करने की बजाए रुकावटें ही खड़ीं की जा रही हैं ! इस काम में भजपा और उसके सहयोगी संगठन के नेता भी शामिल हैं !क्यों ???क्यों उनको देश की भलाई हेतु काम नहीं करने दिया जा रहा है ??क्यों उन्हें और उनकी पार्टी को शंका की दृष्टि से देखा जा रहा है ?जबकि भारत की जनता ने उन्हें और उनकी पार्टी को अपना भरपूर समर्थन देकर जिताया है ?  मुझे एक गीत की लाइन याद आ रही है कि "मैं कहता डंके की  चोट पे ,अपना हरी है हज़ार हाथ वाला वो दीनदयाला " ...!! ये बिलकुल वैसा है जैसे "हरि" नहीं  हज़ार हाथों वाले देश के दुश्मन हो गए हैं ! और मोदी जी को उन सबसे लड़ना पड़ रहा है ! "वो" कह गए कि "हम लाये हैं तूफ़ान से , कश्ती निकाल ,के देश को रखना मेरे बच्चो सम्भल के "...!! लेकिन हमने इस देश को ही बेच खाया !! किसने हमें ऐसा बनाया ??हम इतने निर्दयी तो नहीं थे ?? क्यों हमारे अंदर का इंसान मर गया ??क्यों हम इतने कठोर और स्वार्थी हो गए ?किसने हमें ऐसी शिक्षा दी ? माता-पिता,सन्तों और शिक्षक ने तो नहीं दी हमें ऐसी शिक्षा ! कौन ले गया हमें झूठी आधुनिकता  ओर ??क्या "पाश्चात्य-सभ्यता " का अँधा-धुंध अनुकरण इसके लिए दोषी हैं या फिर पुराने नेताओं ने ही हमें "चोर"दिया ?? जवाब किससे मांगे ??????मित्रो !! आप कुछ बता सकते हैं इस बारे में तो अवश्य बताइयेगा अपने अनमोल कॉमेंट्स लिख कर हमारे ब्लॉग में !!
            जय - हिन्द !! जय भारत ! वन्दे मातरम !
प्रिय मित्रो !सादर नमस्कार !कुशलता के आदान-प्रदान पश्चात जिन भी मित्रों का आज जन्म-दिन या विवाह दिवस है , उनको मेरी तरफ से हार्दिक बधाई और शुभ कामनाएं !आप अपने ब्लॉग "फिफ्थ पिल्लर करप्शन किल्लर"को बहुत पसंद कर रहे हैं,रोज़ाना इसमें प्रकाशित लेखों को पढ़ कर शेयर करते हैं ,उन पर अपने अनमोल कॉमेंट्स भी देते हैं !उस सब के लिए भी आपका हार्दिक आभार प्रस्तुत करता हूँ !इस ब्लॉग का लिंक ये है - www.pitamberduttsharma.blogspot.com 
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2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (10-08-2016) को "तूफ़ान से कश्ती निकाल के" (चर्चा अंक-2430) पर भी होगी।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. भारत की राजनीति विवेक सम्मत और पारदर्शी रही ही ?

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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...