Monday, May 2, 2016

आज अगर "नारद"होते तो क्या वो "सत्य"बोल पाते ? - पीतांबर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक) मो.न. -+919414657511

सतयुग,त्रेता और द्वापर तक तो सभी देवताओं का इस धरा पर आना जान था , पृथ्वी मात भी अपना दुःख सुनाने भगवन विष्णु के लोक में पंहुच जाया करती थी ! यहां तलक कि ऋषि-मुनि भी अपनी बात सीधे तौर परकिसी भी देवता से कर सकते थे ! कोई "बिचोलिया"या नेता बीच में नहीं होता था ! कोई कोर्ट या वकील नहीं करना पड़ता था और ना ही कोई धरना-प्रदर्शन करना पड़ता था !! समस्या का समाधान सीधे देवता लोग कर दिया करते थे !कलयुग आने के बाद प्रभु जी ने अपना सिस्टम पता नहीं क्यों बदल दिया ? 
                       कलयुग के आने पर भगवान् को पता था कि अगर वे "प्रत्य्क्ष"इस कलयुगी जनता को दिखाई दे गए तो ना तो उनकी इतनी "इज्जत"रहेगी और ना ही उनका ये परमात्मा वाला पद बचेगा ! सो उन्होंने कुछ देवताओं को तो जनता के सामने प्रत्य्क्ष आने दिया , जैसे जल देवता, वायु देवता,सूर्य देवता और पृथ्वी माता आदि !और कुछ देवताओं को आकाश में ग्रहों के रूप में स्थापित करदिया गया ! जैसे  शुक्र-शनि,बृहपति और राहु केतु आदि !बाकि सब अपने अपने अपने गृह-स्थानों की और रवाना हो गए ! संसार को सात जन्मों के और चौरासी लाख योनियों के चक्कर में उलझा गए !
                    परमात्मा जब इस सृष्टि के नियमों को बदल सकता है तो हम 1951 में बने इस संविधान,धरना-प्रदर्शनों में आजतक क्यों फंसे हुए हैं ?जब देवताओं से गलतियां हो जाती थीं तो क्या उनसे नहीं हुई होंगी जिन्होंने हमारे और हमारी आगामी आनेवाली पीढ़ियों हेतु ये निकम्मा सिस्टम बना दिया ?आज हर व्यवसाय या क्षेत्र से जुड़े लोग इतने डॉ चुके हैं की कोई भी उन्हें डराकर अपनी इच्छानुसार कार्य करवा सकता है !या फिर वो इतने लालची और  स्वार्थी हो चुके हैं कि "कीमत"सही हो तो हर कोई बिकने को तैयार बैठा है !हम बुरे को बुरा कहना ही भूल गए हैं क्यों ?
                तो आज नारद जी से भी "पत्रकारिता"नहीं होनी थी मित्रो !!वो भी किसी "रावण - कंस या शकुनि मामा की हाजरी भर रहे होते !आज जिधर देखो उधर ऐसे समाचार दिखाई पड़ते हैं कि सर भन्ना जाता है !अंत में मैं तो यही कह हूँ कि - 'हे भगवान् !!अगर प्रलय आने के बाद ही सब सुधरना है तो आज ही प्रलय ला दो मैं "अच्छे दिनों "के आने हेतु मरने को तैयार हूँ !
           जय-हिन्द !! जय - भारत ! वन्दे -मातरम ! 
 "5th पिल्लर करप्शन किल्लर"वो ब्लॉग जिसे आप रोज़ाना पढ़ना,बाँटना और अपने अमूल्य कॉमेंट्स देना चाहेंगे !लिंक- www.pitamberduttsharma.blogspot.com.

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (04-05-2016) को "सुलगता सवेरा-पिघलती शाम" (चर्चा अंक-2332) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

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