Tuesday, September 15, 2015

"अबला क्या ऐसे सबला बनेगी "?? - पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक) मो. न. - 9414657511

पाठक मित्रो ! कल से दो समाचार ऐसे आ रहे हैं , जिनमें एक महिला देहरादून में और एक महिला हरियाणा में "सोमरस"पीकर आम जनता और पोलिस वालों को अपना सबला होना दिखा रही हैं ! ऐसा नहीं है कि ये पहली बार हुआ हो ! हम अपने इतिहास में अगर "गहरी-नज़र" डालें तो विभिन्न कालान्तरों में कई महिलाओं ने अपने अबला होने के लेबल को हटाने की कोशिश की है ! पुरातन काल में जब माँ दुर्गा जी को क्रोध आया था तो उन्होंने माँ काली का रूप धार लिया था ! फिर उन्होंने जो राक्षसों को मारा , तो देवताओं को भी लगने लगा की हमारा भी नंबर आ सकता है तो वो भगवान शंकर से प्रार्थना करने लगे कि प्रभो आप ही हमें बचाओ ! विनती सुन भोलेनाथ माता के गुजरने वाले रास्ते में लेट गए और जैसे ही काली के पैर उनपर पड़े तो उनका क्रोध शांत हुआ और वो वापिस साधारण रूप में आये !
                         ऐसे ही कई माननीय महिलाएं अपने आपको "माता" घोषित कर देती हैं ! शुरुआत उनके घर से ही होती है उसके बच्चे , सब बड़े छोटे उसको "माताजी-माता जी "बुलाने लग जाते हैं और पत्र-पुष्प-दक्षिणा और प्रशाद चढाने लगते हैं !यहाँ तलक कि उसका पति भी उसे "माता जी "बुलाने लग जाता है ! ऐसा होते देख पहले पडोसी फिर शहर वाले और फिर दूर वाले सब "जय माता दी " करने लग जाते हैं !ये अभी अबला से सबला बनने की एक क्रिया मात्र है !इस कार्य का तीसरा तरीका आजकल नेता-अफसर बनकर भी किया जाता है !मतलब तो पुरुष पर रौब झाड़ने और अपना हुकुम चलने से होता है ! कुछ पुरुष तो अपनी महिला को घर में ही संतुष्ट कर देते हैं उसके सारे आदेश शब्दशः मानकर !और जिन महिलाओं को फिर भी न्याय नहीं मिल पाता उन्हें देश के "संविधान"के मुताबिक हमारा महिला आयोग न्याय दिलवाता है बशर्ते  में कोई बड़ी आसामी फांसी हो ! ताकि टीवी चैनलों और समाचार पत्रों में दो-चार दिन बढ़िया स्थान मिल सके महिला-आयोग की सदस्य महिलाओं को ! यानी वो भी सबला दिखने का प्रयास मात्र ही हैं !
                                  नक़ली बाबे, संत,डेरे वाले और उनके "चेले-चेलियाँ" , ये सब भारतीय समाज की विकृतियाँ हैं जो विकृत हो चुके मर्द-औरत के रिश्तों को छिपकर संतुष्टि प्रदान करवाती हैं ! नक़ली तरीके से भूत-प्रेत की छाया का आना और फिर उसका जाना भी इसी बात का दूसरा उदाहरण है !आजके आधुनिक तरीकों से सेक्स प्राब्लम दूर करने वाले डॉक्टरों और मनोचिकत्स्कों का उद्ग्म हुए कितना समय हुआ है ? उससे पहले भारतीय उपमहाद्वीप में ये समस्याएं ऐसे ही हल हुआ करतीं थीं ! कोई सेब वाला बाबा था तो कोई केले वाली माता !हर धर्म के अनुयाइयों में तरह-तरह के पीर-फ़क़ीर हुआ करते थे जिनका काम ऐसी पर्सनल जिज्ञासाएँ शांत करना ही होता था !डाक्टर लोग भी मानते हैं की "हार्मोन्स"की गड़बड़ी से महिलाएं उन चंद दिनों में ज्यादा सेक्सी और गुस्से बाज़ हो जाती हैं !इनको फिर शांत करना मुश्किल काम हो जाता है !शायद इसीलिए हमारे रिश्तों में भी "देवर-भाभी और जीजा साली"का रिश्ता ऐसा बनाया गया है कि अगर कोई दुर्घटना घट जाए या कोई सेक्स प्रॉब्लम हो जाए तो ये आपस में एक-दुसरे का "भला"करते जाएँ !और किसी को कानो कान खबर भी ना हो ! पर्दा भी बना  भी हो जाए , सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे !
                        लेकिन आजकल टीवी चैनलों के बार-बार दिखाने और आप पार्टी के कार्यकर्ताओं के नाटक करने की आदत को देखकर हर "महिला-पुरुष कुछ भी करके "बस "खबर" बनना चाहते हैं ! फिर वो किसी चेनेल में बहस के दौरान पुरुष को थप्पड़ मारने की ही घटना ही क्यों ना हो !अब प्रश्न ये पैदा होता है कि "लड़ाकू-झगड़ालू-भ्रष्ट औरतों "को भी हम सच्ची-आदर्शवादी और अच्छे चरित्र वाली महिलाओं के बहाने बक्श देंगे ??क्या हम उन्हें नारी शक्ति का अपमान होना कहकर बचाएंगे ?? आप ही बताओ मित्रो !! मैं तो जय माता दी बोलूंगा !अन्यथा महिला आयोग की अध्यक्ष जी मुझे सम्मन भेज देंगी !! क्योंकि मैं भी तो एक बड़ी मशहूर हूँ ! राम-राम-राम !!!!!!!!!!
                         


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आपका अपना - पीताम्बर दत्त शर्मा -(लेखक-विश्लेषक), मोबाईल नंबर - 9414657511 , सूरतगढ़,पिनकोड -335804 ,जिला श्री गंगानगर , राजस्थान ,भारत ! इस पर लिखे हुए लेख आपको मेरे पेज,ग्रुप्स और फेसबुक पर भी पढ़ने को मिल जायेंगे ! धन्यवाद ! आपका अपना - पीताम्बर दत्त शर्मा , ( लेखक-विश्लेषक) मो. न. - 9414657511

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