Monday, August 31, 2015

"काट खाये सैयाँ हमारो, चोरों सी सूरतिया पकड़ो नहीं जात "! - पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक) - मो. न. 9414657511

           "सैयाँ"मतलब हमेशां साथ देने वाला , चाहे फिर वो जीवन साथी हो,कोई दोस्त हो या कोई नेता ! सभी ये वादा करते हैं कि हम साथ निभाएंगे लेकिन नित नए "धोखे"जनता के सामने आ रहे हैं !जीवन का हर मोड़ खतरों से भरा पड़ा है !इतने "स्टाईल" से लोग अपना काम कर जाते हैं कि बेचारे धोखा खाने वाले को ये पता ही नहीं चलता,कब उसकी पीठ में छुरा घोंपा जा चुका है !सभी रिश्ते अपनी मर्यादा खोते जा रहे हैं ! इसीलिए आज मैंने ये शीर्षक बनाया है कि - "काट खाये सैयाँ हमारो, चोरों सी सूरतिया  पकड़ो नहीं जात "!
                        सभी राजनितिक दलों में सैंकड़ों की संख्या में ऐसे विधायक, साँसद एवं पदाधिकारी हैं जिन पर भारतीय क़ानून के मुताबिक अपराधिक मामले चल रहे हैं ! उनके सक्रिय कार्यकर्त्ता कितनी संख्या में अपराधी प्रकृति के हैं अगर कोई ये जांचने को निकल पड़े तो 60 %से भी ज्यादा ऐसे "कारीगर"लोग मिल जाएँगे , जो महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हुए हैं !अचरज तो इस बात पर है कि कोई उन्हें हटाना भी नहीं चाहता !क्योंकि हाई-कमाण्ड जानता है कि जैसे ही ऐसे कार्यकर्ताओं को उनके पदों से हटाया गया तो स्वयं उनकी ऐश परस्ती बंद हो जाएगी !सादगी से रहने वाला नेता तो भूतकाल की बात हो गयी है ! नेता ही क्यों पहले तो सरकारी अफसर,पत्रकार,डाक्टर,मास्टर और पुलिस का काम करने वाले लोगों का जीवन भी इतना साधारण होता था कि अभिमान तो पैदा ही नहीं होता था !और आज हमारे लालू जी और चौटाला जी को ही देख लो अपराधी साबित हो जाने के बावजूद कैसे "भाषण"देते हैं और हम भी उनको डरकर "जी" बुलाते और लिखते हैं !
                           जनता भी अब इनके जैसी ही बनना चाहती है इसीलिए हर काम में शॉर्टकट ढूंढती है !अनैतिक रास्ते से भी इनको आज कोई परहेज़ नहीं है ! अभी दो दिन पहले एक लड़की को टीवी चैनल वालों ने ये कहते हुए दिखाया कि किसी लड़के ने चौक पर उससे बद्तमीजी करी , केजरीवाल साहिब ने उस लड़की को झट से 5 लाख रूपये देकर बहादुर घोषित कर दिया , पुलिस ने लड़के को धार्मिक उपदेश सुनाकर छोड़ दिया क्योंकि अपराध इतना बड़ा था ही नहीं ! लेकिन कल सोशियल-मीडिया पर तस्वीरें वायरल हो गयीं कि ये दोनों "आप"के सदस्य हैं और ndtv. के एक कार्यक्रम में रविश कुमार के साथ भाग ले रहे हैं !भगवान ही बचाये ऐसे नाटक बाज़ों से !सभी पार्टियां चुनावों में "क्या किया है?जो नहीं किया , वो क्यों नहीं किया गया ?और क्या करेंगे "?ये बताने की बजाये , पता नहीं क्या ऊल-जलूल बाके जा रहे हैं ! जनता ही सबक सिखाएगी अगर वो , जातिवाद, धार्मिक-उन्माद और इलाकेवाद के झांसे में ना फंसी तो ! जय राम जी की बोलना पड़ेगा !
                  




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Friday, August 28, 2015

पुरुषोत्तम अग्रवाल जेएनयू से रिटायर हुए तो उस समय उनके विदाई समारोह में भी नामवरजी शामिल नहीं हुए !! साभार - श्रीमान जगदीश्वर चतुर्वेदी जी !

नामवरजी का पुरुषोत्तम अग्रवाल की षष्ठिपूर्ति के कार्यक्रम में न जाना !

नामवर सिंह के स्वभाव को जो लोग जानते हैं उनको पता है कि वे बात के पक्के हैं, यदि किसी कार्यक्रम के लिए हाँ कर दी है तो जरूर जाते हैं, लेकिन इस बार पुरुषोत्तम अग्रवाल की षष्ठिपूर्ति के कार्यक्रम में वे नहीं गए।
असल कारण तो नामवरजी जानें, हम इतना जानते हैं कि जिस समय पुरुषोत्तम अग्रवाल जेएनयू से रिटायर हुए तो उस समय उनके विदाई समारोह में भी नामवरजी शामिल नहीं हुए वे उस समय शिलांग में थे। उनका सचेत फ़ैसला था कि वे पुरुषोत्तम के विदाई समारोह शामिल नहीं होंगे। संयोग की बात थी उस समय मैं उनके पास था और उन्होंने अपने मन की अनेक कड़वी मीठी यादें बतायीं।
Purushottam Agrawalउस समय उनका जो रूप मैंने देखा वह काबिलेतारीफ था। नामवरजी का पुरुषोत्तम की षष्ठिपूर्ति में न जाना उनके शिलांग में व्यक्त किए गए नीतिगत रुख़ की संगति में उठाया गया क़दम है। उनके फ़ैसले से उनके आलोचनात्मक रुख़ के प्रति विश्वास और पुख़्ता हुआ है।
पुरुषोत्तम अग्रवाल साठ के हुए,  हम चाहेंगे वे सौ साल जिएँ,  उनको हम सामाजिक जीवन में हमेशा सक्रिय देखकर ख़ुश होते हैं। लेकिन सामाजिक भूमिका, सरकारी भूमिका और साहित्यिक भूमिकाओं के बीच घल्लुघारे से बचना चाहिए।एक व्यक्ति के नाते नामवरजी को लोकतांत्रिक हक़ है कि वे कहाँ जाएँ या कहाँ न जाएँ यह वे तय करें। नामवरजी के किसी के जन्मदिन कार्यक्रम में जाने से कार्यक्रम की शोभा बढ़ सकती है, लेकिन नामवरजी के किसी को महान कहने से वह व्यक्ति महान नहीं बन सकता। नामवरजी की प्रशंसा अमूमन बोगस होती या फिर मन रखने के लिए या मौक़े की नज़ाकत को ध्यान में रखकर होती है। इसलिए उनके जाने या न जाने से किसी भी कार्यक्रम में चार चाँद नहीं लग सकते, यदि कोई नामवरजी के सहारे साहित्य की वैतरणी पार करना चाहता हो तो यह भी संभव नहीं है। इसका प्रधान कारण है स्वयं नामवरजी का आलोचनात्मक आचरण और व्यक्तित्व।
नामवरजी अपने आचरण और वक्तव्य से अपने बनाए मिथों को बार -बार तोड़ते रहे हैं। नामवरजी के अनेक छात्र उनसे जल्दी जल्दी मिलते हैं, मुझे वह सौभाग्य नहीं मिला। एक तो दूर रहता हूँ, दूसरा मेरे पास कोई ऐसा गुण नहीं जो उनको पसंद हो। एक बार कलकत्ता में राहुल सांकृत्यायन के समारोह के दौरान उन्होंने कहा था कि तुम एक बात जान लो, शिष्य मेरे ही कहलाओगे। यही सबसे बड़ा उपहार था,  मेरे लिए।
नामवरजी मेरे लिए बहुत बड़े लेखक – बुद्धिजीवी और शिक्षक हैं। मैं हमेशा उनके प्रति क्रिटिकल रहकर ही सोचता हूँ और यह चीज मुझे उनसे ही सीखने को मिली है। अफ़सोस यह है कि जो नामवरजी के शिष्य हैं या उनकी तथाकथित विरासत के वारिस बनना चाहते हैं, वे नामवरजी से आलोचना और आत्मालोचना नहीं सीख पाए हैं।
नामवरजी के लिए यह सबसे खराब ख़बर होगी कि उनका कोई बेहतर शिष्य अध्यापन का काम त्यागकर और किसी धंधे मे चला जाय
मैंने निजी तौर पर उनसे पूछा था कि अध्यापन छोड़कर कुछ और काम कर लेता हूँ, कलकत्ता में असुविधा हो रही है। बोले अध्यापन मत छोड़ना,  यह हमारी शक्ति और सामाजिक भूमिका का बेहतरीन आधार है।मैंने यह महसूस किया कि मैं जब भी कक्षा में जाता हूँ तो अपने शिक्षकों को बार बार महसूस करता हूँ। मुझे रह-रहकर अपने प्रिय शिक्षक याद आते हैं, उनका लिखा याद आता है, उनसे ज्ञान मुठभेड़ करना याद आता है। जब किताब लिखता हूँ तो यह मानकर लिखता हूँ कि उन विषयों पर लिखो जिन पर मेरे शिक्षक नहीं लिख पाए। वह अधूरा काम है उसे आगे बढ़ाओ।एक अन्य बात जो बेहद जरूरी है, कोई शिक्षक टीवी या मीडिया में उपस्थिति दर्ज करके बड़ा शिक्षक या बुद्धिजीवी नहीं बन सकता। मीडिया में रहकर पब्लिक इंटेलेक्चुअल भी नहीं बन सकता यदि ऐसा होता तो रोमिला थापर, इरफ़ान हबीब आदि का तो समाज में कोई नाम ही नहीं होता, ये लोग कभी टीवी टॉक शो में नज़र नहीं आते, दैनिक अख़बारों में कॉलम नहीं लिखते।
एक शिक्षक की जगह कक्षा है, रिसर्च है,  वहाँ वह जितना समर्पित होगा,  अकादमिक योगदान करेगा वहीं से वह अपना क़द ऊँचा बनाएगा। बुद्धिजीवी का क़द सरकारी पद से ऊँचा नहीं बनता। सरकारी नेताओं की चमचागिरी से क़द ऊँचा नहीं बनता हां, नेताओं की चमचागिरी से सरकारी पद जरूर मिल जाते हैं। केन्द्र से लेकर राज्य स्तर तक चलने वाले सभी लोकसेवा आयोगों में जितने सदस्य रखे जाते हैं वे राजनीतिक सिफ़ारिश पर रखे जाते हैं। यही वजह है कि इन आयोगों में कभी स्वतंत्रचेता लोग नहीं रखे गए।
जगदीश्वर चतुर्वेदीहिन्दी की सचाई है कि यहाँ कोई पब्लिक इंटेलेक्चुअल नहीं है। यहाँ किसी में नॉम चोम्स्की या एडवर्ड सईद जैसे गुण नहीं हैं। इन दोनों बुद्धिजीवियों की अमेरिकी मीडिया पूरी तरह उपेक्षा करता रहा है
सईद गुज़र गए हैं। चोम्स्की ज़िंदा हैं, वे अपने सामाजिक – राजनीतिक -अकादमिक सरोकारों के प्रति गंभीर लगाव के कारण जाने जाते हैं। उनको कभी किसी बड़े अमेरिकी चैनल ने टॉक शो के लिये नहीं बुलाया, किसी बड़े अख़बार ने उनको नहीं छापा। इसके बावजूद वे अमेरिका की जंगजू जनता के ही नहीं, सारी दुनिया के प्रिय बुद्धिजीवी हैं।
हमारे यहाँ तो उलटा मामला है टीवी टॉक शो से बुलावे बंद हो जाएँ,  अख़बारों में नाम न दिखे तो हिन्दी के स्वनाम धन्य लोगों को नींद नहीं आती। यह मासकल्चर का मीडियापीलिया है,  यह पब्लिक इंटेलेक्चुअल का गुण नहीं है।
जगदीश्वर चतुर्वेदी
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Wednesday, August 26, 2015

"हम तो पूछेंगे कि…सूरतगढ़ की सड़कें इतनी जर्ज़र हालात में क्यों हैं जी "??? - पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक) मो. न. - 9414657511

           राजस्थान का एक सुन्दर और प्यारा  सा  नगर सूरतगढ़ , जिसे हम सोढल नगर से भी जानते हैं ! यहाँ एक सुन्दर सा किला,जिसके पास ही घाटों से सुसज्जित एक तालाब , जिसे हम आज "ढाब"के नाम से जानते हैं ! इस तालाब के पास भगवान भोले-शंकर, गणेश,हनुमान,शनि देव और माता जी के भव्य मन्दिर बने हुए थे ! किले से एक चौड़ी कच्ची सड़क आदर्श कालोनी की तरफ जाती थी,एक चौड़ी सड़क स्टेशन से सीधे हाईवे तक,  चौड़ी सड़क गोशाला रामनाथ जी की कुटिया और बिश्नोई मंदिर के चारों और घूमती हुई कोहेनूर सिनेमा की तरफ जाती थी !श्रीगंगानगर,हनुमानगढ़ बड़ोपल , बीकानेर और अनूपगढ़ जाने वाली सड़कें इसको बाहर से खूबसूरत बनाती थीं ! हमारा ये शहर कच्ची सड़कें होने के बावजूद सुन्दर और खुला-खुला नज़र आता था !
                                             जैसे जैसे समय बदलता गया ,वैसे वैसे इस शहर की शक्ल भी बदलती गयी ! खुली कच्ची सड़कें पक्की लेकिन संकरी गलियों में तब्दील होती चली गयीं !जब श्रीमती आरती शर्मा सूरतगढ़ नगरपालिका की चेयरमैन बनीं, तो उन्होंने स्टेशन रोड और शहर की अन्य सड़कें भी बनवायीं ! शहर के लोग आज भी उनके कार्यकाल को याद करते हैं ! लेकिन उसके बाद जो भी चेयरमैन बना उन्होंने इस शहर की सड़कों पर धन तो अनाप-शनाप खर्च किया लेकिन उनकी निर्माण-कवालिटी पर बिलकुल भी ध्यान नहीं दिया ! जिसका नतीजा ये निकला कि सड़कें बनने के कुछ समय पश्चात ही टूटती चली गयीं, फिर बजट बनते गए फिर सड़कें बनती गयीं और फिर टूटती गयीं ! आज जब हम शहर के किसी भी हिस्से में से गुजरते हैं तो कंही बरसात से बने गड्ढे,कहीं जायज़-नाजायज़ बने स्पीड-ब्रेकर और कहीं आसपास के लोगों और किसी डिपार्टमेन्ट द्वारा लगाये गए लम्बे-लम्बे कट हमें संभल कर चलने को मजबूर कर देते हैं !!
                            सड़कें हमारे जीवन से सीधे जुडी हुई हैं ! हमारे जीवन का काफी हिस्सा सड़कों पर ही गुजरता है !सफर करना हो , टहलना हो,शादी की बरात में नाचना हो,राजनितिक प्रदर्शन करना हो या फिर कोई धार्मिक-पारिवारिक आयोजन करना हो , इन सड़कों की ही आवश्यकता हमें पड़ती है !कई फिल्मों में भी हीरो-हीरोइन सड़कों पर गीत गाते हुए नज़र आ जाते हैं !तो क्या हमारी भी कोई जिम्मेदारी बनती है या नहीं सड़कों के प्रति ??क्या सिर्फ दूसरों पर ही ऊँगली उठाना उचित रहेगा ?? क्या सारा ठीकरा प्रशासन पर  फोड़ना सही होगा ??तो आइये !!सबसे पहले हम अपनी जिम्मेदारियों पर ही नज़र डालें !!
                                क्या हम अपना फ़र्ज़ निभा रहे हैं ??क्या हम सड़क पर चलने में "नियमों" का पालन करते हैं ? क्या हम घर-दुकान के आगे की सड़क को साफ़ रखते हैं ?क्या हम बिना वजह सड़क पर पानी बिखेरते रहते हैं ?क्या हम सड़क का पानी अपने घर के आगे वाली नाली में जाने देते हैं ?क्या हम सड़क में अपने छोटे से स्वार्थ की पूर्ती हेतु बड़ा सा खड्डा करने में भी नहीं हिचकिचाते ? इन प्रश्नों के तराज़ू पर पहले हमें अपनेआपको तोलना होगा !तब हम किसी दुसरे से प्रश्न पूछने के हक़दार होंगे जी ! क्योंकि सारी जनता उपरोक्त प्रश्नों की दोषी नहीं हो सकती इसलिए हमने उस सच्ची और समझदार जनता के प्रश्नों को पूछने हेतु सबसे पहले P.W.D.विभाग के सूरतगढ़ कार्यालय के एक्सियन श्री मान सुनील बिश्नोई जी से मिले !
                   उनसे हमने पूछा कि साहेब हमारे सूरतगढ़ के अन्दर और बाहर से आपके विभाग की सड़कें जाती हैं , उनकी हालत इतनी जर्जर क्यों हैं ? तो उन्होंने हमें बताया कि जो सड़क इंदिरा सर्किल से चेतक चौक तक जाती है ,जिसे हम "बीकानेर-रोड या गुरु गोबिंद सिंह मार्ग"भी बुलाते हैं , वो हमने सन 2006 - 2007-8 में  थीं ! उसके बाद ना  किसी राजनितिक दल ने और नाही किसी चेयरमैन ने हमें इसे बनाने की मांग करी !हमारा विभाग 15 साल बाद किसी सड़क को दोबारा बनता है !इंदिरा सर्किल से माणकसर तक जाने वाली सड़क जून 2016 तक नयी बन जाएगी ! इस पर काम चालु है !बड़ोपल को जाने वाली सड़क तहसील सीमा तक नयी बना दी गयी है !माणकसर से हनुमानगढ़ वाली सड़क नयी बनी हुई है ! खड्डों के बारे में पूछने पर एक्सईएन सुनील बिश्नोई जी ने बताया कि मात्र 3 करोड़ रुपये हमें हर साल मिलते हैं हमें रख-रखाव हेतु , वो हम आवश्यकतानुसार खर्च करते रहते हैं ! अभी हमारे प्रधानमंत्री जी जब सूरतगढ़ पधारे थे तो हमने सूरतगढ़ की कई सड़कों को रिपेयर था !भ्रष्टाचार के  में जब हमने उनसे पूछा कि P.W.D.विभाग और भ्रष्टाचार एक दुसरे " पर्यायवाची-शब्द " कैसे बन गए ?? तो उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार करना या नहीं करना , ये प्रत्येक व्यक्ति के साथ अलग-अलग रूप से जुड़ा हुआ है ! हम किसी पूरे विभाग को इस नज़र से नहीं देख सकते ! जो चोरी करेगा वो सजा का हक़दार होगा !हमने कहा कि इसका मतलब तो ये हुआ कि जो पकड़ा जाये वो चोर और बाकी साधू ?? वो हंस पड़े तो उनके साथ हम भी हँसते हुए राम-राम करते हुए उनके कार्यालय से बाहर आ गए !
                                      फिर हमने नगरपालिका की और अपना रुख किया जिसके जिम्मे शहर की सारी सड़कों को बनाने और रिपेयर करने की  जिम्मेदारी है !हम कार्यालय पंहुचे तो पूर्व पार्षद सुनील छाबड़ा ,पार्षद विक्की अरोड़ा,नगर पालिका के उपाध्यक्ष पवन ओझा जी और 2-3पार्षद पति महोदय भी बैठे थे !इतने में ही हमारी चेयरमैन साहिबा श्रीमती काजल छाबड़ा जी भी अपने कार्यालय में पधार गयीं !स्वागत और राम-राम की औपचारिकता के बाद सड़कों के आज के हालात के बारे में चर्चा शुरू हुई तो हमने पुछा कि, मैडम सूरतगढ़ में आज सड़कों की हालत ऐसी क्यों ? तो उन्होंने बताया कि आप सच कह रहे हैं !आज शहर की शायद ही कोई सड़क वर्षा के प्रभाव से टूटने  होगी ! इसीलिए मैंने चेयरमैन बनते ही शहर के सभी वार्डों में सड़कों के 80 मीटर से लेकर 1080 मीटर तक के टुकड़े रिपेयर करवाये या बनवाए थे ! हमने फिर हमारी चेयरमैन श्रीमती काजल छाबड़ा जी से पूछा कि मैडम वो भी सारी टूट गयी हैं अब आगे आपका क्या कार्यक्रम है ? नयी सड़कें , नालियाँ और पुलियों का निर्माण कब शुरू करवा रहे हो ? तो उन्होंने हमें बताया कि हमने 3 निविदाएं निकाल दी हैं जनता के कष्ट को महसूस करते हुए शहर के हर वार्ड में जहां रिपेयरिंग की आवश्यकता है वहाँ रिपेयरिंग करवा रहे हैं जहाँ नयी सड़कों की आवश्यकता है वहाँ सड़कों के साथ-साथ नालियों और सार्वजानिक टॉयलेट्स का भी निर्माण करवा रहे हैं ! जिनकी निविदाएं  जारी कर दी गयी हैं ! कुल 817. 86 लाख के कार्य जल्दी ही शुरू करवा दिए जायेंगे !
                          हमने एक और प्रश्न किया कि मैडम कभी इन सड़कों की क्वालिटी की भी जांच नगरपालिका ने करवाई है ?तो  उत्तर था कि p.w.d.कवालिटी कंट्रोल श्रीगंगानगर से टेस्टिंग रिपोर्ट हमने ली थी जो संतोषप्रद है ! अगला प्रश्न हमने ये किया कि ओवर-ब्रिज के उद्घाटन हेतु काफी लोग जल्दी में हैं , तो इसका उद्घाटन कब होगा, और अण्डर-ब्रिज कब शुरू हो रहे हैं ?? तो चेयरमैन साहिबा ने बताया कि जो हमारे पास अभी तक जानकारी है उसके मुताबिक 15 सितंबर 2015 तक ओवरब्रिज शुरू हो जायेगा ! लेकिन अंडरब्रिज के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है !हमने उनका बातचीत हेतु धन्यवाद किया , आभार प्रकट करके विदा ली ! वापिस लौटते-लौटते मन में यही ख्याल घूम रहा था कि जनता का जागरूक होना कितना आवश्यक है !



                                    मित्रो !!"5TH PILLAR CORRUPTION KILLER",नामक ब्लॉग रोज़ाना अवश्य पढ़ें,जिसका लिंक -www.pitamberduttsharma.blogspot.com. है !इसे अपने मित्रों संग शेयर करें और अपने अनमोल विचार भी हमें अवश्य लिख कर भेजें !इसकी सामग्री आपको फेसबुक,गूगल+,पेज और कई ग्रुप्स में भी मिल जाएगी !इसे आप एक समाचार पत्र की तरह से ही पढ़ें !हमारी इ-मेल ईद ये है - pitamberdutt.sharma@gmail.com. f.b.id.-www.facebook.com/pitamberduttsharma.7 . आप का जीवन खुशियों से भरा रहे !इस ख़ुशी के अवसर पर आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !!
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Saturday, August 22, 2015

साप्ताहिक कालम :- " हम तो पूछेंगे कि ....सूरतगढ़ में सड़कों की हालत इतनी जर्ज़र क्यों ." ???? पीताम्बर दत्त शर्मा - (लेखक-विश्लेषक) मो.न. - 9414657511.

          पाठक मित्रो !श्री पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक) के लेख को पाठकों ने खूब सराहा है !आप लोगों की "रूचि" ने ही हमारा हौसला बढ़ाया है और हमें आपके लिए नित नए प्रयास करके रोचक,सारगर्भित और सच्चे समाचार लेख एवं परिशिष्ट आप तक पंहुचाने हेतु प्रेरित किया है ! आपकी संतुष्टि ही हमारी सफलता है ! इसीलिए हम आपके लिए एक साप्ताहिक कालम ले कर आये थे , जिसमे हर सप्ताह के शुक्रवार को विशेष जानकारी के साथ आपको प्रशासन, नेताओं,राजनितिक दलों और समाजसेवी संस्थाओं द्वारा किये गए जनहित के कार्यों में आ रही गड़बड़ी के बारे में विस्तार से तथ्यों सहित बताया जाता रहेगा ! पिछले सप्ताह की तरह इस बार  हम जनता की एक और विशेष समस्या को इस कालम में उठाएंगे ! और उस समस्या से सम्बंधित व्यक्तियों से सवाल पूछे जाएंगे ! इसी लिए हमने इस कालम का नाम ही रख दिया था कि "हम तो पूछेंगे .............."??? हम यानिकि जनता !
                    ये कालम दैनिक सीमान्त-रक्षक के हर शुक्रवार को प्रकाशित किया जाता है ! इस कड़ी के दुसरे पादान में आपको सूरतगढ़ में सड़कों की  जर्ज़र हालात के बारे में विस्तार से बताया जाएगा ! तो रहिएगा तैयार आनेवाले शुक्रवार को हम खोलेंगे कुछ ख़ास राज़ !! आप भी पढियेगा और अपने मित्रों को भी पढाइएगा ! "दैनिक-सीमांत-रक्षक " सूरतगढ़ !
                   






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Wednesday, August 19, 2015

साप्ताहिक कालम :- "हम तो पूछेंगे कि "जनता को राशन कार्ड से सुविधा की जगह असुविधा क्यों मिल रही हैं "?सरकार जी !! - पीताम्बर दत्त शर्मा - (लेखक-विश्लेषक) मो. न. - 9414657511

"भारतीय लोकतंत्र" में प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में "कार्ड"अपना एक विशेष महत्त्व रखते हैं !ये कई प्रकार के होते हैं !जैसे राशन-कार्ड,ग्रीन-कार्ड,विज़टिंग-कार्ड,इन्विटेशन-कार्ड,एंट्री-कार्ड,ए.टी.एम.-कार्ड और भामाशाह व आधार-कार्ड आदि-आदि ! व्यक्ति के जीवन की शुरुआत से ही उसका पाला इन कार्डों से पड़ना शुरू हो जाता है ! अगर किसी का कोई प्रकार का कार्ड नहीं बन पाया हो, या उसे किसी प्रकार का कोई कार्ड नहीं मिला हो तो,  उसके जीवन में एक प्रकार का अधूरापन छा जाता है ! 
                                         हमारा सबसे पहला कार्ड एक "कुंडली"के रूप में "पंडित" जी बनाते हैं ! फिर नगरपालिका या ग्राम पंचायत हम सबका नाम परिवार-कार्ड में जोड़ती है ! जैसे-जैसे इन्सान बड़ा होता जाता है , वैसे-वैसे उसका वास्ता इन तरह-तरह के कार्डों से पड़ता जाता है !   हर कार्ड को बनाने से पहले उस कार्ड से मिलने वाली सुविधाओं के बारे में विस्तार से और बढ़ा -चढ़ा कर बताया जाता है !हर व्यक्ति को लगता है जैसे ये कार्ड बना लेने से उसका जीवन बड़े आराम से बीतेगा ! लेकिन जब वास्तविकता से मनुष्य का मिलन होता है तो उसे वो निम्न-स्तर की सुविधा प्राप्त करने में भी भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है ! पहले राशन-कार्ड पर 10 से पंद्रह वस्तुएं जनता को मिला करतीं थीं लेकिन आज केवल गेहूं,चीनी और केरोसिन के तेल तक ये सीमित हो गया है !
                                    इसीलिए हम आज हमारे जीवन के महत्वपूर्ण दस्तावेज "राशन-कार्ड" पर ही फ़ोकस कर रहे हैं ! ग्रामीण हो या  शहरी, डिपो-होल्डर हो या फिर रसद-विभाग से जुड़े कर्मचारी-अफसर सब परेशान से नज़र आते हैं !क्योंकि सरकारें समय-समय पर इनमे बदलाव लातीं रहतीं हैं !पुराने कार्डों की बजाये नए कार्डों को लागू करने में ही अनेकों प्रकार की परेशानियां का सामना करना पड़ता है ! क्योंकि राशन कार्ड बनाना और उनका प्रबंधन तो नगर-पालिकाओं और पंचायतों के पास है और राशन वितरण का काम फ़ूड-सप्लाई विभाग के पास है !डिपो होलडरों को भी बहाने बनाने में आसानी हो जाती है !नए राशन-कार्ड बनवाने हेतु कोई ई - मित्रा पर जाता है तो उससे मन माफिक पैसे मांग लिए जाते हैं ! आज भी 20 %परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं हैं ! कोई पूछने वाला नहीं है !लेकिन जनता की तरफ से हम तो पूछेंगे कि.……जनता को राशन - कार्ड  समस्याएं क्यों हैं ?? 
                                 राशन-कार्ड की समस्याओं को जानने हेतु हमने सबसे पहले आम जनता से पूछा !सूरतगढ़ के वार्ड पार्षद वेद प्रकाश , चेतन सोनगरा , श्रीमती सुनीता टण्डन और पूर्व पार्षद चरणजीत सिंह से मिलकर पुछा कि जनता राशन-कार्ड को लेकर परेशान क्यों है !   तो लोगों ने हमें बताया कि पहले तो राशन समय पर  मिलता ही नहीं है ! और अगर मिलता भी है तो उसमें से आधा डिपो-होल्डर और अफसर लोग खा जाते हैं !इस तरह के समाचार समय-समय पर पढ़ने को मिल ही जाते हैं !वैसे भी ऐ.पी.एल.श्रेणी के राशन-कार्ड धारकों को राज्य सरकार खाद्य-सुरक्षा के तहत कोई विशेष सुविधा प्रदान नहीं करती है ! केवल मात्र चार मसाले जैसे नमक 7 /-रु.किलो ,मिर्च29/- रु. की 200 ग्राम ,धनिया30/-रु. का 200 ग्राम ,हल्दी 27/-रु. की 200 ग्राम और चाय 40/-रु. की 250 ग्राम आदि ,जिनकी क्वालिटी तो निम्न स्तर की और मूल्य बाजार भाव के इतने नजदीक होते हैं कि कोई ये वस्तुएं लेने ही नहीं आता, जो ये वसुन्धरा सरकार देती है ! जिन ए. पी. एल. कार्डों पर खाद्य-सुरक्षा की मोहर लगी हुई है , उनको राज्य सरकार केवल 5 किलोग्राम गेहूं, प्रति व्यक्ति ,और जिनके पास गैस का कनेक्शन नहीं हो उसको 4 लीटर केरोसिन का तेल प्रति परिवार देती है ! जो ऊँट के मुंह में जीरे जैसा ही है !
                                    बी. पी. एल. राशन कार्डों पर राज्य-सरकार 13/50 पैसे के हिसाब से प्रतिमाह-प्रतिव्यक्ति केवल 500 ग्राम चीनी देती है !प्रतिमाह 2/-रु. किलो के हिसाब से प्रति व्यक्ति को 5 किलोग्राम गेहूं देती है !अगर गैस कनेक्शन ना हो तो उस परिवार को प्रतिमाह 4 लीटर केरोसिन 17/50 पैसे में मिलता है ! तो हम केंद्र और राज्य सरकार से पूछेंगे ही ना कि क्या "इतना" राशन उचित मूल्य पर देने से ,मुख्यमंत्री जी ,आपकी जिम्मेदारी निभाना मान लिया जाए ??
                                     फिर हम डिपो-होलडरों की यूनियन "राजस्थान अधिकृत राशन  संघ सूरतगढ़ " के अध्यक्ष रमन मोदी एवं सचिव युवराज उप्पल से मिले !उनसे हमने पूछा कि आप सब डिपो होलडरों पर चोर होने का ठप्पा कैसे लग गया ?? तो उन्होंने हमें बताया कि सरकार हमें नाम मात्र का कमीशन देती है , बदले में काम ज्यादा करवाती है !उदाहरण  के लिए  चीनी पर हमें मात्र 12/-रु. कमीशन मिलता है जबकि 20/-रु. रेहड़ी भाड़ा देना पड़ता है !हर माह की 10 तारीख से 24 तारीख तक प्रातः 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक और फिर दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक हम डिपो खोलते हैं !दुकान किराया भी हमें ही भुगतना पड़ता है , हमें बहुत कम बचत होती है , वो भी बारदाने को बेचकर ! गेहूं तो सरकार हमारी दुकानों तक पंहुचा देती है लेकिन चीनी हमें स्वयं जाकर लानी पड़ती है , जो कई कारणों से ज्यादातर देरी से वितरित की जाती है !इस वजह से हमारे ऊपर ये आरोप लगते रहते हैं ! सरकार हमसे कई तरह के दुसरे कार्य भी करवाती रहती है ! जैसे ग्राहक का बैंक खाता नंबर , आधार कार्ड नंबर और मोबाईल नंबर नोट करके रजिस्टर में दर्ज करना आदि आदि !सभी डिपो होल्डर चाहते हैं कि उनको कमीशन की बजाये "मानदेय " तय कर दिया जाये ताकि उनके परिवार  इज्जत से पल सकें !हमने उनसे पूछा कि - लेकिन कोई डिपो होल्डर "गरीब"तो नज़र नहीं आता ?? तो वो बस मुस्कुरा भर दिए !हमने फिर पूछा कि इतने कम कमीशन मिलने के बाद भी लोग डिपो-होलडर क्यों बनना चाहते हैं ?? तो वो बोले कि बढ़ती बेरोज़गारी इसकी वजह है !ये सुनकर एक रहस्य्मयी मुस्कान सबके चेहरों पर फ़ैल गयी !
                                  आखिर में हम रसद विभाग और नगर पालिका के अधिकारीयों से पूछने उनके कार्यालयों में गए तो बड़े अधिकारी कार्यालय में मिले ही नहीं फोन करने पर फोन उठाया ही नहीं गया !शायद कहीं व्यस्त होंगे ?? रसद विभाग के रजनीश कुमार मिले और नगरपालिका में रसद-शाखा के संतराम भार्गव मिले !उनसे हमने जनता की तरफ से पूछा कि आप के होते हुए ,जनता राशन-कार्ड की समस्या में क्यों उलझी हुई है ?? तो उन्होंने बताया कि डिपुओं पर रसद की पूरी खेप पंहुचायी जा रही है ! हमने जब राशन-कार्डों की वास्तविक स्थिति के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि नगर पालिका में सभी वार्डों के कुल 21430 . कार्ड बनने योग्य थे ! जिसमे से 19578 बनकर हमें प्राप्त हुए , जिन्हें शहर में बंटवा दिया गया ! केवल 1852 राशन-कार्ड बनने बाकी हैं जिनको अब ई - मित्रा वाले 50/-शुल्क लेकर बना रहे हैं !
                                      हमने जब जांच की तो पाया कि
राशन के डिपुओं पर शिकायत-पुस्तिका तक नहीं है ! नगरपालिका वाले तो 2 - 4 दिनों में ही कार्ड बना दिया करते थे , लेकिन ई-मित्रा वाले लोगों से पैसे भी ज्यादा ले रहे हैं और उनको चक्कर भी ज्यादा कटवा रहे हैं !जनता तो परेशान है ! सुना है कि वसुन्धरा सरकार राजस्थान में एक मशीन हर डीपो पर लगाने वाली है जिससे जनता की परेशानियां कम होने वाली हैं ! लेकिन " विपक्ष ", जिसकी जिम्मेदारी है कि जनता की समस्याओं को सरकार के समक्ष रख्खे , वो "कुम्भकर्ण"की नींद सो रहा है ! सोचता है कि जनता अगले चुनावों में उसे ही चुनेगी ! जायेगी कहाँ ???? लेकिन सीमान्त रक्षक तो है ना !! ये तो आपकी समस्याएं उठाता ही रहेगा रोज़ाना !! हर शुक्रवार को कोई नयी समस्या पर "हम तो पूछेंगे कि ........??"हमारी जनता इतने सेवकों के रहते परेशान क्यों है ??अगले शुक्रवार को हम शहर की सड़कों के बारे में आपको पूछकर बताएँगे कि हमारे शहर की सड़कें ऐसी क्यों हैं ??

                               

Saturday, August 15, 2015

"अब निचले स्तरों पर फैले अस्मंजसों को मिटाना और हर पद के कार्य को स्पष्ट करना होगा माननीय मोदी जी " !!

माननीय प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी ने आखिर अपना लालकिले से दूसरा भाषण दे ही दिया ! बहुत से लोग आशावादी सोच के साथ प्रतीक्षा कर रहे थे उनके इस भाषण की , उन्हें पूर्ण संतुष्टि भी मिली उनका भाषण सुन कर ! ऐसे लोगों को ये निम्न बातें बहुत पसंद आयीं :- 
1. "टीम इण्डिया" में प्रधानमंत्री जी ने देश के हर नागरिक को ना केवल शामिल किया बल्कि देश की तरक्की में भी सबका योगदान बताया जो सराहनीय बात है !
2. अपने एक वर्ष पहले किये वादे उनको स्पष्ट ना केवल याद थे, बल्कि उन वादों को वो कितना पूरा कर पाये , ये भी बताया ! जो की एक नयी परंपरा है !
3. उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार दूर करने हेतु प्रयास और नए स्त्रोतों से देश की आय बढ़ाना भी उनकी सरकार का एक बड़ा काम है !
4. काले धन , निचले स्तर के लोगों की चिंता ,पूर्वोत्तर राज्यों का विकास ,युवाओं की व्यर्थ इन्टरव्यू बंद करने,सैनिकों को "वन रैंक वन पेंशन"लागू करने का आश्वासन देना , युवाओं को "स्टार्ट-अप" कार्यक्रम के तहत काम करने हेतु लोन देना और किसानों के हित हेतु मंत्रालय  बदलकर ज्यादा कारगर बनाना , ये दर्शाता है कि उनकी नज़र बड़ी बारीकी से सभी समस्याओं को देख रही है ! बस देखना ये है कि कौन सी समस्या पहले और कौन सी बाद में हल होगी और ये कितना समय लेंगी !
                           अब बात करते हैं उनकी जिनका ज़िक्र प्रधानमंत्री जी ने बड़ी ही चतुराई से अपने भाषण में कर दिया ! पहले तो उन्होंने राजीव गांधी जी को निशाना बनाया जो अपने भाषण में " देखेंगे-देखा है" जैसे शब्दों का बड़ा प्रयोग करते थे ! मोदी जी ने कहा की हम करके दिखाते हैं ! दूसरा उन्होंने उन पत्रकारों, विश्लेषकों और एंकरों को अपना निशाना बनाया जो अपने काम  मर्यादा,जिम्मेदारी को भूल कर एक अच्छे काम में भी " मीनमेख "निकालने से बाज़ नहीं आते , जिसकी वजह से देश के दुश्मनों को उनका फायदा पंहुच जाता है !
                              आज के भाषण के बाद भी ऐसे ने पहले तो जाकर पूर्व सैनिकों को भड़काया और फिर उसे अपने चेनेल का समाचार बनाया ! इतना ही नहीं  अपने आपको "निराशावादी"माना भी चाहे हँसते हुए ही ! बिलकुल वैसे ही जैसे कोई ढीठ आदमी जूते खाकर भी हँसता है !अचरज तो तब हुआ कि जब ndtv के रविश कुमार ने यहाँ तलक कह दिया कि प्रधानमंत्री कोम्युनल घटनाओं के बारे में नहीं बोले , जबकि ला एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी तो राज्य सरकारों की होती है ! यानिकि उनकी नज़र में देश के अंदर हो रहे हर बुरे काम हेतु मोदी जी जिम्मेदार हैं और अच्छे कामों हेतु कोई और !इनकी सोच को अब बदला नहीं जा सकता , "उतरी कोरिया जैसा इन्साफ " ही इन लोगों को सुधार सकता है !
                          लेकिन माननीय प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी को "अब निचले स्तरों पर फैले अस्मंजसों को मिटाना और हर पद के कार्य को स्पष्ट करना होगा"!!जैसे किसकी वजह से सब्जियाँ , राशन,कपडे,जूते,दवाइयाँ,बिजली-पानी और मूलभूत वस्तुएं जनता को महँगी मिल रही हैं ?? आखिर किन वजहों से आम आदमी को दफ्तरों के चक्कर काटने और रिश्वत देनी पड़ती है ?? क्यों निर्माता और होलसेलर जब चाहें -जितना चाहें ,अपने उत्पाद का दाम बढ़ा लेते हैं ? इससे सरकार की बदनामी और जनता को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है !
                            आखिरी बात मैं आपको ये  बताना चाहता हूँ प्रधानमंत्री जी कि चाहे पाइवेट काम हो या सरकारी ,लेकिन उसके काम में कोई स्पष्टता नहीं है ! कहीं कोई व्याख्या नहीं है कि किस पद वाले आदमी को क्या करना है !इसलिए हर कोई कार्यालय में बस समय व्यतीत करने आता है !उदाहरण के तौर पर ,प्राइवेट कार्यों में जैसे जनता को "पत्रकार" के काम का नहीं पता, कि वो क्या कर सकता है  नहीं ??वो जब चाहें संवाददाता बन जाते हैं और जब चाहे tv एंकर !! और भी ना जाने क्या क्या ???
                      मोदी जी !! देश की तरक्की में जो भी आड़े आये, चाहे फिर वो कोई राजनितिक दल हो या कोई पत्रकार या विश्लेषक-विशषज्ञ , ये सुधरने वाले नहीं हैं !!पूरे देश में इस प्रजाति के केवल पांच-सात सौ लॉग ही हैं ! इनका तो " सलीके " से ही समझाना होगा ! बाकी आप समझदार हैं !   आइये मित्रो ! आपका स्वागत है !आपके लिए ढेर सारी शुभकामनाएं ! कृपया स्वीकार करें !फिफ्थ पिल्लर करप्शन किल्लर नामक ब्लॉग में जाएँ ! इसे पढ़िए , अपने मित्रों को भी पढ़ाइये शेयर करके और अपने अनमोल कमेंट्स भी लिखिए इस लिंक पर जाकरwww.pitmberduttsharma.blogspot.com. है !इसे आप एक समाचार पत्र की तरह से ही पढ़ें !हमारी इ-मेल आई. डी. ये है - pitamberdutt.sharma@gmail.com. f.b.id.-www.facebook.com/pitamberduttsharma.7 . आप का जीवन खुशियों से भरा रहे !इस ख़ुशी के अवसर पर आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !!
आपका अपना - पीताम्बर दत्त शर्मा -(लेखक-विश्लेषक), मोबाईल नंबर - 9414657511 , सूरतगढ़,पिनकोड -335804 ,जिला श्री गंगानगर , राजस्थान ,भारत ! इस पर लिखे हुए लेख आपको मेरे पेज,ग्रुप्स और फेसबुक पर भी पढ़ने को मिल जायेंगे ! धन्यवाद ! आपका अपना - पीताम्बर दत्त शर्मा , ( लेखक-विश्लेषक) मो. न. - 9414657511
                   
                                                          

  

Friday, August 14, 2015

नेहरू खानदान के 3 "चिरागों"को सत्ता सौंपने और जापान के हितों हेतु हुआ था भारत का बंटवारा एवं मिली थी "आजादी"!!- पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

अपुष्ट सूचनाएं बताती हैं कि राहुल गांन्धी की दादी माँ श्रीमती इंदिरा गांधी जी के पिता श्री जवाहर लाल नेहरू , उम्र उब्दुल्लाह के दादा जनाब शेख अब्दुल्लाह और पाकिस्तान के कायदेआज़म मुहम्मद अली जिन्नाह साहेब तीन भाई थे ! ये सब अंग्रेज़ों के बहुत ज़्यादा "करीब" थे ! वो इनकी "कहा" मानते थे और ये उनका ! यही नहीं साहेब ये उनके घर "आते-जाते" थे और वो सब इनके घर "आते-जाते" थे !बताया तो ये भी जाता है कि जवाहर लाल जी के परदादा एक मुसलमान थे और उन्होंने ही श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी की आखरी जासूसी की थी जिसकी वजह से उनका कत्ल हुआ था ! जिसके बाद इन्हें इलाहाबाद वाला घर तथा ढेर सारा धन देकर और कश्मीरी ब्राह्मण बनाकर बसाया गया !
                                उधर जापान अपने व्यापार को बढ़ाने हेतु भारत व अफगानिस्तान के अंदर से रास्ता बनाना चाहता था !जिसके लिए उसने नेता जी सुभाष चन्द्र बॉस की आजाद हिन्द फौज को सहारा दिया !उन्होंने भी अंग्रेजों को ये देश छोड़ने पर मजबूर किया ! लाला लजपत राय , भगत सिंह,सरोजनी नायडू और ऊधम सिंह जैसे वीरों ने भी उनकी नाक में दम करके रख दिया था !
                            महात्मा गांधी भी एक अमीर वकील थे ! वो साऊथ-अफ्रीका से रंग-भेद के चलते दुत्कार कर निकाल दिए गए थे !जिसका बदला उन्होंने भारत में आकर नेहरू-परिवार से मिलकर अंग्रेजों को भारत से "बड़े प्रेम" से भेजा !इसी प्रेम के कारण ही नेहरू-गांधी की जोड़ी ने पाकिस्तान  बनवाया, जिन्ना को खूब सारा धन भी दिलवाया और वहां का प्रधानमंत्री भी बनवाया !
                           नेहरू जी के दुसरे भाई जनाब शेख-अब्दुल्लाह को जानबूझ कर काश्मीर का मसला बीच में छुड़वाकर वहां का राज सौंपा !अपुष्ट सूचनाएँ तो ये भी बताती हैं की इंदिरा जी नेहरू जी की सगी बेटी नहीं थी , उन्हें मजबूरी में इंदिरा जी को सत्ता में लाना पड़ा !आजादी मिलने से पहले हिन्दुओं को चला गया और आजादी मिलने के बाद भी नेहरू परिवार ने हिन्दुओं को छला ! ये अमीर थे और वामपंथी गरीब लेकिन पढ़े-लिखे थे ,इन्होने ही कॉमरेडों से भारत का इतिहास लिखवाया , देश के तंत्र को अपने अनुकूल बनवाया !बदले में कोंग्रेसियों ने कॉमरेडों को पैसे मिलने वाले स्थानों पर बिठा दिया !इस तरह 50 साल तक इनकी "खिचड़ी"पकती" रही ! शोर मचाते रहे "सेकुलर-कोम्युनल" का !
                        जैसे-जैसे दुसरे नेताओं को इनके भेद पता चले वैसे-वैसे वो क्षेत्रीय पार्टियां बनाकर इनसे अपना "हिस्सा" लेने लगे ! अब हाल ये हो गया है कि सभी दलों के बड़े राजनेता एक दुसरे के भेदों को जानते हैं और उसी के बलपर समय-समय पर एक दुसरे को ब्लैकमेल करते रहते हैं ! आम जनता को कुछ और कारण बताते हैं ! 
                          आजकल फिर एक "जनता-परिवार"बन रहा है ! मीटिंग हो रही हैं , हिस्से फिक्स किये जा रहे हैं ! बिहार में 125 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी को महज़ 40 सीटें दी हैं मुलायम-लालू और नीतीश कुमार जी ने !आज कांग्रेस इतने में ही खुश है ! उधर भाजपा में 100 - 150 ऐसे लोग हैं जिन पर भरोसा किया जा सकता है की वो मोदी जी के नेतृत्व में देश को आगे लेकर जाएंगे और आजादी का सही फायदा भारत की आम जनता को पंहुचाएँगे !आप सबको आजादी मुबारक !
           

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आपका अपना - पीताम्बर दत्त शर्मा -(लेखक-विश्लेषक), मोबाईल नंबर - 9414657511 , सूरतगढ़,पिनकोड 

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Wednesday, August 12, 2015

"परायी शिक्षा-पद्धिति,क़ानून,लोक-तंत्र-व्यवस्था,और वैज्ञानिक-खोजों के सहारे आगे बढ़ता ,हमारा ये देश- प्यारा-भारत"!! - पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक) मो. न. - 9414657511

प्यारे देश वासियो ! क्या था हमारा भारत देश , और आज क्या हो गया है ? इसे इस स्थिति तक लाने में हम सब का कुछ न कुछ सहयोग अवश्य रहा है !इसे बर्बाद करने में हमारी "कम" भूमिका इस लिए नहीं है कि हम इसे ज्यादा बर्बाद करना नहीं चाहते थे ! बल्कि हम इसे कम बर्बाद इसलिए कर पाये , क्योंकि "ज्यादा हुनरमन्द"लोगों ने हमें ये पवित्र काम करने का मौका ही नहीं दिया ! अगर हमें ये "सुअवसर" मिल जाता , तो आज हमारा भी नाम किसी सड़क,स्टेडियम,योजना और संसद की कार्यवाही में लिखा हुआ होता !
                               पहले अगर कोई बुरा काम करता था तो पता नहीं चलता था !क्योंकि उस समय बुराईयाँ और सम्पर्क साधन बहुत कम उपलब्ध थे !लेकिन आज कल तो कोई कितना भी छिपाकर कर कैसा भी घोटाला करे , वो तुरंत बाहर आ जाता है !आज के लोकतंत्र का पाँचवाँ खम्भा यानी "सोशियल-मीडिया" एक ऐसा माध्यम है जिसने देश के चौथे खम्भे की भी नींद हराम कर रख्खी है ! उनका धंधा तो दो ही बातों पर चलता था ! पहली तो ये कि इतने पैसे दे दे नहीं तो, देखले !! तेरी फलानी खबर छाप दूंगा या टीवी पर चला दूंगा !और दूसरी ये कि मेरा वो काम करदे नहीं तो तेरी ये खबर दबा दूंगा !
                         मतलब ये कि देश-हित और देश-भक्ति की भावनाएं अगर किसी में हों तो वो आज के समय में बावरा ही कहलाता है ! हम जो भी काम करते हैं उसमें ही ईमानदारी ले आएं तो देश और देशवासी तर जाएँ ! लेकिन हम तो कोई ना कोई नया तरीका बईमानी करने का निकाल ही लेते हैं !! मास्टर,पत्रकार,ठेकेदार,व्यापारी,कर्मचारी,धर्मचारी,समाजसेवी और नेता में से बड़ा चोर-बेईमान कौन है फैसला तो सिर्फ इस बात का करना है हमको ! लेकिन जज किसको बनायें ?? वो भी तो कुछ-कुछ दागी पाये गए हैं !???
                          संसद का मानसून सत्र ऐसे ही देशभक्तों के कारण वर्षा में बह गया ! आखरी दो दिन में कितनी प्रासंगिक बहस और कितने विधेयक पास हो पाते हैं , ये देखेंगे " हम-लोग" !! भविष्य सिर्फ युवाओं के हाथ में ही सुरक्षित है जो अपनी संस्कृति  अनुसार अपने कायदे क़ानून बना पाएंगे ! आंबेडकर साहिब के बनाये संविधान को तो हमलोग कब का बेचकर खा गए ! आज का क़ानून और व्यवस्था 1947 के मूल्यों पर कहीं खरा नहीं उतरता !जरूरत है आमूल-चूल परिवर्तन की और हमारे नेता संशोधन करते नज़र आते हैं !सारा कुछ इन नेताओं ने अपने अनुरूप ढाल लिया है !और फिर 15 अगस्त को हमारे प्रधानमंत्री जी, जो कि सरदार मनमोहन सिंह जी के "मौन-फार्मूले" से बड़े प्रभावित दिखते हैं आजकल ! उस दिन क्या बोलेंगे ! देखेंगे !और हम सब उन्हें सुनकर "धन्य" हो जायेंगे ! सब मिलकर बोलेंगे "जय-हिन्द" !!
                               मित्रो !!"5TH PILLAR CORRUPTION KILLER",नामक ब्लॉग रोज़ाना अवश्य पढ़ें,जिसका लिंक -www.pitamberduttsharma.blogspot.com. है !इसे अपने मित्रों संग शेयर करें और अपने अनमोल विचार भी हमें अवश्य लिख कर भेजें !इसकी सामग्री आपको फेसबुक,गूगल+,पेज और कई ग्रुप्स में भी मिल जाएगी !इसे आप एक समाचार पत्र की तरह से ही पढ़ें !हमारी इ-मेल ईद ये है - pitamberdutt.sharma@gmail.com. f.b.id.-www.facebook.com/pitamberduttsharma.7 . आप का जीवन खुशियों से भरा रहे !इस ख़ुशी के अवसर पर आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !!
आपका अपना - पीताम्बर दत्त शर्मा -(लेखक-विश्लेषक), मोबाईल नंबर - 9414657511 , सूरतगढ़,पिनकोड -335804 ,जिला श्री गंगानगर , राजस्थान ,भारत !

                                                                     



Sunday, August 9, 2015

"इस घोर-कलयुग की माया का मज़ा लीजिये " हज़ूर !! - पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक) मो. न. - 9414657511.

सेक्स,धोखा,छलावा,भ्रष्टाचार,और ड्रामेबाज़ी आज हमें क्यों परेशान कर रही है ?? नेताओं के ड्रामे आप से देखे नहीं जा रहे ??आप सोच-सोच के परेशान हुए जा रहे हैं कि ये क्यों हो रहा है ?? क्योंकि ये तो होना ही था !! जी क्या कहा  ?? आपको विश्वास नहीं हो रहा ! आइये मैं आपको बताता हूँ हमारे सनातन धर्म के ग्रंथों में ये पहले से ही लिखा हुआ है ! यहां तक कि गोपी फिल्म में दलीप कुमार साहिब पर एक गाना भी फिल्माया जा चुका है कि राम चन्द्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा , हंस चुगेगा दाना - तिनका, कौआ मोती खायेगा !! सच पढ़िए !
कलियुग पारम्परिक भारत का चौथा युग है।
आर्यभट के अनुसार महाभारत युद्ध ३१३७ ईपू में हुआ। कलियुग का आरम्भ कृष्ण के इस युद्ध के ३५ वर्ष पश्चात निधन पर हुआ।भागवत पुराण  के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के इस पृथ्वी से प्रस्थान के तुंरत बाद 3102 ईसा पूर्व से कलि युग आरम्भ हो गया |

                                  कलियुग का आगमन

धर्मराज युधिष्ठिरभीमसेनअर्जुननकुल और सहदेव पाँचों पाण्डव महापराक्रमी परीक्षित को राज्य देकर महाप्रयाण हेतु उत्तराखंड की ओर चले गये और वहाँ जाकर पुण्यलोक को प्राप्त हुये। राजा परीक्षित धर्म के अनुसार तथा ब्राह्नणों की आज्ञानुसार शासन करने लगे। उत्तर नरेश की पुत्री इरावती के साथ उन्होंने अपना विवाह किया और उस उत्तम पत्नी से उनके चार पुत्र उत्पन्न हुये। आचार्य कृप को गुरु बना कर उन्होंने जाह्नवी के तट पर तीन अश्वमेघ यज्ञ किये। उन यज्ञों में अनन्त धन राशि ब्रह्मणों को दान में दी और दिग्विजय हेतु निकल गये।
उन्हीं दिनों धर्म ने बैल का रूप बना कर गौरूपिणी पृथ्वी से सरस्वती तट पर भेंट किया। गौरूपिणी पृथ्वी की नेत्रों से अश्रु बह रहे थे और वह श्रीहीन सी प्रतीत हो रही थी। धर्म ने पृथ्वी से पूछा - "हे देवि! तुम्हारा मुख मलिन क्यों हो रहा है? किस बात की तुम्हें चिन्ता है? कहीं तुम मेरी चिन्ता तो नहीं कर रही हो कि अब मेरा केवल एक पैर ही रह गया है या फिर तुम्हें इस बात की चिन्ता है कि अब तुम पर शूद्र राज्य करेंगे?"
पृथ्वी बोली - "हे धर्म! तुम सर्वज्ञ होकर भी मुझ से मेरे दुःख का कारण पूछते हो! सत्य, पवित्रता, क्षमा, दया, सन्तोष, त्याग, शम, दम, तप, सरलता, क्षमता, शास्त्र विचार, उपरति, तितिक्षा, ज्ञान, वैराग्य, शौर्य, तेज, ऐश्वर्य, बल, स्मृति, कान्ति, कौशल, स्वतन्त्रता, निर्भीकता, कोमलता, धैर्य, साहस, शील, विनय, सौभाग्य, उत्साह, गम्भीरता, कीर्ति, आस्तिकता, स्थिरता, गौरव, अहंकारहीनता आदि गुणों से युक्त भगवान श्रीकृष्ण के स्वधाम गमन के कारण घोर कलियुग मेरे ऊपर आ गया है। मुझे तुम्हारे साथ ही साथ देव, पितृगण, ऋषि, साधु, सन्यासी आदि सभी के लिये महान शोक है। भगवान श्रीकृष्ण के जिन चरणों की सेवा लक्ष्मी जी करती हैं उनमें कमल, वज्र, अंकुश, ध्वजा आदि के चिह्न विराजमान हैं और वे ही चरण मुझ पर पड़ते थे जिससे मैं सौभाग्यवती थी। अब मेरा सौभाग्य समाप्त हो गया है।"
जब धर्म और पृथ्वी ये बातें कर ही रहे थे कि मुकुटधारी शूद्र के रूप में कलियुग वहाँ आया और उन दोनों को मारने लगा।
अरे दुष्ट कलिकाल तू, देता दुःख महान।
पाण्डु पौत्र मारन चले, ले करमें धनुवान॥
राजा परीक्षित दिग्विजय करते हुये वहीं पर से गुजर रहे थे। उन्होंने मुकुटधारी शूद्र को हाथ में डण्डा लिये एक गाय और एक बैल को बुरी तरह पीटते देखा। वह बैल अत्यन्त सुन्दर था, उसका श्वेत रंग था और केवल एक पैर था। गाय भी कामधेनु के समान सुन्दर थी। दोनों ही भयभीत हो कर काँप रहे थे। महाराज परीक्षित अपने धनुषवाण को चढ़ाकर मेघ के समान गम्भीर वाणी में ललकारे - "रे दुष्ट! पापी! नराधम! तू कौन है? इन निरीह गाय तथा बैल क्यों सता रहा है? तू महान अपराधी है। तेरे अपराध का उचित दण्ड तेरा वध ही है।" उनके इन वचनों को सुन कर कलियुग भय से काँपने लगा।
महाराज ने बैल से पूछा कि हे बैल तुम्हारे तीन पैर कैस टूटे गये हैं। तुम बैल हो या कोई देवता हो। हे धेनुपुत्र! तुम निर्भीकतापूर्वक अपना अपना वृतान्त मुझे बताओ। हे गौमाता! अब तुम भयमुक्त हो जाओ। मैं दुष्टों को दण्ड देता हूँ। किस दुष्ट ने मेरे राज्य में घोर पाप कर के पाण्डवों की पवित्र कीर्ति में यह कलंक लगाया है? चाहे वह पापी साक्षात् देवता ही क्यों न हो मैं उसके भी हाथ काट दूँगा। तब धर्म बोला - "हे महाराज! आपने भगवान श्रीकृष्ण के परमभक्त पाण्डवों के कुल में जन्म लिया है अतः ये वचन आप ही के योग्य हैं। हे राजन्! हम यह नहीं जानते कि संसार के जीवों को कौन क्लेश देता है। शास्त्रों में भी इसका निरूपण अनेक प्रकार से किया गया है। जो द्वैत को नहीं मानता वह दुःख का कारण अपने आप को ही स्वीकार करता हैं। कोई प्रारब्ध को ही दुःख का कारण मानता है और कोई कर्म को ही दुःख का निमित्त समझता है। कतिपय विद्वान स्वभाव को और कतिपय ईश्वर को भी दुःख का कारण मानते हैं। अतः हे राजन्! अब आप ही निश्चित कीजिये कि दुःख का कारण कौन है।"
सम्राट परीक्षित उस बैल के वचनों को सुन कर बोले - "हे वृषभ! आप अवश्य ही बैल के रूप में धर्म हैं और यह गौरूपिणी पृथ्वी माता है। आप धर्म के मर्म को भली-भाँति जानते हैं। आप किसी की चुगली नहीं कर सकते इसीलिये आप दुःख देने वाले का नाम नहीं बता रहे हैं। हे धर्म! सतयुग में आपके तप, पवित्रता, दया और सत्य चार चरण थे। त्रेता में तीन चरण रह गये, द्वापर में दो ही रह गये और अब इस दुष्ट कलियुग के कारण आपका एक ही चरण रह गया है। यह अधर्मरूपी कलियुग अपने असत्य से उस चरण को भी नष्ट करने का प्रयत्न कर रहा है। भगवान श्रीकृष्णचन्द्र के स्वधाम गमन से दुष्ट पापी शूद्र राजा लोग इस गौरूपिणी पृथ्वी को भोगेंगे इसी कारण से यह माता भी दुःखी हैं।"
इतना कह कर राजा परीक्षीत ने उस पापी शूद्र राजवेषधारी कलियुग को मारने के लिये अपनी तीक्ष्ण धार वाली तलवार निकाली। कलियुग ने भयभीत होकर अपने राजसी वेष को उतार कर राजा परीक्षित के चरणों में गिर गया और त्राहि-त्राहि कहने लगा। राजा परीक्षित बड़े शरणागत वत्सल थे, उनहोंने शरण में आये हुये कलियुग को मारना उचित न समझा और कलियुग से कहा - "हे कलियुग! तू मेरे शरण में आ गया है इसलिये मैंने तुझे प्राणदान दिया। किन्तु अधर्म, पाप, झूठ, चोरी, कपट, दरिद्रता आदि अनेक उपद्रवों का मूल कारण केवल तू ही है। अतः तू मेरे राज्य से तुरन्त निकल जा और लौट कर फिर कभी मत आना।"
राजा परीक्षित के इन वचनों को सुन कर कलियुग ने कातर वाणी में कहा - "हे राजन्! आपका राज्य तो सम्पूर्ण पृथ्वी पर है, आपके राज्य से बाहर ऐसा कोई भी स्थान नहीं है जहाँ पर कि मैं निवास कर सकूँ। हे भूपति! आप बड़े दयालु हैं, आपने मुझे शरण दिया है। अब दया करके मेरे निवास का भी कुछ न कुछ प्रबन्ध आपको करना ही होगा।"
कलियुग इस तरह कहने पर राजा परीक्षित सोच में पड़ गये। फिर विचार कर के उन्होंने कहा - "हे कलियुग! द्यूत, मद्यपान, परस्त्रीगमन और हिंसा इन चार स्थानों में असत्य, मद, काम और क्रोध का निवास होता है। इन चार स्थानों में निवास करने की मैं तुझे छूट देता हूँ।" इस पर कलियुग बोला - "हे उत्तरानन्दन! ये चार स्थान मेरे निवास के लिये अपर्याप्त हैं। दया करके कोई और भी स्थान मुझे दीजिये।" कलियुग के इस प्रकार माँगने पर राजा परीक्षित ने उसे पाँचवा स्थान 'स्वर्ण' दिया।
कलियुग इन स्थानों के मिल जाने से प्रत्यक्षतः तो वहाँ से चला गया किन्तु कुछ दूर जाने के बाद अदृष्य रूप में वापस आकर राजा परीक्षित के स्वर्ण मुकुट में निवास करने लगा।
                                                आइये मित्रो ! आपका स्वागत है !आपके लिए ढेर सारी शुभकामनाएं ! कृपया स्वीकार करें !फिफ्थ पिल्लर करप्शन किल्लर नामक ब्लॉग में जाएँ ! इसे पढ़िए , अपने मित्रों को भी पढ़ाइये शेयर करके और अपने अनमोल कमेंट्स भी लिखिए इस लिंक पर जाकरwww.pitmberduttsharma.blogspot.com. है !इसे आप एक समाचार पत्र की तरह से ही पढ़ें !हमारी इ-मेल आई. डी. ये है - pitamberdutt.sharma@gmail.com. f.b.id.-www.facebook.com/pitamberduttsharma.7 . आप का जीवन खुशियों से भरा रहे !इस ख़ुशी के अवसर पर आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !!
आपका अपना - पीताम्बर दत्त शर्मा -(लेखक-विश्लेषक), मोबाईल नंबर - 9414657511 , सूरतगढ़,पिनकोड -335804 ,जिला श्री गंगानगर , राजस्थान ,भारत ! इस पर लिखे हुए लेख आपको मेरे पेज,ग्रुप्स और फेसबुक पर भी पढ़ने को मिल जायेंगे ! धन्यवाद ! आपका अपना - पीताम्बर दत्त शर्मा , ( लेखक-विश्लेषक) मो. न. - 9414657511


Friday, August 7, 2015

हम अपने "गुरु"जी को कितना जानते-पहचानते हैं और क्या हम उनका "कहा"मानते भी हैं ?? - पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक) मो. न. - 9414657511 .

मित्रो !! आजकल टीवी चैनलों में तथाकथित "गुरुओं" के बारे में बहुत कुछ दिखाया, समझाया और बताया जा रहा है ! उनके गवाह भी पता नहीं कहाँ -कहाँ से आकर , अपना "ज्ञान" दिखा,सुना और बोलकर बता जाते हैं ?? वैसे तो सनातन धर्म "गुरुओं,देवताओं,देवियों और राक्षसों" से भरा पड़ा है ! जितने चाहो -जैसे चाहो वैसे ही गुरु और भगवान आपको और हमको मिल जाएंगे ! लेकिन फिर भी पता नहीं क्यों हमें "वर्तमान"में जन्मे गुरु की "सेवा" करने की बड़ी ही इच्छा रहती है !??
                     मैं बदनाम हुए या जेल में पंहुच चुके "गुरुओं"की महिमा का बखान या कोई बुराई , अपने इस लेख में करके अपनी "T.R.P."नहीं बढ़ाना चाहता हूँ ! मैं तो सिर्फ ये कहना चाहता हूँ कि इन जैसों की आवश्यकता ही क्यों महसूस होती है ! आप सब अपने अंतर्मन में झाँक कर स्वयं ही इसका उत्तर मुझे और अपने आप को बताएं जी ! मैं तो अपने अंतर्मन की बात आपसे साँझा कर सकता हूँ !जो ये है -:
                         मैं एक ब्राह्मण परिवार में जन्मा व्यक्ति हूँ !मेरे माता-पिता ने सनातन धर्म का प्रचार करने का काम भी किया है ! इस कारण से मुझे  बताया गया है कि हर इंसान का पहला गुरु उसकी माता , दूसरा गुरु उसका पिता, तीसरा गुरु उसका शिक्षक होता है ! उसके बाद जो कोई जितनी "कलाओं" में निपुण होना चाहे उसे उतने ही गुरुओं की आवश्यकता पड़ती है ! इसी तरह से शायद सबका जीवन चलता है !
                               आगे चल कर जब उसे स्वर्ग जाने और नरक में ना जाने की चिंता सताने लगती है अपने कर्मों के कारण , तो वो परमात्मा से मिलने हेतु किसी धार्मिक गुरु की तलाश करता है ! जिस के लिए वो जिस घर में जन्मा है, उसी घर वालों के धर्म का ही गुरु तलाशना "आसान समझता है !बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो जन्मे तो किसी धर्म वाले घर में और शिष्य बनें किसी और धर्म के गुरु का ! हाँ !! लालच और बहलाकर अवश्य ऐसे लोगों की संख्या अवश्य बढ़ायी जा सकती है !
                            हमारे सनातन धर्म में तो स्पष्ट लिखा गया है कि " गुरु और शिष्य , दोनों एक दुसरे को ठोक-बजाकर  ही अपनाएं " !! फिर भी ई कलयुग में ना जाने कैसे कैसे चेले और गुरुओं से पाला पड़ जाता है जी !! भगवान ही बचाये इन "करामाती-खुराफाती"गुरुओं और उनसे भी खतरनाक उनके चेलों से ! भैया !वैसे ये भी देखने में आया है कि होशियार "चेले"तो गुरु को धत्ता बताकर अपनी नयी "दूकान" खोल लेते हैं !नए नियम बना देते हैं  दूसरों को भी उसके ही बनाये नियमों पर चलने हेतु मजबूर कर देते हैं !
                     "राधा-स्वामी,निरंकारी और सच्चा-सौदा "जैसे आधुनिक पन्थों में लिखी अच्छी बातों को तो छोड़िये जी !ऐसे लोग तो वेद,शास्त्र,रामायण,गीताऔरश्री गुरु ग्रन्थ साहेब की सच्ची बानी का कहा भी नहीं मानते ! अपने ही बनाये नियमों का महत्व बताते हैं ! ऐसे लोगों ने तो सीधे नरकों में ही जाना है ना जी ! ऐसे लोगों को कौन बचा सकता है ??इसलिए आज हम एकांत में बैठकर सोचें , और जानने की कोशिश करें कि हम अपने "गुरु"जी को कितना जानते-पहचानते हैं और क्या हम उनका "कहा"मानते भी हैं ?? नहीं मानते तो मानना शुरू करो जी !! आज से ही !

                                





                         आइये मित्रो ! आपका स्वागत है !आपके लिए ढेर सारी शुभकामनाएं ! कृपया स्वीकार करें !फिफ्थ पिल्लर करप्शन किल्लर नामक ब्लॉग में जाएँ ! इसे पढ़िए , अपने मित्रों को भी पढ़ाइये शेयर करके और अपने अनमोल कमेंट्स भी लिखिए इस लिंक पर जाकरwww.pitmberduttsharma.blogspot.com. है !इसे आप एक समाचार पत्र की तरह से ही पढ़ें !हमारी इ-मेल आई. डी. ये है - pitamberdutt.sharma@gmail.com. f.b.id.-www.facebook.com/pitamberduttsharma.7 . आप का जीवन खुशियों से भरा रहे !इस ख़ुशी के अवसर पर आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !!
आपका अपना - पीताम्बर दत्त शर्मा -(लेखक-विश्लेषक), मोबाईल नंबर - 9414657511 , सूरतगढ़,पिनकोड -335804 ,जिला श्री गंगानगर , राजस्थान ,भारत ! इस पर लिखे हुए लेख आपको मेरे पेज,ग्रुप्स और फेसबुक पर भी पढ़ने को मिल जायेंगे ! धन्यवाद ! आपका अपना - पीताम्बर दत्त शर्मा , ( लेखक-विश्लेषक) मो. न. - 9414657511

"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...