Monday, March 30, 2015

" आप " का क्या होगा जनाबे आली ??-पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

" घाघ " समाजसेवियों ने देखा कि नेता लोग जनता को बेवकूफ बनाकर बहुत " कमाईयाँ " कर रहे हैं , तो उन सबने सोचा कि चलो हम भी कमाई करलें !! बिल्कुल वैसे ही जैसे आज से कुछ वर्ष पहले गुण्डे-बदमाशों ने सोचा था और वो आजकल पूरे नेता ही लगते हैं , गुण्डे बिलकुल भी नहीं लगते जी !उसी तरह से इन पत्रकार+समाजसेवियों ने ऐसे चक्कर और स्टिंग चलाये कि जो  आपको " तीसमारखां" समझ रही थी वो ज़मीं पर धुल चाटती नज़र आई ! 125 वर्ष पुरानी कांग्रेस ने तो पानी भी नहीं माँगा !! समाजवादियों और कॉमरेडों को भाजपा वाले बुरी तरह से " धो " चुके थे !



                                      

बहुत स्टिंग आपरेशन चल रहा है, दोस्तों..!!

पत्रकारिता, राजनीति या मीडिया में ‘स्टिंग’ का मतलब तो हम सब खूब जानते-देखते हैं. अक्सर यह प्रायोजित और सोची समझी योजना के साथ किसी व्यक्ति या घटना के साथ आडियो या वीडियो उपकरणों को छुपा कर चुपके से किया जाता है. इन दिनों ‘स्टिंग तकनोलाजी’ का विकास भी बहुत हो गया है. जेब में रखे पेन, कार की चाभी या शर्ट की ऊपरी बटन में फिट लेंस के कई उपकरण बाज़ार में हैं.
Sting_Operation
वैसे ‘स्टिंग’ का हिन्दी में साधारण अर्थ ‘डंक’ होता है. यह अचानक किसी को पीड़ा पहुचाने के लिए किया जाता है. राजनीति में जब ऐसा डंक किसी को मारने पर, जब पीड़ित व्यक्ति चीखता-चिल्लाता है, बौखलाता है या डंकदार कीड़े को गालियाँ देता है या दर्द में तड़पता है, तो वह मीडिया का बाईट बनता है. इससे राजनीतिक मनोरंजन होता है और टीवी चैनलों का टीआरपी बढ़ता है तथा विज्ञापन राजस्व बढ़ता है. किसी विरोधी को गिराने या उसकी छवि को खराब करने के लिए उससे द्वेष या विरोध रखने वाले लोग अक्सर आये दिन ऐसा किया करते हैं.
बिच्छू, ततैया, मधुमक्खी समेत कई छोटे-मोटे कीड़े अक्सर डंक मारते हैं. बिच्छू के डंक मारने पर उस जगह पर पोटेशियम परमैगनेट को, हलकी खरोंच के बाद, मलने पर राहत मिलती है. लोहे के किसी टुकड़े से या चाकू आदि से भी उस जगह को खुजलाने-रगड़ने से कुछ देर में दंश की पीड़ा ख़त्म हो जाती है.
कुछ मौसमी मछलियाँ भी डंक मारती हैं.
दिसंबर से लेकर मार्च के महीने तक पश्चिमी आस्ट्रेलिया के उष्ण-तटबंधीय समुद्री जल में रहने वाली मछलियां, (जेली फिश), बहुत डंक मारती हैं. इनमें से सबसे खतरनाक होती हैं ‘बाक्स जेलीफिश’. ये बाकी सब बड़ी तादाद में रहने वाली मछलियों से दूर और अलग-थलग , इक्का-दुक्का गुट में रहती हैं. इनके डंक मारने पर , आस्ट्रेलिया में ट्रिपल जीरो –(000) नंबर पर फोन करने पर फ़ौरन उपचार होता है. जिस व्यक्ति को ये डंक मारती हैं , उसे शांत करने के लिए कार्डियो-पलमिनरी रिस्कसियेशन (हृत-तंत्रीय उपचार) किया जाता है.
वैसे सबसे आसान होता है, शरीर के जिस जगह पर डंक मारा गया हो, वहां फ़ौरन सिरका (विनेगर) उड़ेल कर अच्छी तरह रगड़ देना चाहिये.
सबसे बेहतर तो यही है कि ‘स्टिंगर’ या ‘डंक’ मारने वाले कीड़े-मकोड़ों या अन्य प्राणियों से दूर ही रहा जाय .
मैंने भी इन दिनों यही फैसला किया है.
आपके क्या विचार हैं???

मोदी समेत देश के तमाम नेता मीडिया-मैनेजमेंट और ख़रीद-फ़रोख्त में केजरीवाल के सामने बौने साबित हुए ..

केजरी भाई ने खुलासा किया है कि दो बड़े समाचार चैनलों के वरिष्ठ संपादकों ने उन्हें बताया था कि योगेंद्र यादव उनके खिलाफ खबरें प्लांट करा रहे थे। इसका सीधा-सीधा मतलब यह भी हुआ कि कम से कम दो बड़े समाचार चैनलों के वे वरिष्ठ संपादक खुलकर केजरीवाल के पक्ष में ख़बरें चला और चलवा रहे थे।
 media-management by arvind kejriwal

अति-विश्वस्त सूत्रों के हवाले से मुझे इस बात की पुख्ता जानकारी थी कि केजरीवाल ने मीडिया में कई बड़े लोगों को नेता बनाने का सपना दिखाकर उनका ईमान ख़रीदा था, तो कई छोटे और मध्यम दर्जे के लोगों को आर्थिक रूप से भी ऑबलाइज किया था। हां, कई नौजवान और ईमानदार पत्रकार ज़रूर इस उम्मीद में उनके साथ बह चले थे कि देश में क्रांति अब अगले ही मोड़ पर खड़ी है।
केजरीवाल ने सिर्फ अन्ना हज़ारे, शांति भूषण, प्रशांत भूषण, किरण बेदी, योगेंद्र यादव, आनंद कुमार, मेधा पाटकर, राजेंद्र सिंह, स्वामी अग्निवेश, बाबा रामदेव, कैप्टन गोपीनाथ, एडमिरल रामदास और जनरल वीके सिंह जैसे अपने-अपने क्षेत्र के दिग्गजों को ही यूज़ (एंड थ्रो) नहीं किया, बल्कि मीडिया को भी बुरी तरह यूज़ किया।
केजरीवाल की वजह से देश में न सिर्फ़ जन-आंदोलनों की विश्वसनीयता और ईमानदार वैकल्पिक राजनीति की उम्मीदों को झटका लगा, वरन मीडिया की साख भी धूल में मिल गई। जितनी मेरी समझ और जानकारी है, उसके मुताबिक मोदी समेत देश के तमाम नेता मीडिया-मैनेजमेंट और ख़रीद-फ़रोख्त में उनके सामने बौने साबित हुए हैं।

                                                                              
अब बेचारी जनता अपना माथा पीटे या रोये-चिल्लाये ,

अब जो होना था , वो तो हो चुका!!अगले 5 सालों तक

तो ये सभी राजनितिक दलों के नेता यूँ ही " सकेंगे " !!

 अब भुगतो !!! 

                       जय श्री राम !!!!

आपसे मित्रता करके मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है ! आपके जनम दिन की आपको हार्दिक बधाई और शुभ कामनाएं !! कृपया स्वीकार करें ! आपका जीवन सदा खुशियों से भरा रहे !! मेरा फेसबुक,गूगल+,ब्लॉग,पेज और विभिन्न ग्रुपों की सदस्य्ता ग्रहण करने का एक ख़ास उद्देश्य है ! मैं एक लेखक-विश्लेषक और एक समीक्षक हूँ ! राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय ज्वलंत विषयों पर लिखना -पढ़ना मेरा शौक है ! मैं एक साधारण पढ़ालिखा और साफ़ स्वभाव का आदमी हूँ ! भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म से प्यार करता हूँ ! भारत देश के लिए अगर मेरे प्राण काम आ सकें तो मैं इसे अपना सौभाग्य मानूंगा !परन्तु किसी संत-राजनितिक दल और नेता हेतु नहीं !मैं एक बिन्दास स्वभाव का आदमी हूँ ! मेरी मित्र मण्डली में मेरे बच्चे और रिश्तेदार भी शामिल हैं ! तो भी मैं सभी विषयों पर अपने खुले विचार रखता हूँ !! आप सब का हार्दिक स्वागत है मेरे जीवन में !! मैं आपकी यादों - बातों को संभल कर रखूँगा !!
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आशा है आपका प्यार मुझे इसी तरह से मिलता रहेगा !!आपका क्या कहना है मित्रो ??अपने विचार अवश्य हमारे ब्लॉग पर लिखियेगा !!
सधन्यवाद !!
आपका प्रिय मित्र,
पीताम्बर दत्त शर्मा,
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मोबाईल नंबर-09414657511
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Posted by PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh. (raj)INDIA.

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (31-03-2015) को "क्या औचित्य है ऐसे सम्मानों का ?" {चर्चा अंक-1934} पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...