Friday, January 9, 2015

मकर-संक्रांति और लोहड़ी पर्व की खुशियाँ आओ हम सब मनाएं !!-पीताम्बर दत्त शर्मा

 कहाँ गए वो ......लोहड़ी के लोकगीत !!!
लोहड़ी का त्योहार मकर संक्रान्ति से एक दिन पहले १३ जनवरी को मनाया जाता है। पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के आसपास लोहड़ी की ज़्यादा धूम रहती है। १३ जनवरी की शाम आग जला कर कड़कती सर्दी की छुट्टी कर दी जाती है। मूँगफली, रेवड़ी और फुल्ले याने पापकोर्न बाँटे जाते हैं। साथ ही ढोल की धुन पर गीतों और भंगड़े का आनंद लिया जाता है। लोहड़ी पर गाए जाने वाले लोकगीतों में से कुछ यहाँ प्रस्तुत हैं।
हुल्ले नी माईये हुल्ले
दो बेरी पत्ते झुल्ले
दो झुल्ल पईयां खजूरां
खजूरां सट्टया मेवा
एस मुँडे दे घर मंगेवां
एस मुंडे दी वोटी निकड़ी
ओ खांदी चूरी कुटड़ी
कुट कुट भरया थाल
वोटी बवे ननांणा नाल
नंनाण ते वड्डी परजाई
मैं कुड़मां दे घर आई
मैं लोहड़ी लैण आई !
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सुन्दर मुंदरिये - होय !
तेरा कौन विचारा - होय !
दुल्ला भट्टी वाला - होय !
दुल्ले धी व्याई - होय !
सेर शक्कर पाई - होय !
कुड़ी दा लाल पटाका - होय !
कुड़ी दा सल्लू पाटा - होय !
सल्लू कौन समेटे - होय !
चाचे चूरी कुट्टी - होय !
ओ जिमीदारां लुट्टी - होय !
जिमीदार सुधाए - होय !
गिन गिन भोले आए - होय !
इक भोला रै गया - होय !
सिपाई फड़ के लै गया - होय !
सिपाई ने मारी इट्ट - होय !
भांवे रो ते भांवे पिट्ट - होय !
सानू दे दे लोड़ी, ते जीवे तेरी जोड़ी
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असी गंगा चल्ले - शावा !
सस सौरा चल्ले - शावा !
जेठ जेठाणी चल्ले - शावा !
देयोर दराणी चल्ले - शावा !
पियारी शौक़ण चल्ली - शावा !
असी गंगा न्हाते - शावा !
सस सौरा न्हाते - शावा !
जेठ जठाणी न्हाते - शावा !
देयोर दराणी न्हाते - शावा !
पियारी शौक़ण न्हाती - शावा !
शौक़ण पैली पौड़ी - शावा !
शौक़ण दूजी पौड़ी - शावा !
शौक़ण तीजी पौड़ी - शावा !
मैं ते धिक्का दित्ता - शावा !
शौक़ण विच्चे रूड़ गई - शावा !
सस सौरा रोण - शावा !
जेठ जठाणी रोण - शावा !
देयोर दराणी रोण - शावा !
पियारा ओ वी रोवे - शावा !
मैं क्या तुस्सी क्यूँ रोंदे
त्वाडे जोगी मैं बथेरी
मैंनू द्यो वधाइयां
त्वाडे जोगी मैं बथेरी - शावा शावा !
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1 comment:

  1. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (11-01-2015) को "बहार की उम्मीद...." (चर्चा-1855) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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