Sunday, June 15, 2014

मनुवाद के विरोधियो पहले पढ़ो फिर विरोध करो !! - सूबेदार जी पटना


महर्षि मनु और मनुस्मृति----------!

        आज आये दिन मनु भगवान के बारे में बिना किसी अध्ययन और जानकारी के उल-जलूल बातें करना फैशन सा बन गया है आखिर ये महर्षि मनु कौन थे-! भारतीय वांग्मय पर शायद ही इतना प्रभाव किसी महापुरुष का हो, सुदूर गाव के बच्चे से लेकर शहरी विद्वानों तक मनु को ही आदर्श मानना तथा- कथित वामपंथी, समाजवादी और प्रगतिशील आलोचना के रूप में ही सही बिना महर्षि मनू के अपनी लेखनी चला नहीं पा रहे हैं तो ये कौन थे-? हिन्दू विचार (विज्ञान) के अनुसार प्रत्येक चतुर्युगी के पश्चात पृथ्बी का प्रलय होता है फिर भगवान मनु सृष्टि की रचना करते हैं मनु पृथबी के प्रथम राज़ा और संविधान निर्माता थे, उन्होने ही मानव जाती को जीवन जीने की कला, गाव, समाज निर्माण, वैदिक शिक्षा, परिवार ब्यवस्था, क्या खाद्य, क्या अखाद्य-! रहन-सहन सिखाया वे अपनी सभी संतानों से समान प्रेम करते थे, महर्षि मनु की ही देन है कि शूद्र कुलीन ऋषि यलुष, दीर्घतमा जैसे वैदिक ऋषि हुए जिनके मुख से वेदों की ऋचाएं निकली और ऐतरेय ब्राह्मण ग्रन्थ लिखने वाले ऋषि महिदास भी शूद्र कुल के होते हुए भी इतना महान वैदिक ग्रन्थ की रचना--! यह महान मनु की ही देन कह सकते हैं । 
          भारतीय चतुर्युगी और मन्वन्तर काल गणना पद्धति के अनुसार आज जो हमारा सृष्टि सम्बत है एक अरब, छियानबे करोड़, आठ लाख, तिरपन हज़ार, नवासी वर्ष बीत चुके है और यह छियासीवाँ सृष्टि चल रहा है इकहत्तर चतुर्युगी का एक मन्वन्तर होता है स्वायम्भुव, स्वारोचिष, औत्तमी, तामस, रैवत, चाक्षुस ये छः मन्वन्तर बीत चुके हैं सातवां वैवस्वत मन्वन्तर चल रहा है और इसका कलयुग इस समय चल रहा है इस सृष्टि उत्पत्ति के समय को सुनकर पाश्चात्य और आधुनिक लोग अत्यधिक आश्चर्य करते हैं और विस्वास भी नहीं करते, उन्हें यह जिज्ञासा होती हैं की कालगणना का इतना लम्बा हिसाब कैसे रखा उन्हें यह नहीं पता की इस गणना को भारतियों ने तो पल और पहर तक का हिसाब रखा हुआ है, एक प्रश्न के उत्तर में स्वामी दयानंद ने कुछ पादरियों को उत्तर देते हुए बताया की हमारे यहाँ कोई भी शुभ कार्य होने पर एक संकल्प कराने की परंपरा है उसमे ''आर्यावर्ते वैवस्वत मन्वन्तरे कलियुगे काली प्रथम चरणे आदि-आदि'' बोलकर संकल्प कराया जाता है, इस प्रकार परंपराबद्ध रूप से यह कालगणना व समय का हिसाब सुरक्षित रहता है। 
           मनु कौन था भारतीय समाज का विस्वास है की महर्षि ब्रह्मा को मानव जाती के कल्याण हेतु ईश्वर ने वेदों का ज्ञान दिया इसी कारण ब्रह्मा के चार मुख का वर्णन---! ब्रह्मा ने अग्नि, वायु, अंगिरा और अदित्य ऋषियों को श्रुति का ज्ञान दिया उन्होंने अन्य ऋषियों के माध्यम से मानव समाज को शिक्षित करने का काम किया ऋग्वैदिक काल में कोई राजा नहीं था ऋषि महर्षि और मानव समाज ने ब्रह्मा के पास जाकर निवेदन किया समाज व्यवस्था, राज्य सञ्चालन हेतु किसी को तो चाहिए तब ब्रम्हा जी ने विवस्वान मनु को समाज व्यस्वस्था के लिए भेजा, मनु ने मानव समाज के लिए कुछ नियम बनाए जो वेदानुकूल थे जैसा की हमारे हिन्दू समाज की मान्यता है की हम सभी मनु की संतान हैं इस कारण हम मनुष्य कहलाए इसी कारण हमारे धर्म ग्रन्थों मे कहीं भी हिन्दू का नाम न होकर मानव का ही वर्णन है उस समय समाज मे वर्ण व्यसथा का निर्माण स्वाभाविक रूप से हो रहा था कर्म के अनुसार वर्ण मे अपने-अप हो जाता था भगवान मनु ने मानव जीवन हेतु उत्कृष्ट ग्रंथ तैयार किए जिसमे किसी के प्रति कोई भेद-भाव नहीं सबके साथ न्याय सभी को सभी वर्ण मे जाने का अधिकार था जिन सुदरों के विषय को लेकर मनु की आलोचना की जाती है वे मनुस्मृति मे क्या लिखते हैं----?
          सूद्र के विषय मे मनु की धारणा------1 -जो ब्यक्ति पढ़-लिख नहीं पाता और ऊपर के किसी वर्ण के योग्य नहीं वही सूद्र कहलाता है इसी कारक अध्याय 2 श्लोक 226 मे अज्ञानता के प्रतीक के रूप मे सूद्र की उपमा दी है 2- मनु ने सुद्रों को विद्वानो की सेवका करना बताया है, इसी से यह स्पष्ट हो जाता है की मनु ने सूद्र को स्पृस्य नहीं माना , 3- सुद्रों को धर्म पालन का पूर्ण अधिकार है (अध्याय-2 श्लोक 213 ) 4- वेदों मे कहीं भी सुद्रों के प्रति असम्मान, घृणा, आक्रोश के वर्णन नहीं हैं यदि हैं तो वे मनु के लिखे नहीं वल्कि क्षेपक है वेदों मे सुद्रों को भी यज्ञ करने का आदेश है, 5- सूद्र पवित्र है और उत्तम वर्ण प्राप्त कर सकता है (2-112), उस समय सूद्र धनिक व सम्मानित हुआ करते थे।
          करोणों अरबों वर्ष पुराना ग्रंथ होने के कारण कुछ स्वार्थी तत्वों ने समय-समय पर मनुस्मृति मे अनेक श्लोक डाल दिया जो सत्य-परक नहीं है स्वामी दयानन्द कहते है जो विज्ञान युक्त नहीं है वह वैदिक धर्म नहीं हो सकता, स्वामी जी के अनुसार वैसे तो मनुस्मृति मे चार हज़ार श्लोक का वर्णन बताते है लेकिन वर्तमान मनुस्मृति मे कुल 12 अध्याय, 2685 श्लोक है लेकिन उसमे समय-समय पर कुछ लोगो ने अपने तरफ से जो श्लोक डाले हैं उनकी संख्या 1471 है जो ऋषि प्रामाणिक स्मृति है उसका श्लोक 1214 है, मनुस्मृति मे जो कुछ सुद्रों के बारे मे गलत ब्याख्या की गयी है वह मनु की नहीं है हम सभी मनु की संतान है क्या कोई पिता अपनी ही संतानों मे भेद-भाव करेगा-? यह विचारणीय विषय है आठ सौ वर्ष इस्लामिक 200 वर्ष अंग्रेजों के शासन मे हमारे ग्रंथो मे हमारे स्वार्थी तत्वों द्वारा बहुत से ग्रंथो को बर्बाद किया गया है जो मैक्समूलर भारत आया ही नहीं जिसे संस्कृति भाषा आती ही नहीं थी वह हमे -हमारे ग्रन्थों के बारे मे क्या प्रमाण देगा-? ईसाई, मोहमदी, बौद्ध मतावलंबियों ने हमारे धर्म ग्रंथो को नष्ट-भ्रष्ट करने का प्रयत्न किया है हमे सचेत रहने की अवस्यकता है, विश्व के बड़े-बड़े विद्वानो का मत है की अरबों वर्ष पहले इस प्रकार का बिधान बना समाज संचालन की ब्यावस्था इससे अच्छी हो ही नहीं सकती थी। 
             एक पौराणिक कथा भी जुड़ती है एक दिन राज़ा मनु एक नदी के किनारे पानी पीने के लिए गए उनकी अंजुली मे एक छोटी सी मछली आ गयी ये फेकना ही चाहते थे की उसने आवाज दी की भगवन मुझे फेकों नहीं अपने साथ ले चलो मनु ने उसे अपनी कमंडल मे रख लिया घर पहुचते-पहुचते वह बड़ी हो गयी उन्होने उस मछली को एक टब मे रखवा दिया देखते-देखते वह टब से भी बड़ी हो गयी महर्षि ने उसे नजदीक के तालाब डाल दिया कुछ दिन बाद देखा की वह तालाब से भी बड़ी हो गयी मनु ने उसे नदी फिर समुद्र डाल दिया अब वह बहुत विशाल हो चुकी थी, ब्रम्हा का एक दिन बिता, एक चतुरयुगी समाप्त होने पर प्रलय होता है सारी की सारी धरती जल मग्न हो जाती है पशु-पक्षी, जीव-जन्तु, सभी वनस्पतियाँ मानव जाती समाप्त प्राय हो जाता है भगवान मनु एक लकड़ी की बहुत बड़ी नावका तैयार कराई धरती तो थी नहीं नाव कैसे चले उस समय वह मछली मनु की सहायता हेतु आयी भगवान यह नाव मुझसे बाध दीजिये मनु ने वैसा ही किया उस नाव पर जीव-जन्तु, पशु- पक्षी, वनस्पतियाँ सहित मानव समुदाय को रख लिया नाव कहाँ ले जाना लेकिन पृथबी का एक हिस्सा जो डूबता नहीं जिसे त्रिवस्तप (तिब्बत) कहते हैं भगवान नाव को वही लेजाकर सृष्टि का निर्माण करते हैं वहीं से मनुष्य नीचे उतरता है इसी कारण उस रास्ते को हरिद्वार भी कहते हैं आज भी भगवान मनु का मंदिर हिमांचल मे इसके सबूत के नाते खड़ा है । 
           अमेरिकन वैदिक विद्वान ''डेविड फ्रली'' (वामदेव शास्त्री) कहते है की वेदों, मनुस्मृति व भारतीय ग्रंथों को समझने के लिए भारतीय मन की अवस्यकता है।  


                 आपका क्या कहना है साथियो !! अपने विचारों से तो हमें भी अवगत करवाओ !! ज़रा खुलकर बताने का कष्ट करें !! नए बने मित्रों का हार्दिक स्वागत-अभिनन्दन स्वीकार करें !
जिन मित्रों का आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं और बधाइयाँ !!
"इन्टरनेट सोशियल मीडिया ब्लॉग प्रेस "
" फिफ्थ पिल्लर - कारप्शन किल्लर "
की तरफ से आप सब पाठक मित्रों को आज के दिन की
हार्दिक बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएं !!
ये दिन आप सब के लिए भरपूर सफलताओं के अवसर लेकर आये , आपका जीवन सभी प्रकार की खुशियों से महक जाए " !!
मित्रो !! मैं अपने ब्लॉग , फेसबुक , पेज़,ग्रुप और गुगल+ को एक समाचार-पत्र की तरह से देखता हूँ !! आप भी मेरे ओर मेरे मित्रों की सभी पोस्टों को एक समाचार क़ी तरह से ही पढ़ा ओर देखा कीजिये !! 
" 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " नामक ब्लॉग ( समाचार-पत्र ) के पाठक मित्रों से एक विनम्र निवेदन - - - !!
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पीताम्बर दत्त शर्मा,
हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार,
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जिला-श्री गंगानगर।
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BY :- " 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " THE BLOG . READ,SHARE AND GIVE YOUR VELUABEL COMMENTS DAILY . !!
Posted by PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh (RAJ.)  

5 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (16-06-2014) को "जिसके बाबूजी वृद्धाश्रम में.. है सबसे बेईमान वही." (चर्चा मंच-1645) पर भी है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. ज्ञानवर्धक पोस्ट...

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  3. बहुत हीं ज्ञानवर्धक जानकारियाँ |

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  4. बहुत सुंदर ,ज्ञानवर्धक पोस्ट .......जय जय श्री राधे

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  5. बहुत सुंदर ,ज्ञानवर्धक पोस्ट .......जय जय श्री राधे

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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...