Wednesday, August 21, 2013

" अगर हमें देश में परिवर्तन चाहिए, तो संकल्प लेने ही पड़ेंगे " !!!!

" परिवर्तन " की चाह रखने वाले सभी मित्रों को मेरा हार्दिक नमस्कार !! कृपया स्वीकार करें !
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि देश की वर्तमान स्थिति को बदलने का यही सही समय है। यह तब हो सकेगा जब सारा समाज परिवर्तन के लिए संकल्पित होगा।


जो सरकार चीन-पाकिस्तान से डरती हो वह देश व समाज की सुरक्षा कर ही नहीं सकती। देश की विविधता को जातिवाद का नाम देकर राजनीतिक स्वार्थ की रोटियां सेंकने वालों से भी यह काम नहीं हो सकता। इन्हें कमजोर न किया गया तो समाज में व सीमाओं में खतरा बढ़ेगा।

सह सरकार्यवाह ने कहा कि समाज ऐसी स्थितियां पैदा करने वालों को सबक सिखाने के लिए गंभीरता से सोच रहा है। विशेष तौर से युवा बहुत गंभीर है। उसके अंदर बदलाव की छटपटाहट है। इस छटपटाहट को और बढ़ाना होगा। समाज में जन्म ले रही बदलाव की इस चेतना को और जगाना होगा।

गांव-गांव जाकर लोगों को, देश को दांव पर लगाने व समाज को बांटने वालों की असलियत बतानी होगी। दिल्ली में बैठे कमजोर लोगों ने देश को तमाम तरह के खतरे खड़े कर दिए हैं। समाज को यह समझाना होगा।

समाज को भी दिल्ली में बैठे राजनीतिक दलों व सरकार चलानेवालों को बताना होगा कि सरकार दुर्बल हो सकती है, समाज नहीं।

इस रक्षाबंधन पर देश के लोगों को समाज व देश की रक्षा के लिए सक्रिय होने का संकल्प लेना होगा। समझना होगा कि भाषा व जाति के नाम पर राजनीति करने वाले हमें कमजोर कर रहे हैं। कोई महाराष्ट्र में खड़ा होकर कहता है कि बिहार को नहीं रहने देना है, तो कोई कहता है कि अमुक-अमुक जाति की अनदेखी हुई है। ऐसा करने व बोलनेवाले देश के हितैषी नहीं हैं। जो देश की बात करते हों, उन्हें मजबूत बनाना होगा।

सरकार की दुर्बलता -

पाकिस्तान की सेना ने हमारे पांच सैनिकों की हत्या नहीं की है बल्कि हमारे देश की हत्या की है। फिर भी हमारी सरकार के लोग ही सफाई देने लगे कि सैनिकों ने नहीं बल्कि आतंकवादियों ने हत्या की है। सही बात स्वीकारने में चार दिन लग गए।

चीन हमारी सीमाओं में घुसता चला आया। लद्दाख में नियंत्रण रेखा से काफी आगे आकर उसने सिंधु नदी तक अपना हक जता दिया। निर्माण चल रहे हैं, पर सरकार मौन साधे बैठी है। लद्दाख में सीमा के पास रहने वाले गरीब नागरिक पीछे नहीं हटना चाहते लेकिन सरकार और उसके अधिकारी उनका मनोबल तोड़ रहे हैं। अरुणाचल में चीन ने काफी अंदर तक सड़क बना ली है। जिस बांग्लादेश को हमने (भारत) दाई बनकर जन्म दिया। उनके खाने-पीने का इंतजाम किया, वह हमें ही आंख दिखाने का दुस्साहस कर रहा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि देश की वर्तमान स्थिति को बदलने का यही सही समय है। यह तब हो सकेगा जब सारा समाज परिवर्तन के लिए संकल्पित होगा।

जो सरकार चीन-पाकिस्तान से डरती हो वह देश व समाज की सुरक्षा कर ही नहीं सकती। देश की विविधता को जातिवाद का नाम देकर राजनीतिक स्वार्थ की रोटियां सेंकने वालों से भी यह काम नहीं हो सकता। इन्हें कमजोर न किया गया तो समाज में व सीमाओं में खतरा बढ़ेगा।

सह सरकार्यवाह ने कहा कि समाज ऐसी स्थितियां पैदा करने वालों को सबक सिखाने के लिए गंभीरता से सोच रहा है। विशेष तौर से युवा बहुत गंभीर है। उसके अंदर बदलाव की छटपटाहट है। इस छटपटाहट को और बढ़ाना होगा। समाज में जन्म ले रही बदलाव की इस चेतना को और जगाना होगा।

गांव-गांव जाकर लोगों को, देश को दांव पर लगाने व समाज को बांटने वालों की असलियत बतानी होगी। दिल्ली में बैठे कमजोर लोगों ने देश को तमाम तरह के खतरे खड़े कर दिए हैं। समाज को यह समझाना होगा।

समाज को भी दिल्ली में बैठे राजनीतिक दलों व सरकार चलानेवालों को बताना होगा कि सरकार दुर्बल हो सकती है, समाज नहीं।

इस रक्षाबंधन पर देश के लोगों को समाज व देश की रक्षा के लिए सक्रिय होने का संकल्प लेना होगा। समझना होगा कि भाषा व जाति के नाम पर राजनीति करने वाले हमें कमजोर कर रहे हैं। कोई महाराष्ट्र में खड़ा होकर कहता है कि बिहार को नहीं रहने देना है, तो कोई कहता है कि अमुक-अमुक जाति की अनदेखी हुई है। ऐसा करने व बोलनेवाले देश के हितैषी नहीं हैं। जो देश की बात करते हों, उन्हें मजबूत बनाना होगा।

सरकार की दुर्बलता -

पाकिस्तान की सेना ने हमारे पांच सैनिकों की हत्या नहीं की है बल्कि हमारे देश की हत्या की है। फिर भी हमारी सरकार के लोग ही सफाई देने लगे कि सैनिकों ने नहीं बल्कि आतंकवादियों ने हत्या की है। सही बात स्वीकारने में चार दिन लग गए।

चीन हमारी सीमाओं में घुसता चला आया। लद्दाख में नियंत्रण रेखा से काफी आगे आकर उसने सिंधु नदी तक अपना हक जता दिया। निर्माण चल रहे हैं, पर सरकार मौन साधे बैठी है। लद्दाख में सीमा के पास रहने वाले गरीब नागरिक पीछे नहीं हटना चाहते लेकिन सरकार और उसके अधिकारी उनका मनोबल तोड़ रहे हैं। अरुणाचल में चीन ने काफी अंदर तक सड़क बना ली है। जिस बांग्लादेश को हमने (भारत) दाई बनकर जन्म दिया। उनके खाने-पीने का इंतजाम किया, वह हमें ही आंख दिखाने का दुस्साहस कर रहा है।


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सादर - सप्रेम नमस्कार !!
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