Sunday, April 7, 2013

समाजवाद और कांग्रेस के बीच झूलता हमारा जनतंत्र... ब्लॉग बुलेटिन !!!

                " हमारे प्रिय मित्र और प्रसिद्ध लेखक श्री देव झा जी की रचना आपके लिए प्रस्तुत है " !! 


समाजवाद और कांग्रेस के बीच झूलता हमारा जनतंत्र... ब्लॉग बुलेटिन



सभी मित्रों को देव बाबा की राम राम। कल भारतीय जनता पार्टी तैतीस वर्ष की हो गयी और अहमदाबाद में खूब गरजी। मोदी बोले, राजनाथ बोले और सभी खुल कर सरकार विरोधी स्वर से गरजते हुए गुजरात के मॉडल को देश के विकास के लिए प्रमाणिक मॉडल बनाने की वकालत भी करने लगे। एक दिन पहले राहुल गाँधी सी-आई-आई में अपनी बात कह चुके थे, उनकी स्वयं की योग्यता कितनी है यह सम्पूर्ण देश को पता है लेकिन मीडिया और जनता में कितना भ्रम है की उनकी भी प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी की बात लोग करते हैं आखिर ऐसा क्यों होता है की हमारा देश हर बार कांग्रेस में ही अपना नेतृत्व खोजता है। क्या हम एक अपरिपक्व लोक तंत्र हैं या फिर हम केवल एक भीड़ हैं। आखिर ऐसा क्या है जो हर बार कांग्रेस देश को लूट लेती है और फिर भी सत्ता में आ जाती है। आइये एक विश्लेषण और आंकड़ो के आधार पर यह समझने की कोशिश करते हैं की हमारे यहाँ कांग्रेसी राज समाप्त क्यों नहीं होता। बिखरे हुए समाजवादियों और देश को लूटनें में एक जुट कांग्रेस में से वह चुनें भी तो किसे? यक्ष-प्रश्न है लेकिन इसका उत्तर तलाशना होगा। 

मित्रों भारत को आज़ादी कैसे मिली? हममे से कितने लोग इस बात को जानते हैं की हमारे लिए आज़ादी के रास्ते कैसे खुले। दुसरे विश्व युद्ध के बाद जब ब्रिटेन की हालत ख़राब होने लगी और उसे समझ में आने लगा था की भारत को गुलाम रखने में उसे नुकसान होने वाला है और यह उपनिवेश उसके किसी ख़ास फायदे का नहीं रहा सो उसने अपने हाथ पीछे खीच लिए और सत्ता कांग्रेस को हस्तांतरित कर दी। यह स्वतंत्रता कोई लड़ कर या अधिकार-पूर्व नहीं मिली वरन यह एक महज़ सत्ता का हस्तांतरण था। गोरे अंग्रेज चले गए और पीछे काले अंग्रेज यानि की कांग्रेसी और तथाकथित देश भक्त कांग्रेस को पावर मिल गयी। नेताजी और शहीदे-आज़म भगत सिंह के विचार पीछे छुट गए और देश कांग्रेस की पकड़ में आ गया। देश के इतिहास को अपने हिसाब से तोडा गया, वामपंथी विचार धारा के इतिहासकारों ने अपने हिसाब से सरकारी फायदे के टटोलते हुए भारत का इतिहास लिखा और उसे ही पाठ्य-क्रम का हिस्सा बनाया गया। हमने वही पढ़ा जो हमें पढाया गया। माता पिता की नैतिक शिक्षा की जगह अंग्रेजी माध्यम ने अपना दबदबा बना लिया और हम अपनी क्षेत्रीय भाषाओँ की जगह अंग्रेजी में तरक्की को ही अपना मानने लगे। देश के विपक्ष बदलते रहे कभी वामपंथियों ने मुख्य विपक्ष की ज़िम्मेदारी निभाई तो कभी समाजवादियों ने, शुरूआती दिनों में जन-संघ एक प्रभावी विकल्प दिखा और लोगो ने सन ७७ में कांग्रेसी राज को ख़त्म कर पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार का रास्ता खोल दिया। यह सरकार अपने कार्यकाल पूरा करती उसके पहले ही कांग्रेस ने तोड़ने की राजनीति शुरू कर दी और चरण सिंह को विरोध में खड़ा कर दिया ठीक यही विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार को चंद्रशेखर के रूप में खड़ा कर एक और मिसाल खड़ी कर दी। यह मिसाल एकदम सामान्य थी और देश की जनता ने हकीकत को जानने की जगह कांग्रेस को ही दो तिहाई बहुमत से खड़ा कर दिया। ऐसा कैसे हुआ? कांग्रेस की हकीकत को आखिर लोग समझे क्यों नहीं? दर-असल इसका कारण था हमारे देश की जनता कभी देश हित में सोचती ही नहीं.. जी यह एक सत्य है क्योंकी हिन्दुस्तनी कभी एक हुए ही नहीं। हम हमेशा बंटे हुए रहनें में ही अपनी तरक्की समझते हैं और हमारा यह इतिहास जयचंद के ज़मानें से है। यदि उस जयचंद नें बाहरी आक्रमणकारियों को सहयोग न किया होता और इस लडाई में पृथ्वी राज चौहान के साथ खडा हुआ होता तो आज तस्वीर दूसरी होती। 




मित्रों देश की इस हकीकत को कांग्रेस बखूबी जानती है और उसे मालूम है की अनेको टुकडों में बांटकर ही भारत पर राज किया जा सकता है। भडकाओ, तोडो और राज करो... देश की जनता तो अपने आप में ही इतनी फ़ंसी है की उसे खबर भी न होगी की यह सब कौन कर रहा है। आज़ाद भारत के किसी भी द्रोही को लीजिए.. शिवसेना: मुम्बई में साम्यवादियों को तोडनें के लिए कांग्रेस ने ही शिवसेना को खडा किया और बाद में शिवसेना को कमज़ोर करनें के लिए राज ठाकरे को भी कांग्रेस नें ही खडा किया है। 

हमारी टूट का फ़ायदा हमेशा से ही हमपर राज करनें के लिए लिया गया है। इस बिखराव को रोकना और हमारा एक होना ही हमारे लिए फ़ायदे मंद होगा। देश की जनता को समझना होगा की आखिर लूट मचानें और उसके बाद भी देशभक्ति की बात करनें वाले क्षद्म एजेंटों को बाहर करनें में ही उसका हित है। देश की जनता को असली राह दिखानें में राष्ट्रवादी दल एक एहम भूमिका अदा कर सकते हैं। अलगाववादियों की हकीकत को बयान करके और वोटबैंक की राजनीति को खत्म करके केवल देश की बात सोचनें का समय है। तोडना बन्द कीजिए और जोडना शुरु कीजिए। बहुत हुई राजनीति अब राष्ट्र को एक करनें का समय आ गया है। देश की जनता आज बिखरे हुए विपक्ष और एकजुट कांग्रेस में से किसी एक को चुनते समय एकजुट कांग्रेस को ही चुन लेती है अब इस बात से भी उबरनें का समय है। एकजुट होकर एकीकरण की भावना से जुटिए, हम सब एक रहेंगे तो किसी वोट बैंक की बात न होगी और कोई राजनीति भी न होगी।

जाति समीकरण के पीछे डोलती हुई हमारी जनता कैसे एक परिपक्व लोकतंत्र हो सकती है। यदि जनता की सोच ही राजनीतिक हो चले तो फ़िर यह एक गम्भीर समस्या होगी। समझिए और जानिए हकीकत को और उसी हिसाब से फ़ैसला कीजिए। एक तरफ़ नौ साल से राज कर रही कांग्रेस के प्रतिनिधि राहुल गांधी यह कहते नहीं थकते की हमारी यह समस्या है हमारी वह समस्या है, ऐसा करना चाहिए और वैसा करना चाहिए.. हमारा प्रश्न यह है की भाई आपकी सरकार पिछले नौ साल से कर क्या रही थी? देश तो छोडिए विदेश नीति पर भी थू थू होती है। यह पिस्सु जैसा हमारा पडोसी हमारे सैनिको के सर काट ले जाता है और हम बैठे रह जाते हैं। कश्मीर में जब अलगाववादी बन्दूक लेकर मारने दौडते हैं तो फ़िर सैनिको को गुलेल से सामना करनें को कहा जाता है। आखिर यह सब है क्या? न हम नक्सली समस्या से निपट पाए, न आतंकवाद से, न ही कट्टरवादियों से... ओवैसी जैसे लोगों पर नकेल कसनें की जगह वोट बैंक की राजनीति करनें से बाज़ आओ। कोई भी अलगाववादी देश द्रोही है, और उसकी हकीकत सबके सामनें बताओ और उसे दंडित करो। मिसाले ऐसी होनी चाहिए जिससे सभी को सबक मिले। 

जनता को भी चाहिए की अब वह जाग जाए। कई शतकों की गुलामी के बाद अब तो जागिए और देश के बारे में सोचिए... अब सही माईनें में प्रतिनिधि चुनने का समय आया है और सही तरीके से चुननें का समय आ गया है। जो कोई भी तोडे उसे मुंह तोड जवाब दीजिए चाहे वह किसी भी दल का हो। भीड से एक परिपक्व जनतंत्र की ओर परिवर्तन का समय आ गया है। हर बात पर राजनीति की जगह समाधान तलाशने वाले को चुनिए। 

सोच कर सोचिए लोकतंत्र का असली मतलब क्या है.... 

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मुझे आशा है आपको आज का बुलेटिन पसन्द आया होगा। आप भी एक अच्छे नागरिक होनें और देश को एक नए रास्ते पर ले जानें का संकल्प लीजिए। हमनें कमर कस ली है अब किसी भी विरोध फ़ैलानें वाले को नहीं छोडेंगे चाहे वह कोई भी हो। हम सब एक हैं और एक ही रहेंगे... तब जाकर सही माईनें में जय हिन्द होगा।

आपका देव

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