Sunday, July 8, 2012

" बचें !! कंही जूतों - लाठियों की बरसात न होने लगे " !!!!!???

" बरसात का आनंद " लेने वाले मित्रो , भीगा - भीगा नमस्कार स्वीकार करें !!
                                   हर मौसम का अपना एक आनंद होता है जी और अपना एक मज़ा होता है ! हर मौसम की अपनी अपनी दिक्कतें भी होती हैं !! आप सब हर मौसम के दोनों स्वादों से भली भाँती परचित होंगे !! मैं आपको ज्यादा विस्तार से हर मौसम की कमियों और फायदों के बारे मैं नहीं बताऊंगा बस हर मौसम के गीतों की एक एक पंक्ति याद कराऊंगा ....मुलाहिजा फरमाइए गर्मी के लिए संजीव कुमार जी ने एक फिल्म में गया था की " या गर्मियों की रात को ,छत पर पड़े हुए , तारों को देखते रहें " !! सर्दी हेतु तो एक गीत में इतनी कम्पन थी कि  पूछो मत " मुझको ठण्ड लग रही है मेरे पास तो तू आ " बसंत के मौसम हेतु तो फ़िल्मी गीतों में एक भण्डार सा है " रंग बसंती , अंग बसंती छा गया , मस्ताना मौसम आ गया ...' !! और बरसाती मौसम तो आशिकों का मनपसंद मौसम है जी हर कोई गाता  फिरता है कि  ..." आज मौसम बड़ा बेईमान है , आने वाला कोई तूफ़ान है ...." !! बस यंही से हमारे मन में शंकाओं का दौर शुरू हो जाता है !!??
                               एक बरसात का मौसम ऐसा है अगर लिमिट में आये तो सुहावना और अगर ये जरूरत से ज्यादा आगई तो बस जी आफतों का पहाड़ सा टूट पड़ता है !! पिछले साल जब अना हजारे जी टीम और बाबाराम देव जी रुपी बादल इस देश में गड़ गड़ाये थे तो नेताओं पर कंही जूते चले थे तो कंही थप्पड़ रसीद हुए थे ! अब एक बरस बाद एक बार फिर से बाबाजी और टीम अन्ना की गड़गड़ाहट जोर दार बिजलियों के साथ घनघोर बारिश की तरफ इशारा कर रही है ! इसी लिए मैं हमारे "माननीय " नेताओं को समय रहते चेता रहा हूँ क्योंकि " भावुक आदमी बड़े खतरनाक " होते हैं जी !! 
                             आज हमारे शहर में " पतंजली योग पीठ " की शाखा सूरतगढ़ के लोगों ने शहर के बुध्धिजीवियों की एक मीटिंग बुलाई थी जिसमे मुझे भी आमंत्रित किया गया था , सबके विचार लिए गए , जैसा की होता है सबके विचार भिन्न - भिन्न थे !! किसी ने कहा बाबा जी और टीम अन्ना के प्रयासों से व्यवस्था में अवश्य बदलाव आएगा , और कोई शंकित था और कोई जरूरत से ज्यादा भावुक , वो बोले बस जी बाबा जी और टीम अन्ना को संसद की तरफ कूच कर देना चाहिए , जेलें भर देनी चाहियें , छाती पर गोलियां खा लेनी चाहियें और इन ससुरे नेताओं नेताओं को पटक - पटक कर मार देना चाहिए !!
                           तब मैंने अपने उद्बोधन में कहा की आज हम लोक - तंत्र में रह रहे हैं आज सत्ता परिवर्तन हेतु केवल एक मात्र हथियार काम करता है और वो है हमारा " वोट " !!!! अगर हम अपना वोट डालते समय किसी जाती , धर्म , पार्टी और इलाके के चक्कर में ना पड़ें सिर्फ और सिर्फ इमानदार , पढेलिखे , देश भक्त और जनहित के काम करने वाली भावना जिसमे कूट - कूट कर भरी हो केवल उसी को वोते देवें !! हम में से कोई अगर बिके  नहीं तो ही लोक तंत्र सही रूप से काम कर पायेगा 20. - 30 . सालों के बाद , एक दम से कोई जादू होने वाला नहीं है !! क्योंकि भ्रष्टाचार हमारे भी तो खून में बस चूका है !!की नहीं ...????? एक तो प्रण कर ही लो सब मिलके कि " पुराने " नेताओं में से बस वोही चुनाव जितने चाहियें अबकी बार जिनके प्रति हम 100% संतुष्ट हों !! 
                     क्यों मित्रो आपका क्या कहना है इस विषय पर ...???? हमेशा की तरह आप रोजाना हमारा ब्लॉग और ग्रुप ओपन कीजिये !! जिसका नाम है " फिफ्थ पिल्लर कोराप्शन किल्लर " जिसका लिंक है :- www.pitamberduttsharma.blogspot.com.
                        धन्यवाद !!
                                          आपका अपना 
                                   पीताम्बर दत्त शर्मा 


                                    संपर्क :- +919414657511. 

1 comment:

"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...