मेरे प्रिय " हंस - हंस्नियो मित्रो , धवल - शुद्ध नमस्कार !!!
दलीप कुमार साहिब की एक फिल्म थी ,जिसमे हिन्दू ग्रंथों से प्रेरित होकर और भविष्य की दिक्कतों से जनता को सावधान करने हेतु एक धार्मिक गीत डाला गया था , क्योंकि उस समय के फिल्मकार अपनी फिल्मों में मनोरंजन के साथ साथ कोई न कोई सन्देश भी दिया करते थे , उस गीत के बोल इस प्रकार से थे की " राम चन्द्र कह गए सिया से , ऐसा कलयुग आएगा , हंस चुगेगा दाना तिनका ,कौआ मोती खायेगा !! बहुत मशहूर भी हुआ था ये गीत !! हर धार्मिक आयोजन में अवश्य बजाया जाता था - है और बजाया जाता रहेगा !! क्योंकि जैसे - जैसे कलयुग अपनी चरम सीमा पर जाएगा तब - तब इस गीत को बजने की इच्छा " हंस रुपी " इंसानों में ज्यादा जागेगी !! हंस रुपी इंसान का मतलब है की ऐसे पुरुष और महिलायें जो इमानदारी , सामाजिक और धार्मिक नियमानुसार ही अपना जीवन व्यतीत करने में ही अपना सुख देखते हैं !! और जो लोग समय रुपी बहाव के साथ अपने आदर्श तोड़ कर बहते हैं वो .......कौए हैं !!!!
पैसा , स्वार्थ और झूठी शान हेतु जो व्यक्ति अपने रिश्तों - नातों को भुलाकर , वाक्चातुर्य से , ब्लात्कार्य से ,या चमचागिरी से उच्च स्थान को प्राप्त करलेगा उसीको ज्यादातर लोग " उत्तम पुरुष या महिला " मानेंगे !! जैसे - जैसे ये कलयुग बढेगा वैसे - वैसे ऐसे लोगों की संख्या बढ़ेगी और अंत मैं सब ......एक जैसे हो जायेंगे जो 5.10.% लोग बचेंगे वो कंही दुबुक कर ही अपना जीवन यापन कर सकेंगे !! आप कहो गे की आज इतना लम्बा भाषण किस ख़ुशी में दिया जा रहा है , तो मित्रो ये कोई प्रवचन नहीं बल्कि शुद्ध राजनितिक ज्ञान है !! पिछले एक सप्ताह से देश में जो राष्ट्रपति चुनावों हेतु संप्रग सरकार ने अपना प्रत्याशी घोषित करने हेतु जो नाटक खेले हैं और फिर उन्ही के असली और नकली सहयोगियों ने जो गीत गाये हैं उसको समझने हेतु जनता को ये ज्ञान जानना आवश्यक है !!
अब दूसरी नाटक मण्डली यानी अपना एन.डी .ऐ . दो तीन दिन नाटक करेगा .....?? आखिर में ले देकर वो ही चुना जाएगा ..जिसको अपनी सोनिया जी ने चुना है या चुनवाया गया है ! इस सारे घटनाक्रम से ये भी समझ में आता है की सरदारजी सोनिया जी को ये विश्वास दिलाने में कामयाब हो गए हैं की मैं वो ही करूँगा जो सोनिया जी आप कहेंगी !! कल मेरे को एक दोस्त मिला जो जट - सिख है , ने मुझे बताया की भाई साहिब ये अपना प्रधानमंत्री कोई सरदार नहीं बल्कि " भाप्पा - सिख " है !! मैं यंहां पर आपको ये साफ़ करदूं की भाप्पा सिख का मतलब वो सिख है जो अरोड़ा से सिख बने या पंजाब से बहार के सिख !! अगर ये असली ( जट ) सरदार होता तो इस तरह से सोनिया के तलवे नहीं चाटता बल्कि इसकी अब तक अनख जाग गयी होती !! यानी अपने प्रधान मंत्री जी से ग्रामीण इलाके के सरदार भी दुखी है !! मैंने कहा नहीं सरदार जी उसके आगे तो सभी जातियों के नेता माथा टेकते हैं चाहे वो किसी भी राजनितिक दल से क्यों ना हो ...!! चाहे वो माया हो या मुलायम ,ममता हो या करुना , संगमा हो या पवार सब जय माता की बोलते हैं !! कोई धीरेसे तो कोई जोर से !! कोई पद पाने हेतु तो कोई सी .बी . आई . से अपनी जान छुड़ाने हेतु !!
इसीलिए तो जब नाम फाईनल हुआ तो समर्थन देने वालों की भी लायीं सी लग गयी !! प्रणब दा में बहुत सी खूबियाँ है , बेहतर राजनीतिज्ञ और प्रशासक हैं , विद्वान भी हैं लेकिन शेर जब तलक जंगल में रहता है तब तलक ही शेर होता है अगर वो कंही बांध जाए तो कुत्ता हो जाता है और धीरे - धीरे शिकार करना भूल जाता है उसे तो मालिक जितना भोजन डालदे उतना ही खा पाता है ???? और ज्यादा समय तक बंधराहे तो वो " भीगी - बिल्ली " बन जाता है !! और आज देश में जैसे हालात हैं हमें किसी "कुत्ते या भीगी - बिल्ली " की आवश्यकता नहीं , बल्कि एक ऐसे शेर राष्ट्रपति जी की आवश्यकता है जो सरकार के कान पकड़ के कोई देश हित का निर्णय कर्वासके ????
क्योंकि देश की स्थिति आज किसी से छिपी हुई नहीं है चाहे वो अन्दर की हो या बाहर की !!..........क्यों मित्रो , आपका क्या विचार है इस बारे में ...!!????? आपके जो भी विचार हैं वो आप हमारे ब्लॉग और ग्रुप को ज्वाईन करके वंहा जाकर टाईप करें , जिसका नाम है :- " 5TH PILLAR CORROUPTION KILLER " जिसे खोलने हेतु रोजाना लोग आन करें :- www.pitamberduttsharma.blogspot.com.
इस पर जाकर अपने अनमोल विचारों को टाईप करें ताकि हम आपके विचारों को अपनी छपने वाली पुस्तक में प्रकाशित करवा सकें !! इस ब्लॉग और ग्रुप में प्रकाशित सभी लेखों को आप अपने फेस - बुक मित्रो संग शेयर भी कर सकते हैं !! सधन्यवाद !! आपका अपना मित्र : - पीताम्बर दत्त शर्मा !!
जोर से बोलिए ......धर्म की जय हो !! अधर्म का नाश हो !!
प्राणियों में सद्भावना हो !!
विश्व का कल्याण हो !!
हर -- हर -- हर महादेव .......!!!!!!!!
दलीप कुमार साहिब की एक फिल्म थी ,जिसमे हिन्दू ग्रंथों से प्रेरित होकर और भविष्य की दिक्कतों से जनता को सावधान करने हेतु एक धार्मिक गीत डाला गया था , क्योंकि उस समय के फिल्मकार अपनी फिल्मों में मनोरंजन के साथ साथ कोई न कोई सन्देश भी दिया करते थे , उस गीत के बोल इस प्रकार से थे की " राम चन्द्र कह गए सिया से , ऐसा कलयुग आएगा , हंस चुगेगा दाना तिनका ,कौआ मोती खायेगा !! बहुत मशहूर भी हुआ था ये गीत !! हर धार्मिक आयोजन में अवश्य बजाया जाता था - है और बजाया जाता रहेगा !! क्योंकि जैसे - जैसे कलयुग अपनी चरम सीमा पर जाएगा तब - तब इस गीत को बजने की इच्छा " हंस रुपी " इंसानों में ज्यादा जागेगी !! हंस रुपी इंसान का मतलब है की ऐसे पुरुष और महिलायें जो इमानदारी , सामाजिक और धार्मिक नियमानुसार ही अपना जीवन व्यतीत करने में ही अपना सुख देखते हैं !! और जो लोग समय रुपी बहाव के साथ अपने आदर्श तोड़ कर बहते हैं वो .......कौए हैं !!!!
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इसीलिए तो जब नाम फाईनल हुआ तो समर्थन देने वालों की भी लायीं सी लग गयी !! प्रणब दा में बहुत सी खूबियाँ है , बेहतर राजनीतिज्ञ और प्रशासक हैं , विद्वान भी हैं लेकिन शेर जब तलक जंगल में रहता है तब तलक ही शेर होता है अगर वो कंही बांध जाए तो कुत्ता हो जाता है और धीरे - धीरे शिकार करना भूल जाता है उसे तो मालिक जितना भोजन डालदे उतना ही खा पाता है ???? और ज्यादा समय तक बंधराहे तो वो " भीगी - बिल्ली " बन जाता है !! और आज देश में जैसे हालात हैं हमें किसी "कुत्ते या भीगी - बिल्ली " की आवश्यकता नहीं , बल्कि एक ऐसे शेर राष्ट्रपति जी की आवश्यकता है जो सरकार के कान पकड़ के कोई देश हित का निर्णय कर्वासके ????
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विश्व का कल्याण हो !!
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