Wednesday, May 9, 2012

" क्या संघ नरेंद्र मोदी की भी बलि लेना चाहता है " ?

" बलि - प्रथा " के समर्थक और विरोधी मित्रो , नमस्कार !! और बलि - बलि जाऊं आप सब मित्रों पर , परमात्मा आपको हमेशां प्रसन्न रखे !!
                            अपने हित हेतु दूसरों की बलि दे देना , हिन्दुस्तान में युगों युगों से प्रचलित है !! अलग - अलग कार्यों हेतु अलग - अलग तरह की बलि दी जाती रही है !! इसमें आदमी , पशु , पक्षी और नारियल तक मान्य होते हैं !! आज के आधुनिक समाज में बलि देने का तरीका बदल गया है !! आजकल तलवार से काट कर नहीं बल्कि ऐसे हालात पैदा कर दिए जाते हैं जिस से सामने वाला अपनि बलि हेतु अपने आप ही अपना अनिष्ट कर बैठता है !! ख़ुशी - ख़ुशी वो बलि का बकरा बन जाता है !! मज़े की बात ये है की वो व्यक्ति जिसकी बलि दी जाती है हस्ते - हस्ते मौत को अपने गले लगा लेता है ! 
                                राजनीति में किसी को बलि चढ़ाना आम बात होती है , बल्कि इसे एक कला माना जाता है !! वो इसलिए क्योंकि ये वर्चस्व की लड़ाई होती है !! इसीलिए राजनितिक दलों के मुखिया लोग प्रादेशिक नेताओं की "डोर " अपने हाथों में रखते हैं !! किसी को ऊपर चढ़ा कर मारते हैं तो किसी को निचे गिराकर !! पिछले कुछ समय से संघ और उसके जो स्वयंसेवक भाजपा में हैं वो सब प्रचार माध्यमों से यही प्रचारित कर रहे हैं की अगला प्रधान - मंत्री मोदी जी ही होने चाहियें !! भोली जनता भी बढ़िया देख कर समर्थन कर रही है !! मिडिया भी ना चाहते हुए कभी - कभी इस काम हेतु समर्थन दे देता है !! सोशल - मिडिया तो जी जान से चाहता है की मोदी जी प्रधान - मंत्री बन जाएँ , और देश का कुछ भला हो जाए !! 
               परन्तु संघ और भाजपा के केंद्रीय नेत्रित्व के रविये से मन में शंका पैदा होती है की  कंही वो मोदी जी की राजनितिक रूप से बलि तो नहीं लेना चाहता ?? अगर इतहास देखा जाए तो साफ़ दिखाई देगा की जब भी कोई प्रदेश का मुख्यमंत्री अपनी जमीन बना कर अपना कद बड़ा करना चाहता है तभी उसे क़त्ल करदिया जाता है ?? श्री कल्याण सिंह , मदन लाल खुराना , सुश्री  उमा भारती और श्री मति वसुंधरा राजे इसका उधाहरण हैं !! यंहा तलक की कई बार तो केंद्रीय नेताओं की भी बलि देने से भी नहीं झिझकता संघ !! अटल जी और अडवानी जी तो इसके वार से न जाने कैसे बच गए पता नहीं !! कल जो राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी जी ने भाषण दिया है उसमे भी जाहिर होता है नेताओं का क़त्ल अब होगा !! उन्होंने स्पष्ट कहा की ये सुषमा , जेटली आदि की पार्टी नहीं बल्कि अपनी तरफ इशारा करते हुए कहा की हमारी पार्टी है यानी सिर्फ संघ्द्वारा थोपे गए " बुत " नेताओं की पार्टी है !! क्योंकि ये तो सांप जाने के बाद उसकी लकीर को पीटने वाले नेता हैं ??जितनी चाबी संघ भर देता है उतने ही चलते हैं और जितना बोलने को संघ कहता है उतना ही बोलते हैं चाहे समय ही क्यों ना गुज़र जाए या फिर प्रसंग ही क्योना बदल जाए ??  तीन साल से राजस्थान में प्रदेशाध्यक्ष बने अरुण जी से समस्या सुधरी नहीं राजस्थान के प्रभारी भी कोई पुख्ता काम कर नहीं पाए !! जब कोर कमेटी की बैठक में भी निर्णय नहीं हो पाया की वसुंधरा जी को यात्रा निकलने की अनुमति दी जाए या कटारिया जी को , और मामला बिगड़ गया , वसुंधरा जी श्रीमती किरण महेश्वरी जी के साथ मीटिंग से बाहर आ गयी और त्यागपत्र देने की घोषणा की तो सारे नेताओं को जैसे सांप सूंघ गया हो !! सब दुबक कर बैठ गए अब दो दिन बाद जब वसुंधरा जी ने कह दिया की घर की बात है मामला सुलझ जायेगा तो लगे हैं अनुशासन का पाठ पढ़ाने और कार्यवाही करने की धमकियां देने ?? छोटे कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित करके ज़मीं से जुड़े नेताओं को धमकाया जाएगा !! ये हताशा नहीं तो और क्या है ?? सिर्फ हिंदी बेल्ट वाले राज्यों में पार्टी की पूछ है जिन में से पांच राज्यों में तो अभी अभी चुनाव हो के हते हैं बड़ी मुश्किल से वंहा पार्टी की इज्जत बची है तो किस मुंह से संघ मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाएगा ?? उसके तथाकथित प्रचारक रह चुके नेता तो केवल कागज़ी शेर हैं जैसे श्री ललित किशोर चतुर्वेदी , श्री गुलाब जी कटारिया , भाभड़ा जी आदि आदि जिनका मंत्री होने पर भी एक अदना सा अफसर कहना ही नहीं मानता और जिनको शासन करना ही नहीं आता केवल संगठन की मीटिंगों में कौन आया कौन नहीं आया ही गिन पाते हैं , कार्यकर्ताओं की बात सुनते नहीं और अपना कमसे कम एक घंटे का भाषण पिला कर समझते हैं की हमने पार्टी का बहुत बड़ा काम कर दिया ??? 
             अब आप कहोगे की आप अगर संघ के काम से इतने नाराज़ हो तो भाजपा में क्यों हो ?? तो मैं आपको बता दूं की हमारा परिवार तीन पीढ़ियों से संघ से जुदा है !! हमने ऐसे ऐसे विद्वान प्रचारकों से ज्ञान प्राप्त किया है की हमें एक ही विचार - धारा के होने के बावजूद आज के नए प्रचारकों का काम करने का तरीका पसंद नहीं है !! हम संघ की मूल जड़ से जुड़े व्यक्ति हैं हमारे समय में सादगी वाले प्रचारक हुआ करते थे , शाखाएं लगा करती थीं और विचार विमर्श हेतु बैठकें हुआ करतीं थीं !! लेकिन अब एक दम से घोषणा होती है की फलाना राम आपका अध्यक्ष होगा और फलाना राम आपका मुख्यमंत्री क्यों ??वसुंधरा जी को राजस्थान में कौन लाया था क्या वो लोग जो आज उनके साथ  खड़े हैं ?? डा . महेश शर्मा जी को राजस्थान का अध्यक्ष किसने बनाया था ??? फिर उनका संघ से ही विरोध क्यों हुआ इसी तरह से जिला स्टार पर और मंडल स्टार पर पहले तो बिना सोचे समझे नेता थोंप दिए जाते हैं फिर जब आम कार्यकर्त्ता उनके साथ मिलकर कर्य्कारना शुरू करता है तो संघ के पेट में दर्द होने लगता है की हमसे पूछ कर काम क्यों नहीं हो रहा ...क्यों ???? शोर मचाया जाता है की हमारी भाजपा में लोक तंत्रीय प्रणाली है लेकिन कोई मुझे बताएगा की कन्हा है ...??? कन्हा जाता है कार्यकर्ताओं से इकठ्ठा किया हुआ चंदा ??? किसी भी राजनितिक दल ने कभी अपने कार्यकर्ताओं को हिसाब दिया ....क्यों नहीं ??? सभी राजनितिक दलों से आज जनता और कार्यकर्त्ता परेशान हैं !! इसी लिए मेरी संघ से ये प्रार्थना है की वो भाजपा को अपने हाल पर छोड़ दे और मोदी जी जैसे किसी नेता की अध्यक्षता में एक नया राजनितिक दल का गठन करे जिसमे सीधा सधा संघ का ही आदेश चले ताकि जनता को भी पता चले की संघ कोई बढ़िया काम कर रहा है न की केवल दूसरों के घरों में तान ही अडाने का काम कर रहा है !! पता नहीं किसके कहने से संगठन को भी दागी लोग पसंद आ रहे हैं जिनको मंडलाध्यक्ष , जिलाद्यक्ष आदि आदि बनाया जा रहा है ?? क्यों ?
               पाठको आपकी क्या राय है इस बारे मैं  आप अपने अनमोल विचार हमारे ब्लाग या ग्रुप में जा कर टाईप करें और हमारा लेख अगर आपको पसंद आये तो आप इसे अपने फेसबुक मित्रों के साथ्शेयर भी कर सकते हैं जी !! हमारे ब्लाग और ग्रुप का नाम है " 5th pillar corrouption killer " आज ही लाग आन करें :- www.pitamberduttsharma.blogspot.com.


              धन्यवाद !! और जय श्री राम !!  

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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...