Wednesday, May 2, 2012

" मीठी - मीठी तकरार , भाजपा व संघ के बीच ,क्या - क्या गुल खिलाएगी " ???



  • " तकरारी " मित्रों को मेरा सलाम !! आज कल भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बीच " मीठी - मीठी " सी तकरार चल रही है , जब भी चुनाव नज़दीक आने वाले होते हैं तब - तब ये " सुअवसर " आता है । मंडल स्तर पर , जिला संगठन मंत्री या प्रभारी , प्रादेशिक स्तर पर प्रदेश संगठन मंत्री या प्रभारी और राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय संगठन मंत्री या स्वयं संघ प्रमुख जी अपने दखल से उस तकरार को समाप्त करने की कोशिश करते हैं । वो ये भी प्रयास करते हैं की ये बात किसी को भी पता ना चले । लेकिन न जाने कैसे ऐसी बातें सबसे पहले मिडिया में पंहुच जाती है ।। अब जिन नेताओं को अपनी बात गुप्त रखना ही नहीं आता उन्हें जनता राष्ट्र की बागडोर कैसे संभाल दे ??? सारि दुनिया जानती है की R.S.S. की एक शाखा है भाजपा , और वो संघ के निर्देशों पर ही चलती है । किन्तु क्योंकि संघ के प्रचारकों और स्वयं सेवकों में प्रशासनिक शक्ति और राजनितिक दलों के अनुपात में कम होती है इसलिएजब कभी भाजपा को बहुमत मिल जाता है तो वो अफसरों से काम नहीं करवा पाते , बल्कि विधायक , सांसद और मंत्री बन्ने के बावजूद शासन नहीं कर सकते !! इस लिए संघ इस बात को कभी नहीं मानता की वो भाजपा के निर्णयों में हस्तक्षेप करता है !! संघ के लोग चुनावों में खर्च होने वाली राशि भी एकत्रित करने में सक्षम नहीं हैं , कठोर निर्णय भी लेना इनके बस की बात नहीं है ! इसीलिए जो भी प्रचारक संगठन मंत्री बनाकर भाजपा में भेजा जाता है , वो सिर्फ उन्ही कार्यकर्ताओं को महत्व देता जो जो पहलेस्व्यान्म्सेवक रह चुके होते हैं , वो कार्यकर्ता जो भाजपा में बाद में जुड़े याकिसी नेता के साथ पार्टी में आते हैं वो किनारे लगे अपने आपको महसूस करते हैं । जिससे खींचातानी और ग्रुप बाज़ी बढती है । और फिर जब तक चुनाव नज़दीक आता है तब ये संगठन मंत्री वगेरह - वगेरह मीटिंगों में शिक्षा देते हैं की पिछली बातों को भुला दो रीती - नीतियों के अनुसार चलो , जो निष्ठां दिखायेगा उसे पार्टी अवश्य कोई ना कोई फल अवश्य देगी , पार्टी पर संकट है देश पर संकट है समय की पुकार है देखो हम प्रदेश से आये हैं हमारी तो लाज रखो ....पार्टी को जिताओ , तब बेचारा कार्यकर्त्ता उनकी बातों में आकर पार्टी को जीतता है !! लेकिन चुनाव जितने के बाद जो व्यक्ति विधायक मंत्री और सांसद बनता है वो अपने झुण्ड में से अपने ख़ास चमचों को पार्टी के महत्वपूर्ण पदों पर बिठा देता है,और अगले चुनावों तक फिर संगठन के प्रभारी कुछ नहीं बोलते क्योंकि उनके पास इतने व्यापक अधिकार ही नहीं होते की वो कोई सख्त निर्णय लेसकें । मेरे साथ - साथ कई विचारकों का ये विचार है की क्यों संघ दूसरों के कंधे पर बन्दूक रख कर चलता है स्वयं ( भागवत  जी के शब्दों में ) संघराजनितिक क्यों नहीं करता क्यों संस्कारवान कार्यकर्ता क्यों नहीं बनाता ????? कहना आसान है करना मुश्किल है क्या कोई मुझे बताएगा की आज तक संघ कितने संस्कारवान स्वयं सेवक पैदा कर सका ???? किताबी भाषा और और वास्तविकता में अंतर होता है जी !! आज हर मंडल में नज़र घुमा कर अगर कोई सच्चे मन से देखे तो भाजपा के हजारो कार्यकर्त्ता किसी न किसी व्यक्ति से अपने आपको पीड़ित बताएगा !! क्या कभी किसी ने समझने की कोशिश की ...?? जनता भी बेसुध सी कभी इस राजनितिक दल को परखती है तो कभी उस राजनितिक दल को , और सभी राजनितिक दल ये गलतग्फह्मी पाले बैठे हैं की जनता अगर उसे नहीं चाहती तो मुझे चाहेगी !! लेकिन मैं सब के साथ - साथ अपने राजनितिक दल भाजपा और संगठन को भी इस लेख के ज़रिये सचेत करना चाहता हूँ की कोई भी दल ज्यादा देर तक इस वहम में न रहे क्योंकि जनता के पास अभी एक विकल्प और भी है , और वो ये की जनता जब जाग गयी ....तो फिर एक क्रान्ति आएगी ...और जनता फिर सभी पुराने नेताओं को भूल जायेगी , अपने जाती धरम के नेताओं को भी दुत्कार देगी अपने इलाके का नेता है येभी भूल जाएगी !!अपनी पार्टी और संगठन को भूल कर बिलकुल नए , साधारण से पढ़े - लिखे चरित्रवान व्यक्ति को ही जिताएगी या फिर सम्पूर्ण क्रांति होगी संविधान भी नया बनेगा और राजनितिक दल भी ?? इस लिए मेरी हाथ जोड़ कर सबसे प्रार्थना है की सभी दल वास्तविकता में आ जाएँ अपने कार्यकर्ताओं को संभालें और जितने के बाद , जिन कार्यकर्ताओं  ने उन्हें जिताया है उन्को बुलाकर उनकी समस्या और उनके आडोस पड़ोस की समस्या को पहले हल करें ताकि उस कार्यकर्त्ता का भी कुछ होसला बढे और वो अगली बार दुगने जोश के साथ जनता में जाकर अपनी पार्टी और अपने नेता का गुणगान कर सके !!  अब हमारे विधानसभा क्षेत्र को ही देख लीजिये , सूरतगढ़ में 6 M.L.A. के दावेदार हैं ,लेकिन आम जनता और निष्ठावान कार्यकताओं को इनमे से कोई भी पसंद नहीं , ये बात इनको , पार्टी - संगठन के वरिष्ठ नेताओं को भी भली भाँती रूप से पता है परन्तु फिर भी इन्हें ही पार्टी और संगठन प्रोत्साहत कर रही है , ना जाने क्यों ??? इनकी खासियतें ये हैं की कोई तो ज्यादा सख्ती से पेश आता है तो कोई जरूरत मंदों को मीठी - गोली देता रहता है तो कोई अफसरों के आगे घबराता है , किसी का आधार ही नहीं है ...!! अब आप ही बताओ जी जनता किस कूएँ में गिरेजी? क्योंकि गिरना तो पड़ेगा ही ....????संघ को भी अब समझना होगा की अब परदे के पीछे से नहीं सामने से लड़ना होगा तभी देश का कुछ भला हो पायेगा और मैं विश्वास दिलाता हूँ की जनता राष्ट्रीयस्वयंम सेवक संघ को चाहती है शासन सोम्पना  लेकिन वो भाजपा में विश्वास नहीं कर पा रही है ....!! क्यों जी आपका क्या विचार है मित्रो !! क्या संगठन को भाजपा से अब मीठी - मीठी तकरार जारी रखनी चाहिए या संघ को एक नया दल मोदी जी जैसे नेता के नेतृत्व में बना देना चाहिए जिसे शुद्ध रूप से संघ ही चलाये ....!! या फिर ये माना जाए की संघ अटल जी की तरह एक और बड़े नेता यानी मोदी जी को  समाप्त करना चाहता है या फिर यूं कन्हे की अभिमन्यु की तरह मोदी जी का भी वध करना चाहता है क्योंकि संघ के लिए ये बात भी प्रचलित है की वो किसी भी नेता को इतना बड़ा नहीं होने देना चाहता जो वो बाद में संघ पर कोई प्रश्न खडा कर सके !! लेकिन आज एक छोटा सा कार्यकर्ता भी अपनी आवाज़ इस इंटरनेट के माध्यम से पूरे विश्व में पंहुचा सकता है जिसका उत्तर देना हर एक के  लिए आवश्यक हो जाए ???? तो मित्रो आप भी अपने विचार हमें भेजिए हमारे ग्रुप और ब्लॉग पर जिसका नाम है " 5th pillar corrouption killer " आज ही लोग आन करें :- www.pitamberduttsharma.blogspot.com. अंत में मैं तो सिर्फ इतना ही कहूँगा की आपस में तकरार छोड़ो और देश हित में वो करो जो सही हो !!धन्यवाद !! जय श्री राम ...!!! हो गया काम ...!!

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प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...