Sunday, April 8, 2012

" किसकी सरकार है .....भारत देश में ."..???

सरकारी मूड के मालिक मेरे सभी मित्रों को सलाम !!
              जी हाँ कई लोग हमेशा सरकारी मूड यानि स्वभाव में ही रहते हैं , माथे पर चार सलवटें , आँखें लाल और ज्यादा खुली हुईं , भाषा उखड़ी व भद्दी तथा चाल मतवाली सी .....!! कुछ - कुछ ऐसे ही गुण होते हैं सरकारी मूड वाले लोगों के जी , जेब चाहे उनकी खाली हो या भरी उससे कोई फरक नहीं पड़ता जी , !! बस घर में भी बिना मतलब का रौब झाड़ते फिरेंगे और घर से बाहर भी !!ऐसा दिखाएँगे जैसे बस इन्ही का राज चल रहा है सब जगह !! 
                                             और कुछ लोग जिनके पास सचमुच सभी सरकारी अधिकार होते हैं लेकिन वो ऐसे चुप रहते हैं जैसे बोलने का कोई टेक्स लगता हो !!?? जैसे हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री  नरसिम्हाराव जी और उन्ही की  पार्टी के सरदार मनमोहन सिंह जी ......????? सीधे - सीधे चलते हैं , सीधे - सीधे बैठते हैं ...प्रियंका जी के बच्चे को भी हाथ जोड़ कर नमस्ते करते हैं , न किसी मंत्री को कुछ कहते हैं और न किसी अफसर को , इतना ही नहीं कौन मंत्री और कौन अफसर क्या काम कर रहा है उनको कुछ नहीं पता ....!! पता नहीं वो पी.एम्.आफिस जाकर क्या करते हैं ?? यंहा तक की देश के सभी नेताओं की इज्ज़त आजकल इसी लिए जीरो हो गयी है क्योंकि कोई भी नेता कोई काम करता जनता को नज़र ही नहीं आता .....??? नेता के घर जाओ तो वह कुछ खाता  - पीता नज़र आता है विधान सभा या लोक सभा में देखो तो वो सोता,लड़ता - झगड़ता या अपना मनोरंजन करता नज़र आता है ...!! उसके चुनावी क्षेत्र में तो वो और उसके चमचे - रिश्तेदार सब साले खाते - पीते और " सरकारी रौब झाड़ते " नज़र आते है ......??? क्यों ....मुझे नहीं पता जी ...!! जनता बेचारी सिर्फ पूछ ही सकती है की ....." किसकी सरकार है .....भारत  देश में ."..???
                                   नेता चाहता है की किसी काम की जिम्मेदारी उस पर ना आ जाए ..कुछ इस तरह से काम हो की उसका सारा क्रेडिट उसे ही मिल जाए ....और अफसर सोचता है की कंही वो फंस न जाए .....इस लिए दोनों काम करने में कम ही विश्वास करते हैं ....??? इसी लिए आजकल सिर्फ वोही काम होता है जिसमे सबकी चांदी पक्की हो .....या जिस काम की रिश्वत मिल रही हो !! इसी लिए अन्ना जी और रामदेव जी के साथ इतनी जनता कड़ी है !! इज्जत की परवाह भी किसे है मिडिया शोर मचाता है तो मचाये उनकी बला से .....उन्हें क्या हो सकता है ??????
                                    इस देश में पूँजी - पतियों की सरकार है किसी u.p.a. - n.d.a. की नहीं और नहीं जनता को किसी भुलावे में रहना भी नहीं चाहिए की उसकी कभी सरकार थी - है - या रहेगी ....!!! पूँजी पति चाहते हैं जब वो किसी चेनल को और किसी अखबार वाले को पैसे देकर या पैसे से खरीदी जा सकने वाली कोई वस्तु या पद देकर अपना काम निकलवा लेते हैं !! किसको कौनसा मंत्री बनाना है और किस अफसर को कौन सा सेक्रेटरी बनाना है सब पूँजी पति ही तय करता है !! यही नहीं सभी प्रकार के सरकारी निर्णयों में भी उनका ही हस्त क्षेप होता है !! बिकाऊ गुंडे मवालियों को मैं कोई दोष नहीं देता क्योंकि उनका तो काम ही यही होता है !!
                                     तो मित्रो वार्ता यंहा समाप्त हो सकती है की जैसे हमारी सरकार हर बड़ी विपदा में सेना का सहयोग लेती है कुछ समय हेतु ...उसी प्रकार से इस लोक तंत्र को सुधारने हेतु सेना को ही बुलाया जाना चाहिए और देश के नेहरु स्टेडियम में सभी पार्टियों के चुने हुए जनप्रतिनिधियों , वकीलों, जजों , विशेषज्ञों  को तब तक बिठाए रखना चाहिए जब तलक हमारे संविधान के एक - एक कालम पर चर्चा पूरी नहीं होजाती और जो बदलाव होना आवश्यक है आज की स्थिति अनुसार !! वो हो नहीं जाता तब तलक किसी भी व्यक्ति को घर नहीं जाने दिया जाना चाहिए !! और एक वर्ष तलक उस नए संविधान को परखा जाना चाहिए की वो वस्तव में प्रभावी है या नहीं .....सारी दुविधाएं सुविधाओं में बदली हैं या नहीं ...!! जब सब ठीक लगे तब इन नेताओं को रिहा किया जाना चाहिए और हमारी सेना को ससम्मान बैरकों में वापिस भेज दिया जाना चाहिए .....???
                             क्यों मित्रो आपका क्या विचार है ....कृपया अपने - अपने अनमोल विचार हमारे ब्लाग के पृष्ठ पर आकर लिखें क्योंकि हम आपके अनमोल विचारों को सहेज कर रखना चाहते हैं ! आज ही हमारा ब्लाग पढ़ें ...जिसका नाम है .." 5th pillar corrouption killer " pl. log on daily www.pitamberduttsharma.blogspot.com. ज्यादा जानकारी हेतु आप मेरी प्रोफाइल पढ़ सकते हैं या फेस-बुक पर मुझसे जुड़ सकते हैं !!
   आपका घनिष्ठ मित्र .....पीताम्बर दत्त शर्मा  मो.न.09414657511. 

1 comment:

  1. चर्चा का समय नहीं है, इस देश में इतने नेताओ ने तो राज कर लिया अब एक बार सेना का राज भी देख लेना चाहिए .............
    कुछ तो अच्छा या अलग होगा .......

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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

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