Thursday, March 15, 2012

" तौबा ये मतवाली चाल..झुक जाये "मनु" सरकार.." !!

 "मतवाली चाल चलने और देखने वाले "सभी मित्रों को "चालबाजी "भरा नमस्कार पेश है , स्वीकार करें !! मित्रो मैं आज किसी फ़िल्मी हिरोइन की चाल के बारे में बात नहीं कर रहा हूँ , मैं तो हमारे प्रधान - मत्री सरदार मनमोहन सिंह , राजीव शुक्ल और संसदीय कार्यमंत्री श्री पवन कुमार बंसल जी की चाल की बात कर रहा हूँ । कई टी.वी.चेनलों पर संसद से बाहर आते हुए इनकी "क्लिप " दिखाई जाती है जिसमे तेज़ चलते हुए ये लोग कमरे की तरफ आते हैं । उसे देख कर बरबस मुंह से हंसी फूट पड़ती है , वो इस लिए की ये लोग दिखा ये रहे हैं की इनको काम की बड़ी व्यस्तता है और सरकार के हर कार्य के फैसले और काम इन्हें ही करने पड़ते हैं ..? जब की असलियत खुलकर अब बाहर आ ही गयी है !! बंगाल की शेरनी का एक मोहरा जिसे रेल मंत्री बनाया गया था बिना पूछे रेल बज़ट संसद में पेश कर आया , जिसे कांग्रेसियों ने "पीठ थपथपा "कर चने के झाड " पर चढ़ा दिया !! इस चाल को ममता जी समझ गयीं की मुना त्रिवेदी " देश भगत " बन गया है !! उन्होंने वन्ही से ऐसी गर्दन मरोड़ी की साड़ी सरकार "कांव -कांव " करने लगी !!??? वैसे जब से U.P.A.की दोबारा सरकार बनी है तभी से ये देखने में आया है की रोज़ नयी नयी " चाल बाजियां " चली जा रही हैं !!!! कभी मुलायम का समर्थन लेना , कभी माया को धमकी , कभी अन्ना को राज़ी करना तो कभी रामदेव को डंडे मारकर भगाना , सब इसी तरफ इशारा कर रहे हैं की इस सरकार में कोई ऐसा व्यक्ति या लोग आ गए हैं जो सारे मंत्री मंडल को और संगठन के पदाधिकारियों को ऐसी - ऐसी चाल-बाजियां समय समय पर सिखा रहा है की कभी द्विगविजय सिंह अजीब बयान दे देते हैं तो कभी राहुल गांधी पर्ची फाड़ हीरो बन जाते हैं !! इसका असर ये हो रहा है की ना तो कोई मंत्री अपनी " बुध्धि " अनुसार कार्य कर पा रहा है और ना ही अपने " मनु जी " ???? जो रोज़ किरकिरी हो रही है वो अलग !! किसके कहने से ये "होशियारी रुपी बेवकूफीया" करी जा रही हैं ???? अब तो हद ही हो गयी ...रेल मंत्री रेल बज़ट पेश करने के २४ घंटे के अन्दर ही अपनी कुर्सी गँवा बैठते हैं और कांग्रेसी प्रवक्ता हंस - हंस कर चेनलों पर कहते हैं की कुछ हुआ ही नहीं !! बेशर्मी की भी हद हो गयी ....??? अब सवाल ये उठता है की जनता ये सब कुछ होता हुआ देखती रहेगी या कोई निर्णय लेगी ???? क्या जनता के पास कोई निर्णय लेने की क्षमता भी है या नहीं ?  क्या सिर्फ वोट डालने के इलावा कोई चारा नहीं है ???? मैं कहता हूँ है जनता के पास शक्ति !! वोट के इलावा अगर जनता ऐसे नेताओं को " देखने जाना , उनके भाषणों को सुनना , और उनका स्वागत करना बंद कर दे तो ऐसे नेताओं के होश ठिकाने आ जायेंगे कुछ ही दिनों में !! लेकिन ये तभी हो पाएगा जब सारी जनता एक साथ सोच - समझ कर ये फैसला उठाये नहीं तो ये धूर्त नेता " बांटो और राज करो " का फार्मूला अपनाकर फिर हम पर राज करने में कामयाब हो जायेंगे और हम फिर "आरक्षण " के चक्कर में फंस जायेंगे !!! और जब वोट डालने का समय आये तो इन सारे पुराने नेताओं को रिटायर करदो चाहे वो किसी भी पार्टी जाती या इलाके के क्यों ना हो !!????? 2014 के संसदीय चुनावों में और आगे आने वाले विधान - सभा चुनावों में कसम खालो की एक भी पुराना नेता जितने ना पाए !! बोलो जय श्री राम !! 

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