Wednesday, December 28, 2011

" बस अन्ना जी , इतने भरोसे लायक भी नहीं है , ये जनता "....?? ?

मेरे प्रिय भरोसे मंद मित्रो , भावपूरण नमस्कार स्वीकार करें !! " जनता " के लिए आज तलक न जाने कितने समाजसेवी , नेता अपना समय , धन और जान तक गवा बैठे हैं , इस नामुराद जनता को याद नहीं है , कितने संत इस जनता को सुधारने हेतु अपना तन , मन , और धन , ज्ञान देने और लेने में लगा चुके हैं , इस " बेबस " जनता को वो भी याद नहीं , इस " निर्दयी " जनता के सामने कितने अन्याय हुए ,और ये चुप - चाप देखती और सहती रही , वो भी इसे याद नहीं ???? हमारा इतिहास साक्षी है की ये जनता कितनी " भुलक्कड़ " है ??? ये भी किसी से छिपा नहीं है ???? अन्ना जी , आपने 3.- 4.बार आन्दोलन करके देख लिए , सरकारी और गैर सरकारी नेताओं का हाल भी आपने देख लिया ??? समझ दार लोग सब समझ चुके हैं की किसके लिए क्या फायदे मंद बात है ??? और क्या नहीं ?? तो अब आपका दोबारा अनशन पर बैठना कटाई उचित नहीं है !! क्योंकि यही वो जनता है जो चोर नेताओं को " वोट " डालकर जीताती है !! दारू पीकर अपना वोट " बेच " आती है !! या अपनी जाती धर्म और इलाके के पीछे भाग पड़ती है ???? तो क्यों इस " नीरीह " जनता हेतु अपनी जान खतरे में डाली जाये ??? ये वोही जनता है जिसके सामने " द्रोपदी का चीर - हरण हुआ " और ये देखती रही ?? ये वोही जनता है , जिसके सामने "सीता को अग्नि परीक्षा" देनी पड़ी ??? और ये वो ही जनता है जिसके सामने " यीशु - मसीह " सूली पर चढ़ा दिए गए ????? क्या इस जनता की " अपनी " कोई जिम्मेदारी नहीं ??? क्यों कोई , महाराणा प्रताप , शिवाजी , लक्ष्मी बाई , तांत्या टोपे , भगत सिंह , चन्द्र शेखर आज़ाद , अपनी जान दे ??? या गांधी , जे . पी . और अन्ना जी जैसे अपना अमूल्य जीवन बर्बाद करें ??? अब जनता को स्वयं कार्यक्रम बना कर आन्दोलन करना चाहिए , और अन्ना जी , केजरी वाल जी और किरण बेदी जी जैसों को सिर्फ दिशा निर्देशों हेतु अपने पीछे रखना चाहिए ???? तब तो है मज्जा ??? नहीं तो अन्ना जी भूखे बैठे रहें और जनता रजाई में बैठी t.v. चेनलों पर समाचार देखती रहे , ये उचित नहीं है ???? आप सब मित्र इस विषय पर क्या सोचते हैं ??? कृपया अपने अनमोल विचार , मेरे ब्लॉग " ५थ पिल्लर करप्शन  किलर " पर अवश्य लिखें !! या लाग आन करें www.pitamberduttsharma.blogspot.com. पर  भी अपने विचार  प्रकट कर सकते हैं !! तो बोलो ......जय श्री राम !!!!  

Sunday, December 25, 2011

" आज , ओरत व मर्द के - -" बीच "- - कैसे सम्बन्ध होने चाहिए " ? ??

सभी व्यस्क मित्रों को प्यार भरा नमस्कार !! मुझे फेस - बुक पर कार्य करते हुए लगभग एक वर्ष होने को है | मुझे कम्पूटर चलाना भी कम आता है | कुछ समय पहले तो आता ही नहीं था | तब तलक मेरी कोई महिला मित्र नहीं थी , सिवाय मेरी पत्नी के , कसम से !! बचपन में को - एजुकेशन मैं पढ़े तो उस समय सह पाठी लडकियां अवश्य होती थी | लेकिन  उस समय आज जैसी फ्रेंडशिप नहीं होती थी !! फेस - बुक पर आने के बाद , अपने ब्लॉग " ५थ पिलर करप्शन किलर " मैं ज्वलंत विषयों पर लिखने के बाद मेरी कई महिला मित्र बन गयी हैं || जिनसे समय - समय पर कई विषयों पर बात होती रहती है | आज मेरी एक महिला मित्र    "निशा सहारण " जी ने एक प्रश्न पूछ लिया के " आप मर्द और ओरत के संबंधों के बारे मैं क्या सोचते हैं ? कैसे सम्बन्ध होने चाहिए ? आदि आदि || तो मैंने उनसे कहा की आज इसी विषय पर मैं अपने विचार लिखता हूँ , और आप भी पढ़ कर उस पर अपने विचार लिखना !! ऐसा अभी उनके साथ तय हुआ है और पाठको आपसे भी अनुरोध है की आप भी इस विषय पर अपने विचार अवश्य मेरे ब्लॉग पर जा कर लिखें !! अग्रिम धन्यवाद स्वीकार करें !! मर्द और ओरत दो अलग अलग सोच और शारीरिक बनावट के बने शरीर हैं जिसे परमात्मा ने बनाया है !! विश्व मैं आज दो तरह की मान्सिकताएं चलती हैं | एक वो जो , भारतीय उपमहाद्वीप या एसिया मैं चलती है और दूसरी वो जो यूरोप और पाश्चात्य संस्कृति मैं चलती है ! पाश्चात्य संस्कृति को तो चंद  लाइनों मैं कहा और समझाया जा सकता है लेकिन भारतीय सोच को समझाने मैं बहुत वक्त चाहिए | कुछ लिखने से पहले मैं ये स्वीकार करता हूँ की मैं पूर्ण ज्ञाता नहीं हूँ इसलिए मेरे कथन मैं कोई त्रुटी भी हो सकती है इस लिए पहले ही क्षमा प्रार्थी हूँ !! पहले पाश्चात्य संस्कृति की बात करते हैं :-- वंहा नारी को केवल सेक्स की वस्तु  माना जाता है , जो मर्द का जीवन मैं अपनी इच्छा से सहयोग भी करती है ,और मर्द भी बदले मैं उसका सहयोग करता है !! वंहा माता बेटे के साथ , भाई बहन के साथ और पिता बेटी के साथ रजामंदी से सम्भोग कर सकता है कोई बुरी बात नहीं मानी जाती , बल्कि आजकल तो ओरत ओरत के साथ और मर्द मर्द के साथ भी सम्भोग करता है जिसे कानूनी मान्यता है | दोनों अपनी मर्ज़ी से कोई भी काम कर सकते हैं !! बस इतने मैं पाश्चात्य संस्कृति का बखान हो गया और ज्यादा कुछ कहने और समझने को नहीं है ??? अब भारतीय संस्कृति की बात करते हैं :-- एशिया मैं या भारतीय उप महाद्वीप में जो संस्कृति प्रचलित है वो हमारे " सनातन धरम की दी हुई एक सौगात है , जिस से एक संतुलन समाज में बनता है !! हमारे ऋषियों - मुनियों ने वर्षों की रिसर्च के बाद ये भारतीय पधिती तैयार की है जिसे एक लेख में लिख पाना संभव नहीं है फिर भी कोशिश करता हूँ विषय को संक्षिप्त करके || नारी और पुरुष पर केन्द्रित करके || भारतीय ग्रंथों के अनुसार भगवन शिव ने सृष्टि को चलाने हेतु अपने अन्दर से ही स्त्री और पुरुष को कैद किया जिसे " अर्ध - नारीश्वर " का नाम दिया गया | " फ़र्ज़ और कर्त्तव्य " नमक शब्दों में जीवन को इस प्रकार से " गूंथा " गया की हर वो कार्य जिस को करने से मानव जाती को भविष्य में नुकसान पंहुचता उसे " पाप " कहदिया गया और जिसको करने से इंसान को फायदा पंहुचता उसे " पुन्य कार्य " कहा गया !!  यंहा ओरत पहले " माता ", फिर " बहन " फिर " पत्नी " और फिर "बेटी" और " बहु"  बन कर दोस्त भी बनती है , सृष्टि को चलाने हेतु सेक्स भी करती है और जीवन मैं अन्य  तरह से सहयोग करने हेतु  "साली" और "भाभी" भी बनती है || यंहा मैं यह भी बता दूं की अगर जीवन मैं कोई उंच - नीच हो जाये तो , साली और भाभी , और देवर और जीजा आपस मैं पति पत्नी भी बन जाते है ||  माता , बेटी और पत्नी के रूप में नारी को व्यापक अधिकार भी दिए गए हैं और कार्य को बांटा भी गया है || परस्थितियों वश आज के युग में जब कार्य क्षेत्र बदल गए हैं तो संबंधों पर भी असर पड़ा है | कुछ लोग आधुनिक हो गए हैं , तो कुछ अभी सिमित दायरे में ही सोचते हैं || मेरे विचारों की जन्हा तलक बात  है वो ये है की सम्बन्ध रजामंदी से जैसे भी बने उसे निभाना चाहिए और अपने उस साथी को भी तुरंत बताना चाहिए जिस पर इस सम्बन्ध का असर पड़ता हो || बस धोखा नहीं होना चाहिए किसी के साथ भी || सच्ची दोस्ती  ही अबसे बढ़िया रिश्ता है दुनिया में क्यों ..........???? बोलो जाया श्री राधे ..... कृष्ण ...!!!!! क्योंकि प्यार के वोही देवता हैं ....!!!  

Wednesday, December 21, 2011

केंद्र सरकार , मानने को तैयार नहीं , की वो जनता की सेवक है ....???

सभी मित्रों  को प्यारी जिद्द भरा नमस्कार !! जिद्द भी कई तरह की होती है !! बच्चे की जिद , जो अच्छी लगती है ?? पत्नी या प्रेमिका की जिद , जो प्यारी लगती है ?? दोस्त की जिद्द , जिसपे कुर्बान जाने को दिल करता है ??लेकिन आज कल हमारे नेता गन भी जिद्द करने लग गये हैं !! की हम जीत  कर आये हैं , इसलिए जो हम करेंगे , वोही उचित होगा , बाकी अगर किसी को अपनी बात मनवानी है तो वो पहले लोक सभा का चुनाव जीत कर आये फिर हमें कुछ कहे , अन्यथा नहीं ?? u.p.a. की नेता श्री मति सोनिया गाँधी जी ने बड़े दिनों बाद अपना श्री मुख खोला है !!! वो बोली हैं की सरकार लोकपाल को लेकर अब लम्बी लड़ाई लड़ने को तैयार है ?? कोई पूछे भला किस् से ?? वो कहती हैं की अब जो बिल सरकार ने बनाया है वो फ़ाइनल है ....अन्ना या विपक्ष अब कुछ न बोले ...!!  केंद्र सरकार , मानने को तैयार नहीं , की वो जनता की सेवक है ....??? उन्हों ने जनता या अन्ना जी का नाम तो नहीं लिया लेकिन b.j.p. और विपक्ष का नाम ले कर ये कहा की ये अपनी हार स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं !!सोनिया जी ने अपनी सरकार द्वारा पेश किये गए बिल की तारीफ में स्वयं ही पुल बाँध दिए हैं ???? मील का पत्थर भी बता दिया है ???साथ साथ वार्निंग भी दे दी है की अब जो सरकार ने लोकपाल बिल पेश किया गया है , उस पर अब कोई समझोता या वार्तालाप नहीं होगी !! यानि अब अगर अन्ना जी आन्दोलन करेंगे तो ........सरकार लम्बी लड़ाई हेतु तैयार है ??? उन्होंने ये भी कहा की विपक्ष और टीम अन्ना अब इसे चुपचाप मान ले ??? उन्होंने विपक्ष पर अडवांस में ये आरोप भी जड़ दिया की वो नहीं चाहता की लोकपाल बिल पास हो और देश में भ्रष्टाचार समाप्त हो ....??? उन्होंने अपने सांसदों को भी होसला दे दिया है की घबराने की कोई जरूरत नहीं है पार्टी 5. राज्यों में भी जीतेगी .......?????? कुल मिला कर बात वन्ही की वन्ही है !!!! केंद्र सरकार का मतिभ्रम न केवल बना हुआ है , बल्कि बढ़ भी गया है ??? की बस जो कुछ हैं , वो बस हम हैं .....??? जो चुनाव जीत गया ....वो सेवक नहीं ....राजा है ......? बस अब वक्त आ गया है .......जनता ....जाग ....जाये .....!!! सबक सिखाने को तैयार रहे ......इन नेताओं को ......!!!! bolo....जय ......श्री ......राम .....!!!!

Sunday, December 18, 2011

मैं होता पी . एम् . , तो एक " डालर " के देता , " 2./- "......? ? ?

स्वाभिमानी मित्रो , प्यार भरा " रोकड़ी " नमस्कार !!पिछले कई दिनों से समाचार पढ़ रहा हूँ की रुपया गिर गया , रुपया गिर गया !! पता नहीं कन्हा गिर गया ये समझ में नहीं आ रहा था !! एक दिन मैंने अपने मित्रों से पपच ही लिया , यारो कोई तो मुझे बताओ आखिर ये रुपया कब - कब गिरता है ?? कन्हा  गिरता है ? क्यों गिरता है ???कैसे गिरता है ???और डॉलर ससुरा 1967. से ही चढ़ता ही जा रहा है क्यों ????? मेरे मित्र बोले, अबे मास्टर रुक जा प्रश्न पे प्रश्न किये जा रहा है? जिस सरकार के पास जितना सोना होता है उतने ही नोट छपने का अधिकार उसके पास होता है ... उनके आगे बोलने से पहले ही मैं आगे बोला , रहने दो रहने दो , सोना तो हमारे पास उतना ही है जितना कल था , फिर रोज़ कैसे रुपया गिरता है ?? जरूर इसमें कोई विदेशी साजिश है ??? मित्र हंसने लगे , बोले जा यार तू तो बिलकुल भोला है , मैं बोला , भाइयो मैं तो एक बात जानता हूँ की मेरा रुपया है तो मेरी मर्ज़ी चलेगी या किसी विदेशी की , मैं ससुरे डॉलर की कीमत दो रूपये ही लगाता अगर मैं प्रधान मंत्री होता तो सब के लिए ये ऑर्डर पास कर देता की डॉलर के 2./- रूपये से ज्यादा देने ही नहीं है तो हमारे रूपये की कीमत कैसे गिरती ??? हम डॉलर के बदले हमारा सम्मान ही नहीं देते , कहते की हमारी करंसी लाओ तब देंगे हम हमारा सामान , तो कैसे रूपये की कीमत गिरती ???मेरे मित्र बोले भले मानुष हम 50.वस्तुएं बेचते हैं और 500. वस्तुए खरीदते हैं इसीलिए तो हमारी चलती नहीं ...?? मैं बोला की अगर हम में स्वाभिमान है तो हम उनकी 50. वस्तुओं की तरफ देखते भी नहीं ,और उनके डॉलर की कीमत 2./- रूपये ही लगाता अगर मैं प्रधान मंत्री होता ???? मेरे मित्र बोले की तभी तो तुम्हे कोई प्रधान मंत्री कोई बनाता नहीं ??? मैं सोच में घिर गया ?? की यार मैं तो अपनी और अपने देश की इज्जत और मान बढाने की बात कर रहा हूँ , और ये सब ये कह रहे हैं की इसी लिए तुझे कोई प्रधान मंत्री कोई नहीं बनाना चाहता तो क्या सारे बे - ईमानों को पसंद करते हैं .....??? ....... आप सब मित्रो आप ही मुझे समझाओ की क्या हम अगर मन को मजबूत बनाकर कुछ समय के लिए ऐसी घोषणा करदें की हमारी नज़र में डॉलर की कीमत मात्र 2./- रूपये है और इसी अनुपात से हम हमारा बाज़ार चलायें तो क्या नहीं चलेगा ???? क्या - क्या रुकावटें आएँगी ???? कौन सी ऐसी वस्तुएं हैं जिनके बिना हमारा काम नहीं चलता अगर हम उन्हें कुछ दिनों तक नहीं मंगाएं तो ????? क्या हम हमारे रुपये की इज्जत के लिए कुछ कुर्बानी नहीं दे सकते ....??? आखिर ह्म्मारी इज्जत भी तो हमारे देश की इज्जत से ही जुडी है ??? कैसे हमारे वित् मंत्री , वित् विशेषज्ञ आदि चुप बैठे रहते हैं ???? क्यों नहीं कोई प्रभावी बात कही या करी जा रही ???? हर बात पर बे - बस क्यों नज़र आती है हमारी सरकार और ये तथा - कथित नेता ( पक्ष और विपक्ष ) ???? क्या " मादा " ख़तम हो गया ........???? बोलो .....जय .......sri.....राम .......!!!!!!!!!!! 

Tuesday, December 13, 2011

" मान जाइये ......! मान जाइये....., बात मेरे दिल की जान जाइये " ! ! !!

रूठे हुए मित्रो , म्नुवल भरा नमस्कार स्वीकार हो !!! क्योंकि हमारी सर्कार भी धीरे - धीरे अब मान रही है !! सिटिजन चार्टर , विसल ब्लोवर , और न्यायिक व्यवस्था वाले बिल सदन में आ भी गए और पास भी हो गए !! अब कुछ हेर फेर के साथ " लोक - पाल " जैसा बिल भी पास हो जायेगा , क्योंकि सरकार अब विशेष सत्र बुलाने की बात भी कर रही है ||  अब प्रयास श्रेय लेने का हो रहा है , विपक्ष , n.g.o. और सरकार सब जोर - शोर से इसी प्रयास में लगे हैं || जनता को फिर सारे भूल जायेंगे ?? अपने अपने ढोल पीटने में ये सब लग जायेंगे ??? लेकिन जनता को अपने " घाव " हरे रखने होंगे ?? उसे तो अपने अंदर एक ज्वाला तब तक जलाए रखनी है जब तलक चुनाव नहीं आते केंद्र के ??? तब हमें सिर्फ उन लोगों को संसद में भेजना है जो वंहा जाने के बाद जनता को और जनता की समस्याओं को याद रखें , न की ऐसे लोगों को जिन्हें जनता की समस्याएँ " याद " करानी पड़ें ?????हमने  ऐसे लोगों को भी वोट नहीं देना जो हमें जातियों में बाँट रहे हैं , हमने ऐसे लोगों को भी वोट नहीं देना जो हमें किसी प्रकार का लालच देवे , न ही उनको वोट देना है जो हमारी पार्टी का प्रत्याशी तो है लकिन ईमानदार नहीं है , उसको भी वोट नहीं देना है जो हमे धर्मों में बांटे || बस हम सब मिल कर यही कसम खा लें की जो हमारी बात ईमानदारी से करेगा वोट उसी को मिलेगा चाहे वो निर्दलीय हो या दलीय , हिन्दू हो या मुस्लिम , सिख हो या इसाई , कांग्रेसी हो या भाजपाई , कामरेड हो या समाजवादी जो हमें ये न कहे की मंहगाई तो अभी और बढ़ेगी ?? या हिम्मत है तो चुनाव लड़ लो ?? ऐसा कहने वालों को चुनावों में निबटा जायेगा !! इस लिए लड़ाई अभी बाकी है !! देश का जो धन विदेशी बैंकों में पड़ा है उसे भी भारत वापिस लाना है ! बाबा राम देव जी ने " हुंकार " भरदी है | इसलिए जनता को अब उनका भी साथ देना है | ऐसे बेशरम नेताओं को दिखा देना है की " मालिक" जनता है न की नेता ???? अब लगता है की u.p.a. सरकार की कुम्भ्करनी नींद खुल गयी है और उसे सच्चाई सामने दिखाई देने लगी है , इसी मैं ये गाना गा रहा हूँ की " ममन जाईये ......! मान जाईये ..., बात मेरे दिल की जान जाइए !!......... बोलो .....जय ....श्री ...राम .....!!!! 

Sunday, December 11, 2011

' न जाने, किस वेश में , भारत का " दुश्मन " आ जाये ? ? ?

सच्चे देश - भक्त मित्रो , वन्दे - मातरम् !! और प्यार भरा नमस्कार स्वीकार करें !! अन्ना जी फिर वापिस आ गए हैं ! सरकार उन्हें स्वीकार नहीं कर पा रही , और न ही जनता उन्हें अब तलक पूरा समझ पायी है ?? बुद्धिजीवी लोग अलग - अलग राय रखते हैं !! मैंने भी कई मित्रों के विचार अन्ना जी और उनकी टीम के साथ मेल नहीं खाते देखे हैं ! कोई उन्हें कांग्रेस का एजेंट बता रहा है तो कोई उन्हें r.s.s. का ?? कोई कहता है उनकी टीम में निम्न जाती के लोग नहीं इसलिए ये आन्दोलन सही नहीं तो कोई पूछता है की उनके पीछे कौन है ???? ये मन भी बड़ी विचित्र चीज़ है ?? कभी इधर तो कभी उधर , थाली के बैंगन की तरह कभी एक जगह टिकता ही नहीं ?????? इसलिए कल से मैं गहन सोच में डूबा हुआ हूँ ?? की इस देश का दुश्मन कौन और किस रूप में आ जाये ?? हम कुछ भी नहीं जानते ??? मैंने जो सोचना शुरू किया तो अजीब अजीब विचार मन में आने लगे /// आप भी पढ़िए ... पहला विचार ये आया की भारत का दुश्मन भारतीय नारियों को बिगाड़ने हेतु ऊटपटांग सीरियल और फिल्मे बनाकर tv. पर फ्री दिखा रहा है ??? और मज़े की बात ये है की सारा फिल्म और add. उद्योग उनकी मदद कर रहा है ???? दूसरा विचार ये आया की भारत के मैहनत कश लोगों को बेकार बनाने का काम हमारा दुश्मन कर रहा है और उनकी मदद इस काम में हमारी भारत सरकार कर रही है म्न्रेगा के ज़रिये १८०/- रूपये रोज़ थोड़े से काम के बदले दे कर आलसी बना रही है ????? ८०/- रूपये अफसर खा रहे हैं और १००/- गरीब मजदूर पा रहा है ???? इस तरह से भारत का मजदूर वर्ग आलसी हो रहा है ??? तीसरा हमला भारत पर शिक्षा के द्वारा हो रहा है ?? ८वीं कक्षा तक के बच्चों को बिना मेंहनत के पास किया जा रहा है और विद्यालय में ही खाना दिया जा रहा है , किताबें दी जा रही हैं और साईकिल भी दिए जा रही हैं जिस से हमारे विद्यार्थियों की नींव कमज़ोर हो रही है ?? दूसरो पर आश्रित होना सिखाया जा रहा है ???? और मज़े की बात ये की इसमें भी हमारी सरकार देश के दुश्मनों की मदद कर रही है ?? बड़े " माल " लाकर , छोटे व्यापारियों को ख़तम करने की साजिश रची जा रही है ?? नकली नोट भेजे जा रहे हैं ??? उग्रवादी भेजे जा रहे हैं ??? देश भक्तों का इतिहास समाप्त करके सिर्फ गांधी परिवार तक सीमित किया जा रहा है ?? देश को लूटा जा रहा है शरेआम वो अलग ??? लोहे की छोटी सी कुल्हाड़ी " लकड़ी के हत्थे " की मदद से देश रुपी पेड़ को काट रही है और देश के दुश्मन tv.पर बहस में भाग लेते हुए , बड़ी बड़ी बिंदियाँ माथे पे लगाके ये बोलते हैं या बोलती हैं की क्या ये देश इतना कमज़ोर है जो एक " सीरियल या फिल्म " देखने से बिखर जायेगा ??? और हम उनके इन्ही शब्दों के मायाजाल में फंस कर उन्हें सही मान लेते हैं ?????? जैसे महेश भट्ट , महिला आयोग के सदस्य और कुछ n.g.o. के सदस्य आदि आदि जो देश को तरह तरह से नुक्सान पहुंचा रहे हैं ....??? जागो ...देश वासियों  ....जागो !!! 

Tuesday, December 6, 2011

" जिसका - भय था.......वोही - बात हो गयी "....? ? ?

मर्यादा में रहने वाले समझदार मित्रो , नमस्कार !! ग्यानी जन बड़े दिनों से सोच रहे थे , कईयों ने तो फेसबुक पर लिख भी दिया था की अश्लील चित्र और भद्दी भाषा का उपयोग उचित नहीं है परन्तु एक बड़ी गिनती वाले लोग भावना मैं बह कर अनाप - शनाप लिखते भी रहते थे और दिखाते भी रहते थे | मैंने स्वयं भी एक या दो बार कड़े शब्दों का और कुछ ऐसे चित्रों का उपयोग किया जो सभ्य नहीं कहे जा सकते , लेकिन मैंने स्वयं उन चित्रों को नहीं बनाया, फिर भी अगले दिन मैंने सब मित्रों से माफ़ी मांगी !!सरकार या किसी नेता के किसी निर्णय या उसके किसी काम पर किसी को आपत्ति है तो उसे सभ्य शब्दों मैं भी जाहिर किया जा सकता है !! लेकिन  जब कोई हद पार कर जाए तो सख्त शब्द तो जायज़ हैं लेकिन अभद्र फिर भी जायज़ नहीं ?? कई लोग तो किसी चित्र पर बाबा राम देव , सोनिया , राहुल गाँधी , कपिल सिब्बल , आदि जैसे व्यक्तियों के चेहरे लगा देते थे लीन्हे देख कर हंसी भी आती थी और बुरा भी लगता था ??? लेकिन सवाल ये भी पैदा होता है की क्यों किसी को जरूरत पड़ी ऐसे शब्द बोलने की ??? या ऐसे घटिया स्तर  के चित्र बनाने की ???? इसका जवाब भी तो ये उपरोक्त लोग अपने गिरेबान में झाँक कर ढूंढें ..???? कुछ दिन पहले मेरी एक महिला मित्र ने बहुत ही बढ़िया प्रश्न फेसबुक पर उठाया था ! वो ये की मर्द लोग गालियाँ देते समय सामने वाले की " माता , बहन और पत्नी को ही टार्गेट कर के क्यों निकलते हैं ज्यादातर ??? ये बंद होना चाहिए !! मैंने उनसे वडा किया था की मैं जल्द अपने ब्लॉग में इस बारे में लिखूंगा और सचमुच ये मौका आज इतनी जल्दी आ ही गया !! ये तो सब को पता ही है की गलियाँ देने वाला व्यक्ति सामने वाले व्यक्ति के किसी कार्य से इतनी हद तक क्रोधित होता है की वो उसके अहम् को ज्यादा से ज्यादा तोडना चाहता है और जब वो शारीरिक रूपसे उससे निपट नहीं पाता तब वो ऐसी गलियाँ निकलता है जिससे उसको मानसिक रूपसे गहरी चोट पंहुचे !! इसीलिए वो उसकी माता , पत्नी ,और बहन को निशाना बनाता है क्योंकि इन सबकी इज्जत का रखवाला भी वो सामने वाला व्यक्ति ही होता है !! इन्गालियों को सुन कर उसका अहम् जाग उठता है और वो शारीरिक रूप से लड़ने को बाहर निकल आता है !! ये एक पुराना तरीका था !! आज के इस युग में ऐसे अपशब्दों का प्रयोग नहीं होना चाहिए क्योंकि हम सब ज्यादातर पढ़े - लिखे लोग हैं आखिर !! प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट सुधीर तैलंग जी ने बहुत ही खूब सूरत तरीके से कल एक t.v. चेनल में बताया की ये गुस्सा अगर " कुछ गलत शब्दों और कुछ गलत चित्रों " तक ही निकलता है तो इसे निकलने देना चाहिए , क्योंकि अगर इस तरह के गुस्से को बंदिश लगाकर रोका गया तो ज्वाला मुखी बन कर फूटने का खतरा बना रहेगा, जो आगे जाकर बम फूटने या उग्रवादी बनकर सामने आ सकता है | ऐसी समस्या का बस एक ही हल है , वो ये की जन्हा तलक हो सके वंहा तलक स्वयं को ही नियंत्रण में रहना चाहिए !! इसी में सब का भला है !! जिनको जनता ने 5. साल  के लिए संसद में भेजा है सरकार बनाकर वोभी ऐसे कार्य न करें जिसे जनता ऐसे व्यक्त करे !! ताली तो दोनों हाथों से ही बजती है न ....?????? सन्मान कोई देता नहीं --- बल्कि कमाया जाता है ....क्या ये नेता इतना भी नहीं जानते ....??? चलो आज हम ये कसम खाते हैं की जो मौजूदा संसद या विधायक हैं उनमे से ज्यादातर को अब हम चुनकर नहीं भेजेंगे .....???? अब चुनावों में ही इन्हें बताया जायेगा की राजा कौन है ??? ये जो हमें चेलेंज कर रहे हैं की चुनावों में जीतकर आ जाओ और अपनी मनमर्जी के क़ानून बनाओ ?? वो ये सब इसी भरोसे पर कह रहे हैं , की इनको पता है हमने वोटरों को जातियों , धर्मों , इलाकों और पार्टियों में इस तरह बाँट दिया है की जनता के सामने इन नेताओं को जितने के इलावा कोई विकल्प ही नहीं रह जायेगा ....?? वोटर तो भुलक्कड़ है , वोटर कोतो ये नेता खरीद लेंगे , वोटर को तो शराब पिलाकर कंही भी वोट डलवा लेंगे ????  लेकिन जनता को अब इन सब बातों को याद रखना होगा ??? उपचुनावों में जो कांग्रेस की जीत हुई है उसीसे इनका ये होसला हुआ है जो ये सोशल वेब साइटों के अफसरों को बुला कर डांटने लगे हैं !! लेकिन " सीमा " में रहना हम सबके लिए फिर भी जरूरी है !!  

Sunday, December 4, 2011

" किसको भाते हैं - " ईमानदार , सच्चे और कर्तव्यनिष्ठ - आदमी ".???

सच्चाई और ईमानदारी की कदर करने वाले , प्यारे मित्रो , प्यारा सा नमस्कार स्वीकार करें !!!!! आजकल हिन्दुस्तान में बहुत शोर मचाया जा रहा है की भ्रष्टाचार मिटाओ , काला  धन वापिस लाओ और नेताओ ,       करमचारियों समय बध्ध कार्य करो आदि आदि .....?? बड़े बड़े आंकड़े भी बताये - गिनाये जा रहे हैं ||  जैसे 120,करोड़ जनता ये चाहती है ?????, s.c. जातियों वालों को ज्यादा दण्डित  किया जायेगा ?? अन्ना के पीछे कौन ??? मनमोहन सिंह जी के पीछे कौन ,??? मिडिया के पीछे कौन ??? लोक - पाल का आन्दोलन सारी  जातियों को साथ लेकर ही कामयाब हो सकता है ...????जैसे कई सवाल देश मैं गूँज रहे हैं !! इसके साथ साथ ये भी कहा जा रहा है की n.g.o. और मिडिया को भी लोकपाल में शामिल करो !! अन्ना जी ये भी कह रहे हैं की चुनावों के वक्त हम जनता के बीच में जायेंगे और इमानदार सच्चे और कर्तव्यनिष्ठ आदमी को जितने हेतु कहेंगे .....???? परन्तु मेरा ये पूछना है की इस कलयुग में किसको भाता है ....इमानदार , सच्चा और कर्तव्यनिष्ठ आदमी ???? आज के इस जमाने में जी हजूरी ,चमचागिरी और वाक्पटुता के धनियों की ही आवश्यकता रहती है ...??? नेता - ठेकेदार और कर्मचारी की तिक्क्दी आज कल हर शहर  में अपने करतब दिखा रही है .....किसको नहीं पता ...??? कोई आम आदमी चुनावों में खड़ा हो भी जाता है तो जनता ही कहती है की ये बेचारा कब जीत पायेगा ???  कौन इसको वोते देगा ...??? जीतेगा तो पार्टी वाला ही ...आदि - आदि !! लकिन मेरा तो यही कहना है की सभी देश वासी अगर ये प्रण करलें की " पार्टियों के अंधे अनुयायी नहीं बनना है , जातिवाद - इलाकावाद में नहीं फंसना है और धार्मिक भेदभाव नहीं सोचना है " || अगर ये तीन बातें आम जनता के दीमाग में बैठ जाएँ तो देश का उद्धार हो सकता है अन्यथा नहीं , तभी तो सत्ताधारी समाजसेवियों को चेलेंज करते हैं की हिम्मत है तो चुनाव लड़के संसद में आ जाओ और मन मर्ज़ी के क़ानून बनाओ ....??? उन्हें पता है की हमने समाज को इतने हिस्सों में बाँट दिया है की आम आदमी जीत ही नहीं सकता .....??? आज के क़ानून की लाख कोशिशों के बावजूद चुनाव जितने हेतु गुंडा तत्व +अनाप - शनाप पैसे वाला + रंगीन मिजाज़ वाले व्यक्ति ही सत्ता प्राप्त कर सकते हैं !!  भगवान्  करे भारत से कलयुग का असर कुछ कम हो और भारत की जनता उपरोक्त तीन बातों को गाँठ बाँध ले , तो ही भले आदमी हमारी संसद और विधान सभाओं  में आ पाएंगे ...!!!  अल्लाह ताला  से यही दुआ है ...आमीन !!  

"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...