Friday, November 4, 2011

" खेल में जेल " .... ये है खेल क्रिकेट का..? " इंसाफ जिंदा है !

क्रिकेट प्रेमी मित्रो , नमस्कार स्वीकार करें !! कल क्रिकेट के तीन खिलाडियों को आखिर कार जेल हो ही गयी ! ये देखना जरूरी नहीं है कि किस देश के खिलाडी हैं बल्कि देखने वाली बात ये है कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं है ...? आई.सी.सी. हो या बी.सी.सी. या पी.सी.सी. या कोई और सब ने पिछले २० सालों से लूट सी मचा रखी है ...? क्या खिलाडी ,क्या कोच  ,क्या सलेक्टर सब हमाम में नंगे थे लेकिन सबूत नहीं थे || पहली बार सबूत मिले ,चोर पकडे भी गए और सज़ा भी हुई ??? परमात्मा भी कभी - कभी मनवा देता है कि मैं हूँ ?? हजारों करोड़ रूपये का " सट्टा " हर बाल पर लगता है जिसका हिस्सा पुलिस,नेता,और प्रबंधकों तक जाता है ?? कोई भी बोर्ड अपने देश के प्रति जवाबदेह नहीं है और सहूलियतें सारी लेते हैं ?? भारत के खेल मंत्री इन्ही बातों  को  लेकर एक " बिल " संसद के शीतकालीन सत्र में पास कराना चाहते थे , लेकिन उन्हें डांट कर बिठा दिया गया ...??? अब जब पी.एम्. में हिम्मत नहीं बोलने कि तो भला खेल मंत्री की क्या औकात की वो "चूँ" भी कर जाय.....??? ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि मैच - फिक्सिंग सिर्फ पाकिस्तानी ही करते है कम,ज्यादा सभी देशों के खिलाडी ऐसा कर चुके हैं ...? समय आ गया है कि सभी देश सख्त कानून बनाएं , भरपूर टेक्स वसूल करें और खिलाडियों के लिए नियम बनाये जाएँ...!! सब काम पार दर्शी होना चाहिए || क्योंकि आखिर आम जनता का धन और समय बर्बाद हो रहा है .....??? मुझे तो यंहा तक शक है कि राजनितिक दलों  के खर्चे भी इसी पर निर्भर हैं ......राम.......जाने.....???????? क्या...होगा....आगे...??? 

1 comment:

  1. आपने बहुत अच्‍छा मुद्दा उठाया है। लेकिन आप अपने ब्‍लाग को पठनीय बनाएं। अभी पढने में कठिनाई हो रही है।

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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

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