Tuesday, November 15, 2011

" सामूहिक स्तीफा "गहलोत सरकार का भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की कवायद या अपनी कुर्सी बचाने का प्रयास ?

प्यारे मित्रो , सादर नमस्कार ! भारत के प्रान्त राजस्थान में पिछले कुछ महीनो से श्री मन अशोक गहलोत जी बड़े ही असमंजस में चल रहे थे , उनका कोई मंत्री तो " राजाओं "की तरह अपनी रातें रंगीन कर रहे थे , तो कोई गलत निर्णय ले रहे थे | कई मंत्री ऐसे थे जिन्हें राज - काज चलाना ही नहीं आता था , तो किसी की अफसर ही नहीं सुनते थे ?? हाई - कमांड तक संगठन रोज़ शिकायतें पंहुचा रहा था ? जब " पोल " खुलने लगी तो गहलोत जी ने सब बुरे कार्यों और बुरे मंत्रियों के ऊपर पर्दा डालने का एक असफल प्रयास किया की " सामूहिक स्तीफा ले लिया | और वो ही ६ मंत्री हटाए जो किसी न किसी रूप में आने वाले समय में स्तीफा देते ही देते ?? २ वर्ष से ज्यादा समय अभी पड़ा है देखते हैं अब नए मंत्री क्या गुल - खिलाते हैं ?? अभी - अभी गहलोत जी ने प्रदेश में " सिटिजन - चार्टर " कानून भी लागू किया है उस से पहले सभी अस्पतालों में मुफ्त दवाइयों का वितरण भी शुरू किया गया है जिसकी रिपोर्ट भी कोई संतोष जनक नहीं है |कोई भी योजना शुरू करने से पहले उसकी आवश्यकता कितनी है और स्टाक कितना है ये जांच लेना चाहिए , शुरू से ही अव्यवस्था फैलना तो यही दर्शाता है की अफसर लोग नेताओं को " घुमा " रहे हैं ? अभी तलक प्रदेश और देश में नेताओं को ये नहीं पता की वास्तविक गरीब कौन हैं कितने हैं ?? तो ये योजना कैसे सही बना पाएंगे ?? वास्तविक बेरोजगार कितने और क्यों हैं जब इन्हें यही नहीं पता तो उनके लिए नौकरियां कन्हा से पैदा कर पाएंगे ??एक लतीफा मशहूर है की " एक अँगरेज़ कई दिन भारत मैं गुज़ार कर जब वापिस जाने लगा तो किसी ने उसे पुछा की भारत कैसा लगा ? यो वो बोला की पहले तो मैं नास्तिक था , लकिन अब मैं भारत में रह कर आस्तिक हो गया हूँ | पूछने वाले ने फिर पुछा की क्यों ,कैसे ? तो वो अँगरेज़ बोला की यंहा १०० में से ९९ बे ईमान , और फिर भी ये देश तरक्की कर रहा है , इस लिए मैं आस्तिक हो गया | पूछने वाला तो पता नहीं शर्म सार हुआ या नहीं , लेकिन सच्चे देश वासी अवश्य शर्म सार होते हैं || यंहा तो नेता गुंडा गर्दी ,हेरा फेरी और चोरी में तो माहिर हो ही गए हैं , सीना - जोरी में भी माहिर हैं || गहलोत जी सोनिया जी के सामने " कुछ का कुछ " कहकर इस बार तो अपनी गद्दी बचाने में सफल हो गए हैं लेकिन जनता से बचा पाएंगे या नहीं ये देखना है ?? क्योंकि बकौल अन्ना जी और भारतीय संविधान के असली मालिक तो लोक तंत्र की जनता है || जय श्री राम बोलना पड़ेगा जी तो बोलो सब मिलके ..... जय श्री - राम ....!!  

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