Friday, September 30, 2011

" हम से भूल हो गयी ......., हमका माफ़ी दे दो .... !!!"

भावुक हो कर भूलवश भूल करने वाले दोस्तों ,  माफ़ी भरा नमस्कार ! दोस्तों फेस - बुक पर मुझे आज ३ महीने से ज्यादा यानि  १०० दिन हो गए हैं , इस दोरान ८५ लेख मैंने ब्लाग पर लिखे ,और न जाने कितनी बातें , गीत ,चुटकुले और घटनाएँ सभी मित्रों के साथ बांटी फेस - बुक पर |  सैंकड़ों  मित्रों की विभिन्न प्रकार की बातें भी पढ़ी और देखि - सुनी | ये  सब करते हुए कभी मन गुस्से से भर जाता तो कभी हंसने लगता , कभी मूड सेक्सी हो जाता तो कभी मजाकिया , कभी मन भाव-विभोर हो जाता तो कभी जोश भर जाता | मैंने कभी कम्प्यूटर चलने की ट्रेनिंग नहीं ली , आज भी पूरा चलाना नहीं आता , कई बातें तो मैं लिखता भी नहीं था वो मेरे नाम से लिखी हुई आ जातीं ? कई अनर्गल लेख , फोटो और चैटिंग , जो मेरे द्वारा नहीं की गयी थी वो मेरी वाल पर दिखाई देने लग जाती थी ???? जिस से मन बड़ा परेशान हो जाता था | अभी दो दिन पहले की ही बात है किसी मित्र  ने सरदार मनमोहन सिंह जी , राहुल और  चिदम्बरम जी के मुख बच्चों के नंगे चित्रों पर लगाये हुए  थे , उन बच्चों ने एक दुसरे की पिशाब करने वाली जगह को पकड़ रखा था , उसे  देख  कर पहले तो मुझे हंसी आई तो  हंसी - हंसी में मैंने वो फोटो सभी मित्रो को सेंड कर दी |  ज्यादा तर मित्रों को वो पसंद आई , लेकिन तीन मित्र , सरदार सोढ़ी जी, नन्द किशोर जी और एक और  मेरे प्रिय मित्र हैं उनका मैं नाम भूल गया उनको वो पसंद नहीं  आई , क्योंकि मैं अपने सभी मित्रों को बहुत सन्मान की दृष्टि से देखता हूँ , किसी भी आदमी को नाराज़ करना मेरा उद्देश्य नहीं होता इस लिए आज मैंने अपने सारे लेखों और पोस्टिंग को दोबारा पढ़ा , जिस से मुझे महसूस  हुआ  की मुझे एक बार अपने सभी मित्रो से और उन सबसे जिनको मेरी किसी भी कही  या सुनी गयी बात से कष्ट पंहुचा हो ,..... तो  मैं हाथ जोड़ कर माफ़ी मांगना चाहता हूँ | इंसान गलतियों का पुतला है , जो अपनी गलती मान ले , उसे माफ़ करने वाला बड़ा हो जाता है ......???? क्या आपने मुझे माफ़ कर दिया ??? अवश्य बातें ..... क्योंकि मैं अगले बुधवार से फिर देश हित में लिखने वाला हूँ नया खाता चालू करना है .....?? आज पता चला की लोग समय - समय पर हरिद्वार क्यों जाते हैं ...? बोलो .... राम ..... राम ..... राम ....!!!!

Wednesday, September 28, 2011

" वापिस ले जाओ अपनी , (सर - कार ) स. मनमोहन - जी "

कार वाले दोस्तों , पेट्रोल भरा  नमस्कार ! आजकल डीजल  भी पेट्रोल जैसा हो गया है | बात " सर " और " कार " की हो रही थी इसलिए वन्ही चलते हैं | अपने " मनु भाई " कहते हैं की हम २०१४ तक ये सरकार जरूर चलाएंगे ? बी.जे.पी. वाले कहते हैं कि हम कब मना कर रहे हैं लेकिन पी.एम्. बदल दो गृह मंत्री बदल दो | मनु भाई कहते हैं  फिर मेरे पास  बचेगा ही क्या ? कल को आप कहोगे कि पी.एम्. बदल दो ? फिर मैं क्या करूंगा ? वैसे इतिहास साक्षी है कि " देश पर संकट तभी - तभी आता है जब कांग्रेस पर संकट आ जाता है " आम आदमी कोई गलत वस्तु खरीद कर लाता है गलती से तो उसे फ़ौरन वापिस भी तो कर के आता है कि नहीं ?पर मनु भाई और उनका सारा मंत्री मंडल एक ही रत लगाये बैठा है कि " हमें २०१४ तक शासन करने का अधिकार मिला है , इसलिए कोईभी चाहे विपक्ष हो या जनता हमें रोक नहीं सकती ?"विपक्ष भी जनता को " चोर -  चोर मौसेरे भाई " जैसे लग रहे हैं सिर्फ हो - हल्ला मचाया जा रहा है  | सब अपनी पेंशन बचाने के चक्कर में हैं ?? या इनको भी " आधा " चंदा देने कि बात हो गयी है ?? जनता को सारे चोर क्यों दिखने लगे हैं ? क्या जनता की आँखों में  " काला -  मोतिया " आ गया है ?? इस सरकार  के सारे मंत्री आज  कुछ बोलते हैं तो कल  कुछ ? और  बी.जे.पी.  वाले " यात्रा " कर रहे हैं ?? इसी लिए मैं कह रहा हूँ कि सरदार मनमोहन सिंह जी आप अपना " सर " और " कार " वापिस ले जाइये अपने घर , क्योंकि न  तो आपका दिमाग काम कर रहा है , अगर दिमाग सही काम  कर रहा होता तो देश में " आतंकवाद , मंहगाई और भ्रष्टाचार समाप्त हो गए होते ? और अगर " कार " यानि हाथ काम कर रहे होते तो मंत्रियों कि इतनी हिम्मत नहीं  होती कि वो काम कि बजाए इधर - उधर के ब्यान दे रहे होते ???? आज किसी भी विभाग के अफसर अपने मंत्री कि सुनते नहीं किसी भी मंत्री को काम करना ही नहीं आता ??? तो जनता आपको  ५ साल तक क्यों ढोए ???? इसी लिए मैंने आज शीर्षक में मनमोहन जी के नाम के साथ " सिंह " नहीं  लगाया क्योंकि आदमी शेर तो तभी होता है न जब उसकी एक दहाड़ पर सब कांपने लग जाएँ ?  अतः आज के बाद हम तो हमारे प्रधान - मंत्री जी को सिर्फ मनमोहन , मनमोहन लाल या मनु भाई ही बुलाएँगे और कहेंगे कि कृपया मनु भाई हम पर दया करो  !  हम गलती कर बैठे जो आपको ५ साल तक सरकार चलाने का " अधिकार दे बैठे ?? वैसे सिर्फ आपको पूरा अधिकार तो हमने नहीं दिया था ? दूसरी पार्टियों के साथ मिलकर आप ये सरकार चला रहे हो ?? ये छोटी पार्टियाँ भी बड़ी चतुर हैं प्रदेश के चुनावों में तो इन्हें साम्प्रदायिकता का भूत नहीं दिखाई देता इसलिए अलग - अलग चुनाव लड़ते हैं , लेकिन राष्ट्रीय चुनावों में ये सब " सेकुलर " बन जाते हैं और देश पर भरी संकट आ जाता है तो जनता को डरा कर ये सरकार बना लेते हैं ??? कोई मुसलमानों को हिन्दुओं से डराकर वोट लेता है तो कोई हिन्दुओं को मुसलमानों और ईसाईयों से डरा कर वोट ले लेता है | सब साले जनता को बारी - बारी से बेवकूफ बनाए जा रहे हैं ????????? बोलो ....! जय - श्री - राम !!     

Sunday, September 25, 2011

" YE - NATIKTA - VATIKTA - KYA HAI ..? HIMMAT HO TO 2014 MAIN HRAA DENA ..?? "

बेशर्म दोस्तों , शर्म भरा नमस्कार ! आजकल इसी गुण की भारी कमी है विशेषकर हिन्दुस्तान में ,पहले तो लोग " चुल्लु भर पानी में डूब कर मर जाते थे ?? अब तो समुद्र भी छोटा पड़ता है , उसमे से भी ससुरे नेता लोग तैर कर वापिस आ जाते हैं और फिर बे - शर्मी से आकर जनता को बोलते हैं कि " हमें तो २०१४ तक राज करने का अधिकार है ??  जिसे हम पसंद नहीं वो २०१४ में हमारे मुकाबले चुनाव लड़ले ? " लो करल्यो बात ? ये बात जोर शोर से वो इसलिए कहते हैं क्योंकि वो जानते है कि जो शरीफ होगा वो एम्.पी. का चुनाव लड़ ही नहीं पायेगा ? अगर फिर  भी अगर शरीफ आदमी चुनाव लड़ता है  तो , धन कंहा से लायेगा , वो भी अगर उसे कंही से मिल गया तो , जाती , धरम और इलाके के चक्कर में तो फंस ही जायेगा ....???? इन्ही बातों पर बेईमान नेता ताल ठोक कर चुनावों में मुकाबला करने का चेलेंज दे रहे हैं आम आदमी को ??? मगर ये यह नहीं जानते कि चाहे " रावण " हो या " कंस " " हिटलर "  हो या " मुसोलिनी " सबको इसी " आम " सी दिखने वाली जनता ने ही धूल चटाई है ?? जनता ने अगर सोच लिया तो दुनिया ने पहले भी देखा है और भविष्य में भी देखेगी कि कोई आम जनता में से नया नायक निकल कर आएगा और इन निक्कमे नेताओं का भ्रम तोड़ेगा , गर्व नष्ट करेगा और जनहित में सरकार चलाएगा ?? चाहे मोहम्मद गौरी हो या ओरंगजेब , मुग़ल हो या अंग्रेज सब को इस जनता ने भगाया है , भारत - माता कि जय बोल कर या  वन्दे - मातरम् बोल कर ! ??   

Sunday, September 18, 2011

GUJRAAT PAR - MEDIA - NETA - JANTA KO KYON GUMRAH KAR RAHE HAIN ?

उपवास का आनंद लेने वाले मित्रो , दिल से प्यार भरा नमस्कार ! ! !सन २००० मैं जब नरेंद्र मोदी जी ने गुजरात का  नया  - नया  मुख्य मंत्री का पद संभाला हुआ था की तभी एक बुरी घटना घाट गयी , अयोध्या जा रहे कारसेवकों पर मुसलमानों का भेष धरके देश के दुश्मनों ने पेट्रोल छिड़क कर उनको जला दिया , इस घृणित कार्य में स्थानीय लोगों ने भी सहयोग किया ..?? जिस से हिन्दू समुदाय के कुछ  लोग अपना धैर्य खो बैठे | और उन्होंने प्रतिक्रिया वश अपने मुस्लिम भाइयों को दुश्मन मान कर क़त्ल करने की चाहत लिए हमला कर दिया ?? लकिन वो तो पहले से ही तैयार बैठे थे , तो जंग शुरू हो गयी ...?? उस समय " चेनल मीडिया " नया - नया आया था , एक विशेष प्रकार का उनमे उत्साह था ..?? जो मीडिया हिन्दू समर्थक था वो अलग तरह से क्लिप दिखा रहा था और जो विदेशी सहायता प्राप्त इंग्लिश मिडिया था वो केवल मुसलमानों को ही कट्टा मरता दिखा और बता रहा था ..? जो की असंभव था , क्योंकि जब भी किन्ही दो पक्षों में कत्लेआम होता है तो दोनों तरफ के लोग हताहत होते हैं ..??? लेकिन जिसके हाथ में केमरा होगा वो जैसे चाहेगा वैसे ही चित्र खींचेगा ..?बस यंही पर गड़बड़ हुई है ...??? किसके कहने पर ये शरारत हुई ये कोई नहीं बता रहा | लेकिन ये कहा जा रहा है कि क्योंकि सी.एम्. मोदी जी थे तो उन्होंने जल्दी क्यों नहीं रोका इसलिए पहली दुर्घटना और उसकी प्रतिकिर्या दोनों हेतु वोही दोषी हैं | कुछ अति उत्साही पत्रकार भाई तो नरेंद्र मोदी जी को ही कातिल मान रहे हैं जैसे कि उन्होंने ही स्वयं गोधरा जाकर कतल किये हो ..??? और नेताओं को तो जैसे अमृत मिल  गया हो ?? तब से लेकर पठ्ठे आज तक विश्व को भूलने भी नहीं देते ....? माला रटते ही रहते हैं | भले ही उसी गुजरात कि जनता ने उन्हें उसके बाद दो बार और सी. एम्. क्यों न बना दिया हो ?? और ऐसा भी नहीं है कि ऐसा कत्ले आम देश में पहली बार हुआ था ??? जब जब जनता कि अगवाई करने वाला राजा हो या मंत्री , न्यायालय हो या पंचायत किसी अन्याय पर न्याय नहीं कर पाते , तो जनता इस तरह से अपना फैसला सुनाती है जिसे सबको मानना ही पड़ता है फिर चाहे वो १९४७ हो या १९८४ , हिन्दू मरे या मुसलमान , सिख मरे या ईसाई कोई फरक नहीं पड़ता ? रोने वाले रोते रह जाते हैं और रोटियां सेंकने वाले रोटियां सेंक लेते हैं | समय बहुत बलवान है सब भुला देता है और फिर से एक नै राह बन्ने लगती है ??? परन्तु ये मीडिया और नेता साले भूलने ही नहीं देते ..... क्या करूँ ??? १९८४ में सिख भाइयों को दिल्ली में  जिन्दा जलया गया वो भी दंगे नहीं कत्लेआम था ?? उसके पीछे भी पुनजब में फैला उग्रवाद था हर सरदार अपनेआपको भिंडरावाला समझने लग गया था ...? जनता का सब्र का मटका भर चुका था ? कि तभी इंदिरा जी कि हत्या हो गयी और मटका फूट गया और सयंम टूट गया ???? " सयंम " ही ऐसी चीज़ है जो इंसानियत को जिंदा रखती है ? इसका होना अतिआवश्यक है सब भाइयों के लिए | में भी इतनी सखत भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहता था लेकिन आज एक नवभारत टाइम्स के स्तम्भ लेखक मित्र ने मजबूर कर दिया | रोज़ टी.वी. पर नेताओं , एन.जी.ओ.और पत्रकारों को निहायत ही घटिया तरीके से बहस करते हुए देखता हूँ , कोई बात उस बहस में साफ़ हो भी जाती है तब भी वो पत्रकार आदि एक पक्ष स्वयं बन कर बात को घिसटते रहते हैं घिसटते रहते हैं दर्शक गालियाँ निकालने के इलावा कुछ नहीं कर पाता ??  परमात्मा जल्दी से सबको सदबुधि दे !!

Thursday, September 15, 2011

" DANGON " - PAR - " GANDON " - KI - " KOOT NITIK " - " CHALEN " ? ? ?

गंदे नेताओं की गन्दी राजनितिक चालों और मंहगाई , भ्रष्टाचार से त्रस्त, प्यारे देशवासियों , नमस्कार !जब भी मोदी जी की तारीफ होने लगती है तो कुछ पार्टियों,पत्रकारों और एन.जी.ओ. की छाती पर सांप लोटने लग जाते हैं | वे गोधरा में जलकर मरे लोगों की जिम्मेदारी तो किसी पर नहीं डालते लेकिन बाद में हुए दो समुदायों के दंगों में हर मुस्लिम के मरने का जिम्मेदार केवल और केवल मोदी जी को मानते हैं | जब भी किसी दो पक्षों में दंगा होता है तो दोनों पक्ष के लोग ही हताहत होते हैं किसी एक पक्ष के ही मारें या मरें ये संभव नहीं है ?? लेकिन ये लोग किसी हिन्दू की मौत का जिक्र तक नहीं करते | दूसरी तरफ बी.जे.पी.वाले भी जब ८४ के दंगों की बात करते हुए कांग्रेसियों को जिम्मेदार ठहराते हैं , तो उसके पीछे छिपे पंजाब में सिख उग्रवादियों द्वारा मारे गए हिन्दुओं का गुस्से का जिक्र तक नहीं करते ??? क्योंकि इन्हें पंजाब में सरदारों के वोट चाहिए होते हैं ??? और कांग्रेसियों को मुसलमानों और ईसाईयों के वोट लेनेहोते हैं , इसलिए इन कमीनों  के मुह बंद  जाते हैं  ? इसी तरह माया को निम्न जातियों के वोट चाहिए कामरेडों को मजदूरों के , मुलायम लालू को यादवों के , शिव सेना को मराठियों के और बी.जे.पी.अपने आपको हिन्दुओं की रक्षक मानती है लेकिन है नहीं ?? सब ससुरे मिले हुए हैं ?? भारत वासियों की तो किस्मत ही खराब है , " प्रतिज्ञा" फिल्म में अदाकार " केश्तो - मुखर्जी " के डायलाग  :- " मरना है " की तरह है ?? इसे तो मरना है , चाहे किसे भी सरकार बनाने का " मत " दे दे | इसे तो कटना, ठगना और फंसना है गंदे राजनेताओं की कूटनीतिक चालों में ....?????  जय राम जी की बोलना पड़ेगा ...... बोलो जय श्री राम !!!!!!!!! क्योंकि वोही बचाएगा ??????? हमें ....... भगवन भली करे ????????            

Sunday, September 11, 2011

" DARI - SAHMI - BE-BAS - KAMZOR - BHRASHT - OR - LAACHAR - SARKAAR - ?? "

विशेषणों के धनि मित्रो , विशेष नमस्कार !हमारी केंद्र की सरकार के साथ रोज़ नए - नए विशेषण जुड़ रहे हैं , जैसे :- निक्कम्मी , बेबस , भ्रष्ट , कमज़ोर और डरपोक आदि - आदि | और दाद देनी पड़ेगी हमारे पी.एम्. , मंत्रियों , और ९०% सांसदों की जो इतनी गाली गलौज के बाद भी अपनी पीठ थप थपाते नहीं थकते , मनीष तिवाड़ी , कपिल सिब्बल , बंसल , सत्यव्रत , सिंघवी , रेणुका जी , कितने नाम गिनाऊं इन महा पुरषों के ??? जो राहुल , सोनिया जी पूछे बिना कुछ काम नहीं कर सकते |  देश वासी  उनसे  क्या उपेक्षा रखें ?? क्या रोज़गार निति और क्या  विदेश निति , सब चोपट कर दिया इन निक्क्मों ने ??? जनता में सरकार के प्रति जितनी निराशा आज है ?? उतनी पहले की किसी सरकार के  प्रति नहीं रही ??? और ये बेशरम नेता बार - बार जनता  को ये  कह कर और चिढ़ा रहे हैं कि हम तो २०१४ तक ऐसे ही करेंगे ??? अगर जनता को बुरा  लग रहा है  तो वो अगले चुनावों में नए एम्.पी.और एम्.एल.ऐ. चुन ले ???? मतलब इन मवालियों  को इतना घमंड है कि ये अगले चुनावों में  भी जनता को फिर से मुर्ख बनाकर जीत के प्रति आश्वस्त हैं | अब चैलेंज जनता को स्वीकार करना है ??? ये चतुर नेता जनता को पार्टी,धर्म , इलाके,और जातियों के बंधन में हमें बाँध कर , "अपना उल्लू सीधा " कर लेते हैं  ??????? इसलिए हमें अभी से संभलना और समझना होगा तथा समझाना भी होगा देश  कि भोली - भाली जनता को ??? बोलो ------ भारत -- माता -- की  -------- जय हो !!!!!!

Tuesday, September 6, 2011

" REDDY "HO-JAAO - DESH - WASIYO ! " CHAINA , PAKISTAAN , SE LADNE HETU "

माल कमाने में हमेशा " रेड्डी " रहने वाले दोस्तों , जय श्री राम !!! धन कमाना कोई बुरी बात नहीं है ,जरूर कमाना चाहिए , नहीं कमाएँगे तो देश - धर्म कैसे चलेगा ?? परन्तु गलत तरीके से धन इकठ्ठा नहीं करना चाहिए , परन्तु आजकल धन का महत्व इतना बढ़ गया है कि हर चीज़ केवल " धन के तराजू " में ही तोली जाती है | यंहा तक कि " रिश्ते - नाते " भी धन के आगे फीके पड़ गये हैं | जीवन के मूल्यों को छोड़ इंसान पैसा - पैसा करता " बावलों " की तरह डोल रहा है | गलत - सही का अंतर भूल गया है आदमी ? वो चाहे मैं होऊं या आप , " रेड्डी - बंधू हों या अमर सिंह ,अहमद पटेल हो या स्व.प्रमोद महाजन सब पकडे जाने से पहले संत होते हैं ? १० से १००००० रूपये तक का चोर पकड़ा भी जाता है और  सजा भी पाता है | इससे बड़ा चोर सिपाही , जज आदि को  पार्टनर बना लेता है ? नेता लोग बात करवाते हैं ? पत्रकार और ठेकेदार मीटिंग की व्य्वस्था देखते हैं रेट तय करने में मदद करते हैं ?? एक कहावत है कि " ऊँगली पकडाओ तो पौंचा पकड़ लेना " यानि " लालच " आ जाना , जो स्वभाविक है | सतर्क तो तंत्र को होना चाहिए , सजा का डर होना चाहिए और इज्जत जाने का खतरा होना चाहिए ???? समाजिक बहिष्कार और हुक्का - पानी बंद होना भी पहले एक सजा होती थी ? मगर आजकल तो ऐसे लोग मुख्याअतिथि बनाए जाते हैं  जी | राम सबका भला करे , कोई मजबूरी हो तो चोरी भी जायज़ समझी जाती थी मगर आज तो " चोरी, हेराफेरी फैशन बन गया है जी ?? हमारे शहर में भी ४-५ टोलिया हैं जो छोटी - मोटी राजनितिक पार्टियों के झंडे उठाये फिरते हैं , सुबह मजदूरों या लोगों को साथ लेकर जिंदाबाद - मुर्दाबाद बोलेंगे , शामको उन्ही अफसरों से पैसे लेकर मोजमस्ती करेंगे ?? इनमे नेता,पत्रकार,व्यापारी और ठेकेदार शामिल होते हैं जी | देश का " भठा बैठता है" तो बैठ जाए ? जय राम जी की बोलना पड़ेगा नहीं तो राम नाम सत्य हो जायेगा | अमर सिंह जी तो तिहाड़ पंहुच गए हैं | १९७७ में कई शरीफ नेता जेल गये थे तो उन्होंने " जनता पार्टी बना दी थी , अब चोर नेता और अफसर तिहाड़ में हैं तो न जाने कौनसी पार्टी बनेगी राम ही जाने ! ? ? ? 

Thursday, September 1, 2011

" AB " CONGRESSI - KHEL MANTRI " - BANNE CHALE -- " ANNA "

रोज़ नए प्लान बनाने वाले दोस्तों , नमस्कार !अन्ना जी के आन्दोलन के बाद कांग्रेस ने व्यापक योजना बनाई है | एक तो ये की मिडिया को डराया जाए क्योंकि बैन तो वो लगा नहीं सकते ? उनके अनुसार अगर मिडिया नहीं मदद करता तो आन्दोलन इतना सफल नहीं होता ? दूसरा प्लान ये है कि कुछ मंत्रियों को अन्ना जैसा शरीफ और भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ता हुआ दिखाया जाए ? ताकि  जनता में ये सन्देश जाए कि " कांग्रेस " में भी भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ने वाले लोग हैं ? इस कड़ी में पहला नाम आया है खेल  मंत्री श्री अजय माकिन ? स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी है , और नाटक शुरू हो चुका है ? जनता को मूरख बनाने का काम शुरू कर दिया गया है | खेल मंत्री जी ने खेलों में पारदर्शिता लाने हेतु एक बिल बनाया और मंत्री मंडल के समक्ष रखा तो मंत्री मंडल में बैठे क्रिकेट के लोग चोंक गए और भड़क गए , क्योंकि उसमे कई ऐसी बातें थीं , जो उन्हें नागवार गुजरीं , जैसे क्रिकेट बोर्ड की कितनी कमाई कंहाँ खर्च हो रही है ? बोर्ड में खिलाडी  की बजाए नेता क्यों हैं आदि - आदि | नाटक सीधा ( लाइव ) टीवी . पर दिखाया गया | विलेन बने श्री राजीव शुक्ला , उन्होंने फ़रमाया कि जनता को क्रिकेट बोर्ड की आय से कोई मतलब नहीं है | और ये भी कहा कि इंडियन क्रिकेट टीम असली इंडियन टीम नहीं , हम तो ऐसे ही इंडिया लिखते हैं जैसे " एन.डी.टी.वी. इंडिया " ? अब सवाल ये पैदा होता है कि आज से पहले कि सरकारें सो रही थीं ? ६५ सालों में से ५२ साल तो देश पर राज कांग्रेस ने ही किया है, तो जवाबदेह भी कांग्रेस ही होगी न ? १६७५ करोड़ रूपये की सलाना कमाई कन्हा जाती है ? क्रिकेट बोर्ड को मुफ्त जमीने स्टेडियम हेतु क्यों दी गयी ? सट्टा - बाज़ार भी दुनिया भर में इन्ही के आशीर्वाद से चलता है  | क्या " आई,सी,सी आई. और क्या बी.सी.सी.आई." ये सब सोची समझी योजना के मुताबिक सारे विश्व का धन खाए जा रहे हैं मिल बांटकर खा रहे हैं | नए खेल मंत्री अब उनसे जो सवाल पूछ रहे हैं वो पहले वाले मंत्रियों ने क्यों नहीं बोर्ड से पूछे ? अब वो " अन्ना " बनने की असफल कोशिश क्यों कर रहे हैं ? मिडिया वाले भी नाहक ही डर रहे हैं ? खेल मंत्री जी अगर सचमे " अन्ना " बनना है तो जब आपका बिल रिजेक्ट हुआ था , तभी स्तीफा देकर जनता के दरबार में जाकर बोलते ? तब हमें लगता कि कोई " शरीफ और मर्द " मंत्री बोला है ? क्यों दोस्तों , आपका क्या कहना है इस बारे में ?

"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)

प्रिय पाठक मित्रो !                               सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...