Wednesday, June 15, 2011

" KOUN - - SEWAK - - KOUN - - MALIK , SIRF - JHOOTE KHWAAB "- ????

सपनो की दुनिया के निवासियों , नमस्कार !कल अन्ना जी कह रहे थे कि " जनता की सिविल सोसाइटी मालिक है और एम्.पी., एम्.एल.ऐ. सेवक हैं " | लालू यादव और प्रणब दा कहरहे हैं कि हम देखेंगे कि कैसे लोकपाल बिल संसद में पास होता है ? कांग्रेस के प्रवक्ता तिवाड़ी जी कहते हैं कि अन्ना जी जैसे सिविल सोसाइटी के लोग तानाशाह हैं | इस तरह से ये मामला भी " अटका " दिया गया है जैसे आरक्षण को समाप्त करना , महिला आरक्षण लागु करना,शिक्षा पद्धिति बदलना ,और युवाओं को रोज़गार गारंटी जैसे कई बिल अटके पड़ें हैं| दरअसल में जनता ने इन्हें सर पर चढ़ा लिया है | मेरा ये मानना है कि सभी राजनितिक पार्टियों कि मान्यता समाप्त करदी जानी चाहिए ताकि वर्करों कि झूटी जिंदाबाद सुन कर कोई इन्हें वोट न दे | चुनाव जितने से पहले इन्हें कोई गले में माला न डाले |किसी मुद्दे पर ये संसद न चलने दें तो उतनी देर इनसे काम ज्यादा करवाया जाए जितना समय बर्बाद हुआ है | "वेतन " बढ़ाने का बिल तो ये तुरंत इक्कठे हो कर पास करवा लेते हैं | लकिन देश हित के कार्यों हेतु ये तरह - तरह कि अडचने खड़ी करते हैं |पहले जैसे नेताओं जैसा स्तर आज के नेताओं का नहीं है | कई चोर,डाकू लुटेरे और ठग अपना पुराना धंदा छोड़ कर नेता बन गए हैं तो कई नेता चुनाव जीत कर " चोर, ठग और लुटेरे बनगए हैं " | ये अपने आपको किसी राजा से कम नहीं मानते | इनके रिश्तेदार भी अपनेआपको किसी देवता से कम नहीं मानते ? परिवर्तन होना चाहिए ? परिवर्तन तब होगा जब हम परिवर्तन करेंगे | जनता को नेताओं के पीछे भागना बंद कर देना चाहिए | ये काम करें तो इन्हें वेतन मिले अन्यथा नहीं | मैं तो यहाँ तक कहता हूँ कि सारे प्रदेशों व देश के नेताओं और मुख्यसचिवों को जवाहर लाल नेहरु स्टेडियम में बंद कर दिया जाये ,और तब निकाला जाय जब आने वाले ५० वर्षोंनुसार व्यवस्था बना न दी जाय | रोज़गार , सुरक्षा और शिक्षा की नीतियाँ न बन जाएँ | विदेश निति पर तो जनता का मत भी लेना आवश्यक है | संक्षिप्त में कहें तो पूरा " बर्तन " रगड़ रगड़ कर साफ़ करने वाला है ? सब गन्दा हो चुका है | बड़ी " बदबू " आ रही है ? बोलो " जय - हिंद " -----!!!!!    

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