प्यारे पाठक मित्रो नमस्कार ! आज़ादी मुबारक हो !भारत के संविधान को लागू हुए इतने साल हो गए और न जाने कितने संशोधन हो गए ! फिर भी शराफत कंही दुबक कर बैठी है ,भारतीय संस्कारों का टी .वी. और आज का साहित्य ,सिनेमा कतल कर चुका है !आरक्षण की दीमक इस देश के भाईचारे को खा चुकी है ! अमीर और अमीर हो गया ,गरीब तो बी . पी . एल .और नरेगा के सहारे जीवन काट रहा है , लेकिन बीच वाला तबका ऐसा फंसा है की दो पाटन में पिस रहा है !गुंडागर्दी, हेराफरी, रिश्वतखोरी,मक्कारी, गद्दारी, और नेताओं की बेशर्मी का परचम लहरा रहा है ! ! ! !अब बचा है सिर्फ एक खोल ,फटा हुआ ढोल ,जिसकी खुल चुकी हो पोल !क्यों --कैसी कही ? ? ? ? ? बोलो जय श्री राम !! !! !!
FIGHT ANY TYPE OF CORRUPTION, WITH "PEN"!
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"निराशा से आशा की ओर चल अब मन " ! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)
प्रिय पाठक मित्रो ! सादर प्यार भरा नमस्कार !! ये 2020 का साल हमारे लिए बड़ा ही निराशाजनक और कष्टदायक साबित ह...
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मेरे प्रिय " हंस - हंस्नियो मित्रो , धवल - शुद्ध नमस्कार !!! दलीप कुमार साहिब की एक फिल्म थी ,जिसमे हिन्दू...
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हिंदू शब्द वैदिक साहित्य में प्रयुक्त ' सिंधु ' का तदभव रूप है | वैदिक साहित्य में " सप्तसिंधु " शब्द का प्रयोग हुआ...
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